- भावनपुर के एक गांव में दो सहेलियों ने खाया जहर

- गांव में चर्चा का विषय बन गई थीं दोनों के बीच नजदीकियां

- ग‌र्ल्स के पेरेंट्स कर रहे थे दोनों के एक साथ रहने का विरोध

Meerut : प्यार प्रकृति का एक नायाब तोहफा है। इसके जरिए ही लोग एक दूसरे से जुड़े हैं। यह किसी भी रिश्ते में हो सकता है। जिसकी कुछ सीमाएं होती हैं। अगर यही प्यार सेम सैक्स के बीच हो तो इसे प्रकृति के विरुद्ध माना जाता है। समाज इसे कभी स्वीकार नहीं करता। दो सहेलियों के बीच प्यार की कहानी का मामला भावनपुर थाना एरिया के एक गांव में सामने आया। जहां दो छात्राओं की नजदीकियों का समाज में विरोध शुरू हो गया। नतीजा, दोनों ने एक दूसरे के साथ जान देने की ठानी और जहर खा लिया। एक की मौत हो गई और दूसरी की हालत गंभीर है।

साथ रहने की जिद्द

भावनपुर थाना एरिया के दो गांवों की रहने वाली दो छात्राएं। एक बारहवीं की छात्रा थी और दूसरी ने दसवीं करने के बाद स्कूल जाना छोड़ दिया था। दोनों साथ ही स्कूल आती जाती थीं और साथ ही खाना खाती थीं। इनको अपनी दूसरी सहेलियां से या फिर किसी लड़के से कुछ लेना देना नहीं था। दोनों में काफी लगाव था। गांव में इनको लेकर काफी चर्चाएं होने लगी थीं। मामला काफी बढ़ गया था। परिवार वालों ने दोनों को एक दूसरे से अलग रहने को कहा था। इसके बावजूद दोनों ने एक दूसरे से मिलना नहीं छोड़ा था। दोनों अपनी जिद्द पर अड़ी हुई थीं।

नहीं था स्वीकार

जब इन दोनों सहेलियों का विरोध अधिक होने लगा तो इन्होंने अपने परिजनों से बातचीत करने की ठानी। परिजनों से दोनों ने शादी करने की बात की। लेकिन परिवार वालों ने समाज में इस शादी से इंकार कर दिया। साथ ही दोनों को कड़ी चेतावनी भी दी। फिर सोमवार को दोनों दिन में एक खेत में मिलीं। जहां इन दोनों ने जहर खाया और अपने-अपने घर चली गई। कुछ ही देर में दोनों की हालत बिगड़नी शुरू हो गई। परिवार वाले दोनों को लेकर अस्पताल की ओर भागे। एक छात्रा को शास्त्री नगर स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और दूसरी को मेडिकल ले जाया गया।

7म् एक ने तोड़ा दम

शास्त्रीनगर में अस्पताल में भर्ती छात्रा ने ईलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं दूसरी युवती को उसके परिजन अपने घर ले गए। मृतक छात्रा का उसके परिजनों ने रात में ही श्मशान में अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस को भी सूचना मिली थी और गांव में पुलिस गई थी। लेकिन परिजनों ने या फिर किसी गांव के व्यक्ति ने कुछ कहने से इंकार कर दिया। वहीं इन दोनों के बीच रिश्तों को लेकर पूरे गांव में चर्चाएं तेज थीं। लेकिन मामला गंभीर था। साथ ही दो लड़कियों के बीच ऐसा संबंध लोगों के लिए गलत था। इस मामले में पुलिस ने भी कुछ कहने से इंकार कर दिया।

क्या है समलैंगिकता

समान लिंग के प्रति आकर्षण रखने वाले महिला या पुरुष को समलैंगिक माना जाता है।

सजा का प्रावधान

समलैंगिकता के खिलाफ अंग्रेजों ने धारा क्8म्क् में कानून बनाया था। जिसमें आईपीसी की धारा फ्77 के तहत सजा का प्रावधान दिया गया है। इसके तहत क्8 साल या उससे अधिक उम्र का कोई व्यक्ति स्वेच्छा से पुरुष या महिला या पशु से अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करने का दोषी हो तो उसे आजीवन या दस साल तक के कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

