-महिला अस्पताल कबीरचौरा में चार सौ लीटर डेली डीजल की खपत, फिर भी अंधेरे में रहने को विवश हो रहे जच्चा-बच्चा

-बत्ती गुल होने पर ओटी तक हो जाता है बंद, पेशेंट्स इलाज के लिए प्राइवेट में जाने को हो रहे मजबूर

VARANASI

सूबे की सरकार चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने को लेकर दिन रात मंथन कर रही है। मरीजों को अधिक से अधिक सुविधाएं मिलें इसके लिए जांच फ्री, दवा फ्री, नाश्ता-भोजन के अलावा जीवनरक्षक उपकरण तक हॉस्पिटल्स में मुहैया कराए जा रहे हैं, मगर गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल कबीरचौरा में उपलब्ध सुविधाओं में दिन प्रतिदिन कटौती ही होती जा रही है। स्थिति यह है कि यदि लाइट चली जाती है तो जेनरेटर स्टार्ट करने में आधे से पौन घंटे तक लग जाता है। यही नहीं, डिलेवरी जैसे केस में बिजली नहीं होने का हवाला देते हुए मरीज को रेफर कर दिया जाता है। हाल ही में ऐसा मामला कबीरचौरा हॉस्पिटल में सामने भी आया। मरीजों ने हो हल्ला मचाया लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। हर मंथ लगभग ब्00 लीटर डीजल खपत होने वाले वीमेंस हॉस्पिटल की यह स्थिति है कि जच्चा-बच्चा की सलामती के लिए अब लोग यहां आने से कतराने लगे हैं।

जेनरेटर चलाने में खेल

महिला अस्पताल में बिजली सप्लाई बेहतर बताई जाती है। तर्क दिया जाता है कि सप्ताह में दो-तीन दिन ही आधे से एक घंटे के लिए बिजली बाधित होती है। कभी-कभार ही स्थिति ऐसी होती है कि तीन से चार घंटे तक बिजली नहीं रहती। यहां हर मंथ चार सौ लीटर डीजल जेनरेटर पी जाता है क्या? यह सवाल खुद मरीज संग तीमारदार करते हैं। सूत्रों की मानें तो बत्ती गुल होने पर टेक्निशियन टाइम पर जेनरेटर स्टार्ट नहीं करता। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन भी इस मामले में कुछ ठोस निर्णय नहीं ले पाता।

बत्ती जाने पर लौटा दी गई प्रसूता

हॉस्पिटल के ओटी में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था बताई जाती है। बिजली गुल होने पर इनवर्टर की सुविधा है लेकिन क्7 नवंबर को लल्लापुरा निवासिनी प्रसूता प्रेमलता को जब एनिस्थिसिया का इंजेक्शन लगा तभी बिजली गुल हो गई, डॉक्टर्स ने बत्ती नहीं आने का हवाला देते हुए प्रसूता को तुरंत प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया। ऐसी स्थिति में परिजनों ने पेशेंट की डिलेवरी प्राइवेट हॉस्पिटल में कराया मगर, इसकी कम्प्लेन सूबे के राज्यमंत्री और पीएम के संसदीय कार्यालय में की गई है।

हॉस्पिटल में मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं मिलती है। एक ही टेक्निशियन होने के कारण कभी कभार ऐसा होता है कि बिजली कट जाने पर तुरंत जनरेटर स्टार्ट होने में समय लगता है। यदि किसी को कोई शिकायत है तो मुझसे कम्प्लेन करता है।

डॉ। शैला त्रिपाठी, प्रमुख अधीक्षक

गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल

एक नजर

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बेड का है हॉस्पिटल

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बेड है प्रभावी

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मरीज वॉर्ड

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डेली उमड़ती है महिला मरीजों की भीड़

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लीटर है महीने में डीजल की खपत

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लीटर है एक दिन में डीजल की खपत

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जनरेटर