70 के दशक से शुरू हुआ सिलसिला

एक पर्टीक्यूलर नेम को आइटम सांग में कैरेक्टराइज करना कोई आज की नहीं बल्कि दशकों पुरानी बात है। इसका सिलसिला सन 1971 में आए गीत 'मोनिका ओ माई डार्लिंगÓ आइटम सांग्स से हुआ। इसके बाद नामों का आइटम सांग में जमकर यूज होने लगा। जो अब तक बरकरार है। लेकिन इस बीच वो लड़कियां पिस रही है, जिनका नाम ही यहीं है और जिनका नाम नहीं है। उन्हें एक अजीब से डर के साये में जी रही हैं कि कब कोई गीत के अश्लील बोलों के साथ उनका नाम जोड़कर पुकार दें।

साइकोलॉजिस्ट्स के पास आ रहे केसेज

गीतों में इन नामों का यूज करके फिल्म्स तो अपना बिजनेस कर जाती हैं, लेकिन, इन गीतों के बाद जिस मेंटल ट्रॉमा से ये लड़कियां और इनकी फैमिली गुजरती है। उस ओर किसी का ध्यान तक नहीं जाता। साइकोलॉजिस्ट डा। मुकुल शर्मा ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कुछ टाइम पहले एक ऐसा केस आया जो कुछ ऐसी ही प्रॉब्लम से गुजर रहा थी। पहले बात करने पर समझ नहीं आया लेकिन एक दो सेशन के बाद मामला सामना आया। दरअसल, एक फिल्म में उस गर्ल के नाम वाले एक किरदार के साथ रेप हो जाता है। सुनने में मामला मामूली था लेकिन उस पेशेंट ने बताया कि स्कूल के कुछ स्टूडेंट्स उसे उस किरदार से जोड़कर चिढ़ाते थे। मामूली दिखने वाले इस केस में मुझको और मेरी वाइफ को काफी मेहनत करनी पड़ी। इसी का नतीजा है कि आज वो खुश हैं।

सेंसर ने भी उठाया ठोस कदम

ये कोई पहला या आखिरी मामला नहीं है। बल्कि इस तरह के मामले अक्सर सामने आ नहीं पाते। जबकि ऐसे गानों की वजह से इन नामों की गल्र्स को एक सीरियस मेंटल ट्रॉमा से गुजरना पड़ता है। लेकिन अब सरकार इस मामले में कदम उठाने जा रही है। ए सर्टिफिकेट वाले आइटम सांग्स को टीवी चैनल पर दिखाने पर रोक लगाया जाएगा। यहां तक कि सेंसर बोर्ड ने देश के सभी रीजनल ऑफिसेज को भी एक नोटिस जारी कर दिया है। इसके नोटिस के अनुसार टीवी पर 'एÓ सर्टिफिकेट वाले गानों का टेलिकास्ट बैन होगा।