- यूनिवर्सिटी के विभागों में हो रहा शोषण, गवर्नर से शिकायत

-अभिभावकों ने लगाई गुहार, राम नाईक ने लिया संज्ञान

-डर के कारण कई छात्राओं ने नहीं लिया इस बार एडमिशन

LUCKNOW (18 July): लखनऊ यूनिवर्सिटी के कई विभागों में पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी छात्राओं के गाइड (लेक्चरर ) द्वारा मानसिक व शारीरिक शोषण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। छात्राओं के परिजनों ने कुलाधिपति और राज्यपाल राम नाईक से गुहार लगाई है। गवर्नर की चौखट तक मामला पहुंचने के बाद से युनिवर्सिटी में हड़कंप का माहौल है। परिजनों का सीधा आरोप है कि मानसिक और शारीरिक शोषण की वजह से वे अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़ाने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं राजभवन ने भी इस बेहद गंभीर मामले पर युनिवर्सिटी प्रशासन से जवाब-तलब कर लिया है।

सोशल वर्क, सोशियोलॉजी और बॉटनी विभाग घेरे में

युनिवर्सिटी में हो रही शर्मनाक हरकत की शिकायत कई अभिभावकों ने विगत 15 जुलाई को राज्यपाल से की है। आरोपों के घेरे में युनिवर्सिटी के कई लेक्चरर हैं, जो रोजाना छात्राओं पर दबाव डालकर उनका शारीरिक व मानसिक शोषण कर रहे है। राज्यपाल को भेजे पत्र में अभिभावकों ने कहा कि उनकी बेटियों को पीजी और पीएचडी करने के दौरान असहनीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है। सोशल वर्क, समाजशास्त्र और बॉटनी विभाग का नाम उजागर करते हुए कहा कि जिन लेक्चरर के अधीन छात्राओं को पीजी और पीएचडी कोर्स प्रोजेक्ट पास करना होता हैं, उनकी नाजायज मांगे भी मानने के लिए उन्हें बाध्य किया जा रहा है।

देर शाम तक रोकते हैं गाइड

देर शाम तक छात्राओं को रुक कर प्रोजेक्ट को पूरा करने का दबाव डाला जाता हैं। इसमें से कुछ छात्राएं जो कैलाश हॉस्टल या दूसरे ग‌र्ल्स हॉस्टल में रहती हैं, उन्हें गाइड (लेक्चररर) द्वारा देर तक रुकने को कहा जाता है। इस दौरान उनके साथ छेड़खानी भी होती है। विरोध करने पर लेक्चरर द्वारा फेल किए जाने की धमकी दी जाती है। कई बार उन्होंने शिकायत करने का प्रयास भी किया लेकिन बदनामी के डर से पीछे हट गयी। बाद में कुछ छात्राओं ने अपने परिजनों को इस बारे में बताया जिसके बाद मामले की शिकायत राजभवन में की गयी।

कोट

राजभवन से एक लेटर हमारे पास आया है, जिसकी जांच शुरू करा दी गई है। ऐसे सभी छात्राओं व हॉस्टल की छात्राओं से जानकारी प्राप्त की जा रही है।

-प्रो। एसबी निमसे, वीसी, एलयू