क्क् दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के समलैंगिकता संबंधित निर्णय को पलट दिया था। जहां हाईकोर्ट ने इसको सही मानते हुए एक केस में फैसला सुनाया था। वहीं इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इंकार करते हुए कानून बनाने का काम संसद पर छोड़ दिया था।

पहला मामला

अविभाजित भरत में वर्ष क्9ख्भ् में खानू बनाम सम्राट का समलैंगिकता से जुड़ा पहला मामला था। उसने मामले में यह फैसला दिया था कि यौन संबंधों का मूल मकसद संतानोत्पत्ति है, लेकिन अप्राकृतिक यौन संबंध में यह संभव नहीं है।

समलैंगिकता का आंदोलन

ख्00भ् में अजमेर के राजपरिवार के राजकुमार मनवेंद्र सिंह ने पहला शाही 'गे' होने की घोषणा की थी।

फिल्म इंडस्ट्री

समय समय पर मायानगरी ने लोगों को इस संबंध के प्रति रास्ता दिखाया है। 'फायर' 'माई ब्रदर निखिल' ' हनीमूंस ट्रेवल प्राइवेट लिमिटेड' 'दोस्ताना' जैसी फिल्में इसी विषय पर बनी हैं।

तकनीक का साथ

इस मामले में तकनीक लोगों के लिए सहारा बन रही है। इंटरनेट पर गे डेटिंग वेबसाइटों की भरमार है। 'गे' कम्युनिटी और ऐसे ब्लॉग्स से वेबसाइटें अटी पड़ी हैं।

कई हैं किस्से

- क्7 मई ख्0क्ख् को सहारनपुर में ऐसी ही एक लव स्टोरी सामने आई। जहां दो सहेलियां शादी रचाने के लिए थाने पहुंच गई थीं।

- ख्ब् जुलाई ख्009 को मेरठ जिले से लगे मुजफ्फरनगर जिले के शामली इलाके में दो सहेलियों ने शादी कर ली थी।

- 9 जुलाई ख्0क्0 को ब्रह्मापुरी थाना एरिया में दो छात्राओं के बीच नजदीकियों का मामला सामने आया था। जिसमें परिजनों ने विरोध किया तो एक सहेली ने अपनी नस काट ली थी।

- क्क् सितंबर ख्00म् को कंकरखेड़ा इालाके में भी एक मामला आया था। जिसमें दो सहेलियों द्वारा शादी करने का मामला सामने आया था। लेकिन दोनों ही बदनामी के डर से गायब हो गई थीं।

ये एक जेनेटिक नेचर में होता है। यह लोगों के व्यक्तित्व में होता है। जिसे हम बदल नहीं सकते, लेकिन समाज इसे स्वीकार भी नहीं कर सकता। अगर रुकावट डाली जाती है तो ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। यह कोई बीमारी नहीं है जिसको दवाई से या फिर काउंसलिंग से सुधारा जाए। पहले इसको डिसऑर्डर का नाम दिया गया था लेकिन अब उसको बीमारी की संज्ञा नहीं दी जाती। शुरू में अगर ऐसे लक्षण पहचाकर कोशिश की जाए तो रोका जा सकता है। बड़े होने पर उसे रोकना संभव नहीं होता। यहां ना तो दवाई काम आती है और ना ही काउंसलिंग। हमारे पास कई केसेज आते है जो अपोजिट सैक्स में इंटरेस्ट ही नहीं रखते। देखा जाए तो यह सैक्सुअल ऑरिएंटेशन है। जिसे भारत में स्वीकारा नहीं जा सकता।

-सोना कौशल भारती, मनोचिकित्सक व काउंसलर

बड़ा स्पष्ट है कि टीनेजर में यह सब वहां विकसित होता है, जहां माता-पिता लड़कियों को लड़कों से एकदम दूरी बनाने के लिए कहते हैं। उन पर लड़कों से बात करने को लेकर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। आजकल हॉस्टल्स में ऐसी घटनाएं होती हैं। जहां लड़कियों में एक दूसरे के प्रति आकर्षण बन जाता है। इन बच्चों की जगह इनके मां-बाप की काउंसलिंग होनी जरूरी है। इन बच्चों को स्पेस देना चाहिए और काउंसलिंग भी कराई जानी चाहिए। यह प्रकृति के विरुद्ध होता है, जिसको समाज मान्यता नहीं देता। इसलिए बच्चों और परिवार की काउंसलिंग भी जरूरी है।

- अतुल शर्मा, संचालिका संकल्प संस्था