एक विधवा महिला के साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तारी के बाद पिंकी के लिंग निर्धारण के लिए मंगलवार को उसकी चिकित्सा जांच की गई। लेकिन जिस अस्पताल में जांच हुई वहाँ समुचित सुविधा नहीं होने की वजह से यह साफ नहीं हो सका कि पिंकी महिला है या पुरुष।

पहले यह जांच सोमवार को होनी थी। लेकिन पुलिस का दबाव था कि यह जांच उस दमदम जेल में ही होनी चाहिए जहां पिंकी न्यायिक हिरासत में है। इससे पहले सोमवार को उसकी जांच के लिए सात सदस्यीय चिकित्सकीय जांच टीम का गठन कर दिया गया था।

अदालत की अनुमति के बाद मंगलवार को भारी सुरक्षा और मीडिया की भीड़ के बीच पिंकी को उत्तर 24-परगना जिले में बारासात जनरल अस्पताल ले जाया गया। वहां लगभग तीन घंटे तक जांच के बाद भी उनका लिंग निर्धारण नहीं किया जा सका। अब इस मामले की जांच के लिए गठित सात-सदस्यीय टीम ने अदालत से यह जांच कोलकाता के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में कराने की गुहार की गई है।

उत्तर 24-परगना जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुकांत शील ने जांच के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, "यहां हुई जांच में जो रिपोर्ट्स आई हैं वह अस्पष्ट हैं। इसलिए हम इस मामले में किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सके। इस अस्पताल में क्रोमोज़ोम और हॉर्मोन के परीक्षण की सुविधाएं नहीं हैं। समुचित सुविधाओं की कमी की वजह से पिंकी के खून के मनूने नहीं लिए जा सके। उसका स्कैन और एक्स-रे भी नहीं हो सका। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से गुहार लगाएगी कि वे इस मामले को महानगर के एसएसकेएम अस्पताल को सौंप दें क्योंकि वहां इस तरह की जांच के लिए जरूरी तमाम सुविधाएं मौजूद हैं."

सोमवार को पूरे दिन पिंकी की मेडिकल जांच को लेकर ऊहापोह की स्थिति रही। पहले एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पिंकी का लिंग परीक्षण हो गया है और रिपोर्ट मंगलवार को मिलेगी। लेकिन कुछ देर बाद ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुकांत शील ने कहा कि एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है और यह जांच मंगलवार को होगी.

बलात्कार का आरोप

पिंकी प्रामाणिक पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला ने दावा किया था कि एशियाड में मेडल जीत चुकी एथलीट ने टूर्नामेंट में खेलने के लिए अपने पुरुष होने की पहचान पर पर्दा डालने के मकसद से मेडिकल जांच करने वालों को घूस दिया था।

प्रामाणिक ने वर्ष 2006 में दोहा में आयोजित एशियाई खेलों में चार गुणा चार सौ मीटर की रिले रेस में स्वर्ण पदक जीता था। उसी साल मेलबोर्न में आयोजित कामनवेल्थ खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता था। महिला के आरोप के आधार पर पुलिस ने पिंकी को गिरफ्तार कर लिया था।

शुक्रवार को अदालत में पेश किए जाने पर उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। अदालत ने ही पिंकी का लिंग तय करने के लिए चिकित्सा जांच का आदेश दिया था। वैसे, पिंकी ने इन तमाम आरोपों से इंकार किया है।

नौकरी से निलंबित

इससे पहले पिंकी को रविवार को ही पूर्व रेलवे ने टिकट कलेक्टर के पद से निलंबित कर दिया था। पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी समीर गोस्वामी कहते हैं, “सरकारी नियमों के मुताबिक किसी कर्मचारी के 24 घंटे से ज्यादा जेल या पुलिस हिरासत में रहने पर उसका निलंबन स्वाभाविक है। इसलिए हमने उसे निलंबित कर दिया है। अदालत से बरी होने के बाद ही उसका निलंबन वापस होगा.”

इस बीच पिंकी के घरवालों ने इस मामले को उसके खिलाफ एक साजिश करार दिया है। उसके पिता दुर्गाचरण ने कहा, “जिस महिला ने मेरी बेटी के खिलाफ आरोप लगाया है उसके पति ने पिंकी से कर्ज लिया था और उसे वापस करने से इंकार कर दिया था। मेरी बेटी की छवि खराब करने के लिए ही उन लोगों ने यह साजिश रची है.”

एथलीट की मां पुष्पा ने कहा, “मैं इस आरोप से अचरज में हूं। मैं उसकी मां हूं। उसके बारे में मुझसे बेहतर कौन जान सकता है। पिंकी के महिला होने के बारे में संदेह की कोई गुंजाइश ही नहीं है.”

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