- भारतीय नागरिकता के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को मिली राहत

- गृहमंत्रालय ने लगाया कैंप, पाकिस्तानी अल्पसंख्यक लोगों को मिलेगी नागरिकता

- लखनऊ में करीब तीन सौ लोग और यूपी में एक हजार से ज्यादा लोग प्रभावित

LUCKNOW: पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आकर बस गए। इनमें से करीब दो सौ सिंधी परिवार पिछले ख्भ्-फ्0 साल से शहर में रह रहे हैं। उसके वजूद पर सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर वह किस देश के वासी है। न उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता मिली और न भारतीय होने का अहसास। दरअसल, पाक से यहां आने के बाद इनके पास नागरिकता का सवाल खड़ा हो गया है। नागरिकता मिलने को लेकर भारत की स त नियम रोड़ा बनी हुई थी। हालांकि उत्तर प्रदेश सिंधी सभा के प्रयासों और गृह मंत्री के दखल के बाद उम्मीद जगी है। सभा के अध्यक्ष मुरलीधर आहूजा, महामंत्री नानक चंद्र लखवानी का प्रयास रंग लाया। स्थाई नागरिकता व एलटीवी(दीर्धकालीन वीजा) के लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में समाधान शिविर लगाया गया। शिविर में पात्र परिवारों से शपथ पत्र सहित आवश्यक दस्तावेज जमा कराए गए हैं। प्राथमिकता के आधार पर मामलों का निस्तारण किए जाने को लेकर फार्मो को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। सभा के महामंत्री नानक चंद्र लखवानी ने बताया कि ऐसे करीब ख्00 परिवार हैं जिसमें से भ्0 परिवार के मामले केंद्र सरकार में लंबित हैं जबकि क्भ्0 परिवारों को यहां शामिल किया जाएगा। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय वीजा के निदेशक इस आशुतोष सिन्हा सहित सहायक अधिकारी, पासपोर्ट अधिकारी व अभिसूचना इकाई के अफसर मौजूद थे। पूरी कार्रवाई के दौरान एडीए प्रशासन राजेश कुमार पांडेय एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।

सरकारी मदद का सालों से अभाव

लाल चंद बजाज अपनी पत्नी और बच्चों के साथ ख्फ् साल पहले लखनऊ आए थे। पाक के सिंध से यहां आशियाना में अपना आशियाना बसाया। बेटी पूजा बजाज ने बताया कि नागरिकता न मिलने से हम लोगों को आए दिन नोटिसें आती रहती हैं। जब आए थे तो उम्र कम थी। स्कूल और कॉलेज के दौरान भारतीय व पाकिस्तानी होने को लेकर परेशानी सामने आती रहती है। सोनिया बजाज ने बताया कि नौकरी आदि के फार्म भरने में दिक्कते होती है। नागरिकता के लिए कई प्रयास किए पर हर बार कोई कमी बता दी जाती है।

नियमों की चक्की में फिस रहे कई सालों से

आलमबाग में रह रहे अर्जुन दास ख्म् साल पहले क्989 में अपने चार बच्चों के संग यहां आए थे। भारतीय नागरिकता लेने के लिए वर्ष ख्00फ् से फार्म भर रहे हैं। पासपोर्ट की वैधता समाप्त हो गई तो दीर्धकालीन वीजा न मिलने से समस्या हो गई। वहीं पाकिस्तान की उपेक्षा के चलते पासपोर्ट की वैधता न बढ़ने से भारत की नागरिकता मिलने में समस्या आ रही थी। भारत के नियमों के अनुसार बिना पासपोर्ट की वैधता नागरिकता नहीं दी जा सकती है। उन्होंने बताया अब नागरिकता मिलने पर खुशी मिलेगी।

किस मुल्क के नागरिक है पता नहीं

क्989 में भारत आकर लखनऊ में बसे ताराचंद लालवानी पत्नी जनता लालवानी भारतीय नागरिकता पाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस प्रयास में उनकी बेटी की शादी भी हो गई लेकिन नागरिकता नहीं मिली। बेटी रेशमा ने बताया कि उनका बेटा यही पूछता है कि हम पाकिस्तानी है या फिर भारतीय। रेशमा के अनुसार भारत के लोग व्यवहारिक है ऐसे में कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन नागरिकता मिलने पर हम गर्व से कह सकेंगे कि हम भारतीय हैं।

न राशन कार्ड और न पैन कार्ड

सात लोगों के परिवार के साथ यहां आकर बसे किशन लाल के बेटों व बेटियों के भी संतानें हो चुकी हैं। मुकेश बत्रा ने बताया कि हमारी शादी यही हुई है। बीस साल का लड़का है। नागरिकता न मिलने से आक्रोशित मुकेश ने बताया कि आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि पहचान पत्र बवनाने में परेशानी होती है। नागरिकता न होने से नंबर दो तरीके से बन जाता है लेकिन शहर से बाहर जाने पर नागरिकता के सवाल का जवाब देना मुश्किल हो जाता है।