- गंगा घाटों पर जमी मिट्टी व सिल्ट अभी तक नहीं हुई साफ

-सूर्य षष्ठी में श्रद्धालुओं को होगी परेशानी

- नगर निगम कार्यकारिणी के अनुमोदन व बजट होने के बाद भी सफाई पर लापरवाही

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सीन 1: बाढ़ खत्म हुए दो महीने ीत गए लेकिन रविदास घाट की सीढि़यों पर गंगा की मिट्टी और सिल्ट जमा है। इसे अभी तक पूरी तरह साफ नहीं किया गया। घाट पर आने वालों को दिक्कत झेलनी पड़ रही है.

सीन 2: बाढ़ खत्म होने के बाद अस्सी घाट पर पहले की तरह पब्लिक की भारी भीड़ हो रही है। सभी को घाट पर जमा मिट्टी की वजह से परेशानी उठानी पड़ रही है। सफाई अभियान तो चलाया जा रहा है लेकिन उसकी रफ्तार काफी धीमे है

सीन 3: तुलसी घाट पर जमी सिल्ट व मिट्टी की साफ नहीं हो पाई है। हर रोज नगर निगम के कर्मचारी पम्प लेकर पानी से मिट्टी हटाते हैं। दो-चार घंटे में थोड़ी बहुत मिट्टी हटाने के बाद लौट जाते हैं। अभी भी पूरे घाट पर मिट्टी का ढेर लगा है।

यह सीन बता रहे हैं कि गंगा की बाढ़ से घाटों पर पहुंची मिट्टी व सिल्ट को नगर निगम अभी पूरी तरह नहीं साफ करा पाया है। कुछ एक को छोड़ दें तो लगभग सभी घाटों पर मिट्टी का ढेर लगा हुआ है। जबकि जिन पर्व पर घाटों पर लाखों की भीड़ होती वह कुछ ही दिन दूर हैं। खासकर सूर्य षष्ठी पर्व। घाटों की सफाई की रफ्तार इतनी धीमी है कि पूरी तरह से मिट्टी हटाने में काफी वक्त लग जाएगा। जबकि इसके लिए नगर निगम कार्यकारिणी समिति की स्वीकृति मिल चुकी है और बजट भी जारी हो गया है। दीपावली से पहले प्रमुख घाटों को पूरी तरह से साफ करने का टारगेट भी फिक्स किया गया था। बावजूद इसके निगम लापरवाही बरत रहा है।

बनाया प्लान, पर नहीं भरी 'उड़ान'

गंगा घाटों पर बाढ़ की वजह से जमी मिट्टी और सिल्ट को साफ करने की योजना करीब एक महीना पहले नगर निगम ने तैयार की थी। इसे निगम की कार्यकारिणी समिति में अनुमोदन के लिए रखा गया, जो सर्वसम्मति से पास भी हो गया। इस मद में बजट भी जारी कर दिया गया। इसके तहत सभी घाटों की सफाई होनी थी। अस्सी, दशाश्वमेध समेत कुछ घाटों पर सफाई के नाम पर खानापूर्ति की गई। घाटों पर जमा मिट्टी को पूरी तरह से साफ नहीं किया गया। इसको लेकर तमाम पार्षदों ने मेयर और नगर आयुक्त से मिलकर आपत्ति भी दर्ज कराई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

तालाब बदहाल, कैसे मने त्योहार

आरोग्य और सुख-समृद्धि के पर्व सूर्य षष्ठी पर तालाबों और सरोवरों पर भीड़ उमड़ती है, लेकिन तालाब गंदगी से पटे पड़े हैं। तालाबों व सरोवरों की सफाई व सुंदरीकरण के लिए नगर निगम के पास निर्धारित बजट भी है। बावजूद इसके सफाई कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। तालाबों पर अतिक्रमण और गंदगी का बोलबाला है। पीलीकोठी स्थित धनेसरा तालाब, कुरुक्षेत्र व पुष्कर पौराणिक महत्व वाले तालाबों समेत तुलसीपुर, नदेसर, बौलिया तालाबों पर कब्जा बरकरार है।

डगर होगी मुश्किल

सूर्य षष्ठी के एक-दो दिन पहले से गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। अगर समय रहते घाटों की प्रॉपर सफाई नहीं कराई गई, तो उनकी डगर मुश्किल होगी। घाटों पर फिसलन होने से हादसे की आशंका भी बनी रहेगी। निगम के अफसरों का कहना है कि सिल्ट कठोर और बालू मिश्रित होने से उसे साफ करने में कठिनाई आ रही है।

एक नजर

- 84 गंगा घाटों पर सफाई की जिम्मेदारी है नगर निगम की

- 136 छोटे-बड़े तालाब-सरोवर हैं जिनका रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा

- 16 लाख घाट सफाई का बजट

- 5 से 8 फुट तक जमी है घाटों पर मिट्टी

घाटों की सफाई शुरू करा दी गई है। इसकी प्रॉपर मॉनीटरिंग भी की जा रही है। पूरा प्रयास है कि गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न होने पाए।

अजय कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त