-एमसीआई का आदेश डॉक्टर्स मरीजों को लिखें जेनेरिक दवाएं

-दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के दर्द-ए-दवा कैंपेन में सिस्टम का सच आया सामने

BAREILLY :

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने जेनेरिक दवाएं लिखना भले ही अनिवार्य कर दिया है, लेकिन सिस्टम की खामी आदेश पर भारी पड़ रही है। क्योंकि शहर में जेनेरिक दवाओं के नाम पर महज एक मेडिकल स्टोर है। मेडिकल हब कहे जाने वाले बरेली में हर रोज हजारों की संख्या में पेशेंट्स इलाज के लिए आते हैं, जो

जेनेरिक दवाओं के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। आखिरकार, महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदने के लिए मजबूर हैं।

जिले में करीब 400 हॉस्पिटल

बरेली में करीब 400 हॉस्टिपल हैं, जहां प्रतिदिन करीब एक लाख पेशेंट प्रतिदिन ओपीडी में आते हैं। यही वजह है कि बरेली में महंगी ब्रांडेड दवाओं का बड़ा कारोबार फल-फूल रहा है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की सख्ती के बाद जनता में जेनेरिक दवाओं को लेकर राहत की उम्मीद जगी है, लेकिन जेनेरिक मेडिकल स्टोर की कमी राहत के आड़े आ रही है। ऐसे में, ब्रांडेड दवाओं के काकस पर चोट नहीं हो पा रही है।

एक जेनेरिक मेडिकल स्टोर

डिस्ट्रिक्ट बरेली में भारतीय औषधि परियोजना के तहत प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र (जेनेरिक मेडिकल स्टोर) खुला है। ऐसे में डॉक्टर्स मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखते हैं, तो मरीजों को जेनेरिक दवा खरीदने के लिए भटकना पड़ रहा है। एकमात्र जेनेरिक मेडिकल स्टोर होली चौराहा श्यामतगंज में है। वहीं, थाना इज्जतनगर क्षेत्र में जल्द ही एक और प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र खुलने वाला है। केन्द्र सरकार ने मेडिकल खोलने की इजाजत दे दी है।

दो हजार मेडिकल स्टोर की जरूरत

मरीजों की संख्या को देखते हुए जिले में करीब दो हजार मेडिकल स्टोर होने चाहिए, लेकिन डिस्ट्रिक्ट में सिर्फ एक मेडिकल स्टोर खुला है और जल्द ही एक खुलने वाला है। दो जेनेरिक मेडिकल स्टोर खुलने के बाद भी मरीजों को राहत नहीं मिलेगी। उन्हें ब्रांडेड दवाओं पर निर्भर रहना पड़ेगा। इसलिए डॉक्टर्स अभी भी मरीजों को ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं।

वर्जन

एमसीआई ने डॉक्टर्स को जेनेरिक दवाएं लिखने के आदेश दिए हैं, लेकिन डॉक्टर्स ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। इसलिए जेनेरिक दवाओं की बिक्री कम हो रही है।

विवेक कुमार, संचालक प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र