-गीता प्रेस के सात बर्खास्त कर्मचारियों ने की आत्मदाह की कोशिश

GORAKHPUR: गीता प्रेस में कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच पिछले दो साल से चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को गीता प्रेस के आंदोलन ने सबसे भयानक रूप ले लिया। गीता प्रेस से बर्खास्त सात कर्मचारियों ने सोमवार को गेट के सामने लगभग 12.30 बजे आत्मदाह की कोशिश करते हुए अपने ऊपर मिट्टी का तेल गिरा लिया। हालांकि मौके पर मौजूद पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया, जिसके कारण वह खुद को आग नहीं लगा पाए। सातों कर्मचारियों को पुलिस पकड़कर राजघाट थाने लेकर चली गई। सिटी मजिस्ट्रेट ने उपस्थित अन्य कर्मचारियों को शांत कराया।

सुबह से ही गरम था माहौल

आत्मदाह की पूर्व में सूचना देने के कारण गीता प्रेस में सुबह से ही माहौल गरमा हुआ था। सुबह 9 बजे से ही गीता प्रेस गेट के सामने भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात हो गई थी। सुबह 10.30 बजे के करीब सिटी मजिस्ट्रेट और श्रम विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। इसके बाद प्रशासन और गीता प्रेस ट्रस्ट के बीच वार्ता होने लगी। सिटी मजिस्ट्रेट अभय कुमार मिश्र ने बताया कि हम लोग प्रबंधन को पूरे प्रकरण पर समझा भी रहे थे और उनको मानने की कोशिश भी कर रहे थे। कुछ हद तक बात दोनों के बीच बन भी गई थी।

यह है गीता प्रेस पूरा मामला

लगभग दो साल पहले गीता प्रेस के कर्मचारियों ने वेतनवृद्धि को लेकर आंदोलन किया था। इस आंदोलन के दौरान ही एक बार प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच झड़प हो गई थी, उसके बाद गीता प्रेस ट्रस्ट ने अनुशासनहीनता करने का आरोप लगाते हुए 17 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू कर दिया। इसके बाद यह आंदोलन लगातार चलता रहा। स्थिति यह हुई कि अगस्त 2015 में गीता प्रेस के इतिहास में पहली बार गीता प्रेस में उत्पादन कार्य बंद रहा। बाद में प्रशासन की मध्यस्थता में कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच समझौता हुआ और 12 कर्मचारी काम पर वापस बुला लिए गए। इस बीच गीता प्रेस प्रबंधन ने बीच-बीच में कर्मचारियों की निकालने का कार्य करते हुए लगभग 25 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद बर्खास्त कर्मचारियों ने फिर से आंदोलन की शुरुआत की और प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस दौरान बीच जब भी प्रशासन ने समझौता कराने की कोशिश की प्रबंधन इनको बुलाने पर विचार करने की बात कहता रहा। कुछ दिन पहले यह कर्मचारियों ने प्रशासन और प्रबंधन को 27 जून तक के लिए समय दिया था।