जीजीआईसी सिविल लाइंस प्रयागराज में साइंस लैब को है अपडेशन का इंतजार

prakashmani.tripathi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: साइंस के क्षेत्र में स्टूडेंट्स को आगे बढ़ने के लिए हर कोई प्रेरित करता है। लेकिन इस फील्ड के लिए जरूरी सुविधाएं स्कूलों को कोई उपलब्ध नहीं कराता है। इसका नतीजा ये रहता है कि स्टूडेंट्स चाहते हुए भी साइंस के प्रति रुचि नहीं बढ़ा पाते हैं। स्कूलों में साइंस लैब में जरूरी सामानों की कमी से जूझने की स्थिति एडेड स्कूलों के साथ ही सरकारी स्कूलों की भी है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने मंगलवार को राजकीय बालिका इंटर कालेज सिविल लाइंस के साइंस लैब का हाल देखा।

कई बार भेजी रिक्वायरमेंट

राजकीय बालिका इंटर कालेज सिविल लाइंस की फिजिक्स टीचर प्रज्ञा मिश्रा ने बताया कि लैब में बदलाव की जरूरत है। फिजिक्स लैब में बच्चों के प्रैक्टिकल के लिए रखे गए पंाच टेबल करीब 36 साल पुराने 1983 में बने हैं। इनकी स्थिति काफी गड़बड़ है। ग्रीन क्लीन प्रोजेक्ट के जरिए काफी हद तक जरूरतें पूरी की गई हैं। प्रैक्टिकल के दौरान कई बार हुक लॉक आदि को समझाने में काफी दिक्कत होती है। ज्यादातर इक्विपमेंट्स पुराने हैं। इलेक्ट्रिक से रिलेटेड कई प्रैक्टिकल में डायोड, ट्रांजिस्टर आदि नहीं होने से दिक्कत आती है।

अधिकारी चलाते हैं मनमर्जी

बायोलॉजी की लेक्चरर गीता यादव बताती हैं कि डिमांड के हिसाब से साइंस की टीचर्स रिक्वायरमेंट भेजती हैं। ग्रीन क्लीन प्रोजेक्ट के जरिए सभी स्कूलों में एक समान लिस्ट बनाकर अधिकारियों की ओर से सामान उपलब्ध करा दिया गया है। इसमें पुराने सिलेबस या जो पहले प्रैक्टिकल कराए जाते थे, उनसे जुड़े सामाने दिए गए हैं। एनसीईआरटी पैटर्न अपनाने के बाद कई चेंज हुए हैं। इक्विपमेंट्स पुरान होने से बच्चों को प्रैक्टिकल कराने में काफी दिक्कत होती है। डीएनए आइसोलेशन को इस बार सब्जेक्ट में जोड़ा गया है। इसके प्रैक्टिकल के लिए फिलहाल कोई सुविधा नहीं है। इसके केमिकल महंगे आते हैं। ऐसे में टीचर्स खुद के खर्च से कितने बच्चों को प्रैक्टिकल करा सकते हैं। स्कूल की कैमेस्ट्री की लैब का भी ऐसा ही हाल है। बिल्डिंग नई होने के कारण भले ही वह काफी चमक रही है, लेकिन जरूरत के सामान के लिए बजट या ग्रांट बड़ी मुसीबत है। कई बार केमिकल्स की कमी के कारण टीचर्स बिना प्रैक्टिकल के ही बच्चों को पढ़ाते हैं। इससे बच्चे खुद प्रैक्टिकल करके कई रासायनिक क्रियाएं नहीं सीख पाते हैं।

लैब में मिली कमियां

फिजिक्स लैब में डायोड, ट्रांजिस्टर आदि नहीं

लैब असिस्टेंट नहीं होने से टीचर्स को खुद ही करने पड़ते है सभी काम

कैमेस्ट्री लैब में बिना असिस्टेंट के सबसे अधिक होती है परेशानी

बायो लैब में क्वा‌र्ड्ड बोर्ड, बेलियम सल्फेट, डीएनए आईसोलेशन के लिए कैमिकल आदि की कमी है

कोर्स से जुड़े प्रयोग समझाने के लिए जरूरी सामान उपलब्ध नहीं

बच्चों को मौखिक या बिना प्रैक्टिकल के लिखवाकर कराना पड़ता है याद

प्रैक्टिकल की सही जानकारी की कमी से जेईई मेन, नीट जैसे एग्जाम में बच्चे नहीं दे पाते अच्छा रिजल्ट

कोर्स में बदलाव के बाद साइंस टीचर्स के लिए वर्कशाप न होना