चौका लगाने को तैयार अरविन्द

एक बार फिर सब तैयार हैं। बादशाहत कायम रखने के साथ चौका लगाने के लिए अरविन्द तैयारी में जुटे हैं तो सत्य प्रकाश इस बार कोई चूक नहीं चाहते। इस बार वह अपने नहीं लिए बल्कि अपने गुरु के लिए बोल्ट बनकर दौडऩा चाहते हैं। सभी को बेसब्री से इंतजार है भोर होने का ताकि इंदिरा मैराथन का आगाज हो। जी हां, इंदिरा मैराथन की पूर्व संध्या पर दिग्गज धावकों ने अपनी एंट्री कराने  के लिए साथ फील्ड पर जमकर पसीना बहाया। इसे लेकर गल्र्स में भी क्रेज कम नहीं था। लास्ट इयर की विनर रहीं ज्योति अपना ही रिकार्ड तोडऩे की प्लानिंग कर चुकी हैं।

चौका से कम मंजूर नहीं

अंबेडकर नगर के रहने वाले अरविन्द्र कुमार यादव इंदिरा मैराथन में हैट्रिक बनाकर इतिहास रच चुके हैं। रेलवे में जॉब करने वाले अरविन्द्र ने मंडे को अपनी एंट्री कराकर विरोधियों को बता दिया कि वह इस बार भी मैदान में है। लास्ट इयर अरविन्द ने समय के मामले में अपना ही रिकार्ड तोड़ा था। दो साल पहले उन्होंने मैराथन की दूरी दो घंटा 27 मिनट 14 सेकेंड में पूरा किया था तो लास्ट इयर उन्होंने दो घंटा 21 मिनट 50 सेकेंड में दौड़ पूरी करके विनर का ताज अपने नाम किया था। अरविन्द को पूरा भरोसा है कि इस बार भी वह सफलता की नई कहानी लिखने में कामयाब होंगे।

पिछली बार का बदला लेंगे सत्य प्रकाश?

मऊ के रहने वाले सत्य प्रकाश मिलिट्री में जॉब करते हैं। लास्ट इयर सत्य प्रकाश ने मैराथन में धमाकेदार वापसी की थी। उन्होंने मैराथन की दूरी दो घंटा 22 मिनट 22 सेकेंड में पूरी की थी। एक मिनट से भी कम अंतर होने के बावजूद उन्हें उपविजेता रहने से संतोष करना पड़ा। सत्य प्रकाश ने कहा कि इस बार वह अपने गुरु के लिए दौड़ेंगे। उनके कोच केएस माथुर उन्हें ट्रेनिंग देते हैं जो इस साल रिटायर हो रहे हैं। सत्य प्रकाश ने कहा कि अपने गुरु के लिए बोल्ट बनकर दौड़ेंगे। इसके लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत भी की है। लेकिन, कल क्या होगा? यह तो रिजल्ट आने के बाद ही सामने आएगा।

मिलिट्री वालों का जलवा

इस बार भी मिलिट्री वालों का जलवा बरकरार रहने की उम्मीद है। सत्य प्रकाश समेत 54 जवान मैराथन में भाग लेने पहुंचे हैं। मिलिट्री के जवानों को मंडे इवीविंग उनके कोच और मैनेजर ने जरूरी टिप्स दिए। उन्हें समझाया कि दौडऩे के दौरान परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह देखकर कभी फ्रस्टेट नहीं होना चाहिए कि उनके पीछे दौड़ रहे प्लेयर्स अचानक उनके आगे हो गए। यह गेम है तो कोई एक कभी आगे होगा और दूसरा कभी। मैराथन में वही सफल होगा जिसे अपने आप पर पूरा भरोसा होगा। यह देखकर विचलिए हुए तो अपना ही नुकसान करेंगे। वह मनौवैज्ञानिक तरीके से जवानों का वह हौसला बढ़ा रहे थे।

जलवा रहेगा बरकरार!

गल्र्स भी इस रेस में कम नहीं हैं। लास्ट इयर भदोही की ज्योति सिंह ने 3 घंटा 10 मिनट 57 सेंकेड का समय निकालकर विजेता का ताज हासिल किया था। किसान की बेटी ज्योति को न तो कोई बड़ा अवसर मिला था और न ही उसके पास कोई खास ट्रेनर था.  सिर्फ हौसले की बदौलत उसने जीत हासिल की थी। इस बार भी ज्योति, रंजना, अनीशा, अनीता, पटेल, गुडिय़ा, राधिका, संगीता, नीतू, ज्योति शंकर, सुशीला, रंजना, हमीरपुर, रंजना सिंह, पूनम, रंजना सिंह, इंद्रेश और शुकन्या आदि ने एंट्री कराई है। यानी यहां भी मुकाबला बेहद रोचक होने जा रहा है। रेलवे में जॉब करने वाली शुकन्या लास्ट इयर अचानक तबियत खराब होने से फाइट से बाहर हो गई थीं। इस बार उनका हौसला बुलंद है