इन कारों पर किया क्रैश टेस्ट

महिंद्रा स्कॉर्पियो के अलावा हुंडई की इयॉन, मारुति की सुजुकी ईको और मारुति सेलेरियो के साथ रेनॉ क्विड के तीन मॉडल्स को इस टेस्ट में जीरो स्टार रेटिंग मिली है। अभी तक ग्लोबल एनसीएपी ने पिछले तीन साल में 16 गाडि़यों का क्रैश टेस्ट किया है। इनमें से टोयोटा और फॉक्सवैगन की सिर्फ  दो गाडि़यों ने वयस्कों के लिए सुरक्षा के लिहाज से 4 स्टार रेटिंग हासिल की है। क्रैश के बाद सातों गाडि़यों वयस्कों के लिए तैयार किए गए सुरक्षा मानकों पर बुरी तरह असफल साबित हुईं।

मारुति सेलेरियो को 1 स्टार

2016 में जिन 7 गाडिय़ों का क्रैश टेस्ट किया गया उनमें से 6 गाडि़यों ने बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से 2 स्टार रेटिंग और मारुति सेलेरियो ने 1 स्टार रेटिंग पाई है। जनवरी 2014 में भी ग्लोबल एनसीएपी के क्रैश टेस्ट में शामिल सभी भारतीय कारों को जीरो रेटिंग मिली थी। उस समय मारुति सुजुकी ऑल्टो 800, टाटा नैनो, फोर्ड फिगो, हुंडई आई 10 तथा फॉक्सवैगन की पोलो कार को इस टेस्ट में शामिल किया गया था।

सुरक्षा मानकों के विपरीत कंपनियों ने लॉन्च की कारें

ग्लोबल एनसीएपी के महासचिव डेविड वार्ड ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि भारत के लिए सुरक्षित कारों के आकलन के परिणाम बताते हैं कि टक्कर के दौरान वाहन के शेल का संतुलित रहना कितना जरूरी है। सुरक्षा के लिहाज से कारों की फिटमेंट और उनमें कम से कम एक एयरबैग का होना बहुत जरूरी है। यह हमारे लिए चौंकाने वाली बात रही कि रेनॉ ने इन मानकों के विपरीत क्विड को लांच किया है। इन कारों को 64 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पर क्रैश कराया गया था और ये क्रैश में बुरी तरह फेल हुईं।

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