सीबीएसई 10वीं की परीक्षा में बेटियों ने किया शानदार प्रदर्शन

बेहतर मा‌र्क्स लाकर बनी मिसाल, परिस्थितियों को नहीं बनने दिया मजबूरी

जिंदगी की असली उड़ान बाकी है,

अभी तो कई इम्तिहान बाकी हैं,

अभी नापी है मुट्ठीभर जमीं हमने

अभी तो सारा आसमान बाकी है.

Meerut. सीबीएसई रिजल्ट्स में इस बार कई इतिहास रचे गए हैं. इस इतिहास की किताब के कुछ पन्ने किसान और मजदूरों की बेटियों के नाम भी हुए हैं. बिना किसी ट्यूशन और मदद के सीबीएसई परीक्षा में बेहतर मा‌र्क्स लाने वाली इन बेटियों के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है. एकता हो या अनीता या फिर सुनीता हर बेटी ने बापू का मान बढ़ाया है. हालांकि, इनके पेरेंट्स ने खुद कभी स्कूलों का मुंह नहीं देख पाए लेकिन बेटियों के दम पर वह आज फूले नहीं समा रहे हैं. हौसलों के हल से उम्मीदों की फसल उगा रही इन बेटियों का कहना है कि उन्होंने अभी सिर्फ शुरुआत है की है. अभी तो डॉक्टर, इंजीनियर और आईएएस बनकर इतिहास रचना बाक है.

आईएएस बनने की चाहत

सिविल सर्विस की राह देख रही निशु ऐसे बच्चों और पेरेंट्स के लिए मिसाल है, जिन्हें लगता है कि ट्यूशन के बिना अच्छे मा‌र्क्स स्कोर करना मुश्किल है. बकौल निशु अच्छे मा‌र्क्स लाने के लिए सिर्फ खुद की मेहनत ही जरूरी है. अगर निश्चय दृढ़ हो तो बिना एक्सट्रा सपोर्ट के किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है. वह बताती है कि आगे जाकर वह आईएएस बनाना चाहती हैं. निशु ने फार्मकिड्स एकेडमी से 10वीं में टॉप फाइव सब्जेक्ट्स में 96.8 प्रतिशत मा‌र्क्स स्कोर किए हैं. निशु की इस सफलता पर उसके पिता दिनेश और मां अनिता काफी खुश हैं.

इंजीनियर बनने का सपना

फार्म किड्स एकेडमी से 10वीं में टॉप 5 सब्जेक्ट्स में एकता ने 95.2 प्रतिशत स्कोर किया है. वह कहती है कि मेरी प्रेरणा मेरे पापा हैं. उन्हें देखकर हमेशा लगता है कि कुछ ऐसा करुं जिससे पापा का बोझ कम हो जाए. इंजीनियर बनने का ख्वाब भी उनकी ही बदौलत आंखों में सजा पाई हूं. मशीन पर अक्सर उन्हें बैग बनाते देखती हूं. उन्हें देखकर लगता कि मुझे बैग बनाने वाले नहीं बल्कि मशीन बनाने वाले हाथ बनना है. अपने सपने को साकार करने के लिए यह मेरा पहला पड़ाव हैं.

मुझे बनना है डॉक्टर

टॉप फाइव सब्जेक्ट्स में 87.8 प्रतिशत स्कोर करने वाली शुभी ने पढ़ाई के दौरान स्मार्टफोन को टच तक नहीं किया. वह बताती है कि फोन की वजह से पढ़ाई से एकाग्रता खत्म हो जाती है. यह एक तरह का एडिक्शन है, जो चुपचाप टाइम को वेस्ट करवाता रहता है. कभी व्हाट्सऐप, कभी फेसबुक, कभी इंस्टाग्राम इन सबमें पूरा दिन वेस्ट होता है. ऐसे में मैंने पूरे साल इससे दूरी बनाई रखी और सिर्फ पढ़ाई पर फोकस किया. जो भी पढ़ा उसे समझा, डीप नॉलेज ली. शुभी के पिता धीरज और मां सुनीता बताते हैं कि बेटी की इस सफलता पर उन्हें गर्व हैं. शुभी का कहना है कि वह डॉक्टर बनना चाहती है.

प्रोफेसर बनने की ख्वाहिश

फार्म किड्स एकेडमी से ही 10वीं में 83.4 प्रतिशत मा‌र्क्स स्कोर करने वाली विशाखा शिक्षा की अलख जगाना चाहती हैं. प्रोफेसर बनने की चाहत रखने वाली विशाखा के पिता किसान हैं. वह कहती है कि मैं घर-घर में पढ़ाई की जरूरत और महत्व को समझाना चाहती हूं. बकौल विशाखा फिलहाल मेरा लक्ष्य 12वीं में और अधिक सफलता हासिल करना है. बिना संसाधनों के आगे बढ़ रही विशाखा ने 83.4 प्रतिशत मा‌र्क्स स्कोर करने में दिन-रात एक कर दिया. हर दिन 10 से 12 घंटे सिर्फ पढ़ाई को दिए. स्कूल में टीचर्स के नोट्स पर फोकस किया और जमकर सेल्फ स्टडी की. स्कूल प्रिंसिपल शर्मिला चिकारा कहती हैं कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी बेटियों की इस सफलता पर मुझे गर्व है.

प्रोफेसर बनने की तमन्ना

एमपीजीएस की शिवानी के हाईस्कूल में 95.8 मा‌र्क्स आएं है. शिवानी शास्त्रीनगर में रहती है और उसके पिता प्रदीप कुमार सब्जी बेचकर घर चलाते हैं. शिवानी ने बताया कि उसने जीवन में मेहनत करना अपने पिता से ही सीखा है. अब उसका अगला टारगेट पीसीएम के साथ इंटर की परीक्षा में बेहतर रैंक लाने का है. शिवानी ने बताया कि उसका सपना इंजीनियर बनने का है. इतना ही नहीं बकौल शिवानी जरूरतमंदों की मदद कर समाज से गरीबी मिटाना ही उसका मकसद है.

पिता का सपना करना है पूरा

कहते हैं कि गर्दिशों में सपने कभी नहीं मरते हैं कुछ लोग होते हैं जो इन्हीं सपनों के संवाहक बन जाते हैं ऐसी की कुछ कहानी संयम कुमार की है. जागृति विहार निवासी संयम कुमार केएल इंटरनेशनल के छात्र हैं. संयम के पिता पुष्पेंद्र एक बैंक में गार्ड हैं. संयम ने हाईस्कूल की परीक्षा में 91 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है. संयम ने बताया कि वह अभी तक बिना किसी ट्यूशन के पढ़ाई की है. साथ ही इंटर में वह पीसीबी के साथ टॉप करने का लक्ष्य बनाकर चलना चाहता है. संयम का कहना है कि वह डॉक्टर बनकर अपने पिता का नाम रोशन करना चाहता है.