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PATNA : मधुबनी के पास अंधराठाधी प्रखंड में एक ऐसा गांव है, जहां आए दिन धरती के गर्भ से प्राचीन मूर्तियां निकल रही हैं। गांव का नाम है देवहार। मंगलवार को भी ऐसी ही एक विलक्षण मूर्ति खेत में मिट्टी की खुदाई में निकली। भूरे ग्रेनाइट पत्थर की यह मूर्ति देखने में किसी देवी देवता की है। लेकिन, विशेषज्ञों ने इसकी पुष्टि नहीं की है कि यह किस देवता की है। विशेषज्ञ इन मूर्तियों को पाल और गुप्त काल बता रहे हैं.मंगवार को देवहार गांव में हरिमोहन राय घर बनवाने के लिए अपने खेत से मिट्टी कटवा रहे थे। लगातार चल रहे फावड़े से मिट्टी का ढेर

निकल रहा था। लगभग भ् फीट मिट्टी निकली ही होगी अचानक फावड़े से ठन्न की आवाज आई। खुदाई करने वाले सभी मजदूर चौंक गए। पहले तो मजदूरों को लगा कि कोई पत्थर आ टकराया है, लेकिन फिर उसके आसपास जब खोदा गया तो काले रंग की एक मूर्ति निकली। इस मूर्ति का आकार चतुभुर्ज है।

मुक्तेश्वर मंदिर पहुंची मूर्ति

हरिमोहन बताते हैं कि जैसे ही उन्हें मूर्ति के दर्शन हुए तो उन्होंने तत्काल उसे मिट्टी से निकालकर मुक्तेश्वर मंदिर पहुंचा दिया। मूर्ति भग्न है। मगर शरीर के उपर का भाग बचा हुआ है। दाहिने हाथ भी खंडित है। बांए कंधों से केहुनी तक भाग बचा हुआ है। आभूषणयुक्त गले में एक माला भी है। इसके बनावट के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है यह सातवीं आठवी शताब्दी की बनी हुई है।

पाल काल से भी पुरानी है मूर्ति

मूर्ति का सिर कृतमुख बनी है। सामान्यता पाल कालीन प्रतिमाओं के आभा मंडल के ऊपर कृतमुख देखने को मिलता है। जबकी इस मूर्ति के सिर पर ही कृतमुख बनाया गया है। जो अत्यंत ही दुर्लभ है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि पाल काल से भी प्रारंभिक समय या गुप्त काल के बाद की मूर्ति है। जहां मूर्ति मिली है वहां से क्00 गज उत्तर में प्रसिद्ध शिव मंदिर मुक्तेश्वर स्थान है। ग्रामीणों का मानना है कि मूर्ति का मंदिर से कोई न कोई नाता है। क्योंकि मंदिर में अत्यंत प्राचीन व दुर्लभ शिव लिंग हैं। जो बालुयाही पत्थर के हैं। जिसे विशेषज्ञ गुप्त काल का मानते हैं।

पहले भी मिल चुकी है दुर्लभ मूर्तियां

इस गांव में यह कोई पहली मूर्ति नहीं है। इसके पहले भी कई मूर्तियां निकाली जा चुकी है। मुक्तेश्वर मंदिर के सामने एक तालाब है। इस तालाब की खुदाई में दो दुर्लभ मूर्तियां निकली थी। पहली गुप्त काल की गणेश भगवान की मूर्ति, दूसरी नवीं शताब्दी की पार्वती देवी की। यही नहीं गांव में दुर्गा मंदिर से सौ मीटर उत्तर पूर्व स्थित एक टीले से भैरव की मूर्ति भ्ीा मिल चुकी है।

देवहार गांव के मुक्तेश्वर स्थान अत्यंत ही महत्वपुर्ण पुरातात्विक स्थल है। जहां पर समय समय पर दुर्लभ कलाकृतियां मिलती रहती है। ऐसा लगता है की यहां प्राचीन समय में मूर्ति कला बनाने का उद्योग रहा होगा। इसलिए विभिन्न तरह के मूर्तियां मिलती है। इस स्थल का उत्खनन होना जरूरी है।

-शिव कुमार मिश्र, शोध सहायक, बिहार रिसर्च सोसाइटी