-गोविन्दनगर पुलिस ने वाहन चेकिंग में पकड़े तीन शातिर लुटेरे

-तीन दर्जन लूट की वारदातें कबूलीं, दो चेन और दो अंगूठी बरामद हुई

KANPUR : शहर में महिलाओं से नाम और पता पूछने के बहाने से लूट करने वाले तीन शातिर लुटेरों को पुलिस ने गुरुवार को दबोच लिया। जिसमें एक लुटेरा कुख्यात डकैत जग्गा का बेटा है। उसके जीवन पर आधारित पर एक मूवी भी बन चुकी है। तीनों लुटेरों ने करीब तीन दर्जन चेन स्नेचिंग समेत अन्य वारदात कबूली हैं। पुलिस उन्हें रिमाण्ड पर लेने की तैयारी की है, ताकि अन्य वारदात का खुलासा हो सकें।

ट्रिपलिंग करने में फंसे तीनों शातिर

एसएसपी के आदेश के तहत पिछले तीन दिनों से शहर में वाहन चेकिंग चल रही है। बुधवार को गोविन्दनगर के नन्दलाल चौराहे पर सीओ राघवेंद्र यादव फोर्स समेत वाहन चेकिंग कर रहे थे। तभी पुलिस को सामने से ब्लैक पल्सर बाइक आते हुए दिखायी दी। जिसमें तीन युवक बैठे थे। कांस्टेबल ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो वे बाइक को लहराते हुए भागने लगे। जिसे देख सीओ ने वायरलेस पर मैसेज किया, तो फोर्स ने घेराबन्दी कर पराग दूध डेरी रोड पर उनको पकड़ लिया। जिसके बाद तीनों की तलाशी ली गई, तो उनके पास से दो सोने की चेन, दो सोने की अंगूठी बरामद हुई। जिसका पता चलने पर सीओ ने तीनों से पूछताछ की, तो वे टूट गए। उन्होंने बताया कि ये लूट की चेन और अंगूठी है। जिसमें तीनों से एक चेन को किदवईनगर में तो दूसरी को स्वरूपनगर से लूटा था। वहीं अंगूठियां गोविन्दनगर से लूटी गई थी। एसएसपी केएस ईमेनुअल ने बताया कि तीनों लुटेरों की पहचान निराला नगर निवासी जय नारायण तिवारी के बेटे आशू तिवारी, राम प्रकाश के बेटे संदीप और केशवनगर निवासी राम वर्मा के बेटे रिषभ के रूप में हुई है।

सबसे शातिर निकला जग्गा का बेटा

गोविन्दनगर में पकड़े गए तीनों लुटेरों में आशु के पिता जय नारायण तिवारी उर्फ जगा कुख्यात डकैत रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने बुरे काम से तौबा कर लिया था। वह जेल से छूटने के बाद से फैमिली समेत निराला नगर में रहने लगे थे। उन पर फेमस मूवी 'मेरा गांव मेरा देश' भी बनी थी। अब वह अपराध के कोसों दूर है। उनके तीन बेटे अमित, आशु और आनन्द हैं। जिसमें अमित और आनन्द जॉब करते हैं, जबकि आशु बुरी संगत में पड़कर लुटेरा बन गया। उस पर पिता के बुरे काम का असर पड़ गया।

महिला और बुजुर्ग को करते थे टारगेट

पुलिस पूछताछ में तीनों लुटेरों ने करीब तीन दर्जन चेन स्नेचिंग समेत अन्य लूट की वारदात कबूली हैं। मीडिया कर्मियों के पूछने पर आशु ने बताया कि वे सिर्फ महिला और बुजुर्ग को ही टारगेट करते थे। वे उनको आसानी से लूटकर फरार हो जाते थे। वे महिला को रोककर किसी का पता पूछते थे। जैसे ही महिला उनको पता बताने लगती थी, तभी पीछे से उनका साथी चेन लूटकर भाग जाता था। अगर महिला विरोध करती थी, तो वे तमंचा दिखाकर उसे लूट लेते थे। वह राहगीर महिला को भी लूटते थे। वे इतने शातिर थे कि वे लगातार एक इलाके में लूट की वारदात नहीं करते थे। वे पुलिस से बचने के लिए अलग-अलग इलाके में वारदात करते थे। इसके अलावा वे वाहन चोरी भी करते थे। एसएसपी ने बताया कि आशु और संदीप पहले वाहन चोरी में भी जेल जा चुके हैं।

पुलिस से बचने को बेच दी बाइक

पुलिस ने साउथ में व्हाइट कलर की बाइक से लगातार लूट होने पर उसे चिंहित कर लिया था। जिसका पता चलने पर आशु ने तुरन्त बाइक को बेच दिया था। जिसके बाद उसने ब्लैक कलर की पल्सर बाइक चोरी की थी। जिसे वह लूट की वारदात करने में ही इस्तेमाल करता था। वह वारदात करने के बाद बाइक को किसी स्टैंड में खड़ा कर देता था।

स्मैक की लत ने बनाया लुटेरा

गोविन्दनगर में पकड़े गए तीनों लुटेरे स्मैक के लती है। वे बुरी संगत में पड़कर साथियों समेत किदवईनगर स्थित कंजड़नपुरवा जाने लगे। जहां पर वे साथियों के कहने पर स्मैक पीने लगे और धीरे-धीरे लती हो गए। आशु और संदीप ने बताया कि वे स्मैक खरीदने के लिए ही लूट करते थे। वे लूट करने के बाद चेन या अंगूठी के स्मैक बेचने वालों को दे देते थे। जिसके बाद वे उनसे स्मैक की पुडि़या लेते रहते थे। जब उनको स्मैक की पुडि़या मिलना बन्द हो जाती थी। तभी वे अगली लूट करते थे। उन्होंने बताया कि कजड़नपुरवा में नमीना, मुन्नी, सुरेश समेत कई स्मैक विक्रेता है। वहीं, रिषभ का कहना है कि वह स्मैक का लती है, लेकिन लुटेरा नहीं है। वह फ्री में स्मैक पीने के लिए आशु और संदीप के साथ रहता था। वह दोनों का काम करता था। जिसके एवज में वे उसे स्मैक की पुडि़या देते थे।