आर्थिक मंदी का दिख रहा असर

पिछले तीन सालों से गिरती आर्थिक मंदी का असर एजुकेशन फील्ड में भी देखने को मिल रहा है। एजुकेशन हब की पहचान रखने वाली देहरादून भी आर्थिक मंदी की चपेट में है। यहां के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में बच्चों की गिरती संख्या इसका उदाहरण है। खासकर अदर स्टेट्स के स्टूडेंट्स की संख्या में तो काफी कमी देखने को मिल रही है। हालात यह है कि कई कॉलेजेज में विभिन्न कोर्सेज की सीट्स तक पूरी नहीं हो पा रही हैं। कुछ साल पहले तक इन्हें सीट्स पर वेटिंग में एडमिशन मिलता था, लेकिन अब तमाम प्रोत्साहन, फैसिलिटीज और छूट के बावजूद स्टूडेंट्स कॉलेज का रुख नहीं कर रहे हैं, जिससे कॉलेजेज को हर साल खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कोर्सेज बंद होने का सता रहा डर

एआईसीटीई के नियमों के हिसाब से जिस कॉलेज की ब्रांच में निर्धारित सीट्स में से पचास परसेंट सीट्स एडमिशन के वक्त फिल नहीं हो पाती हैं, तो ऐसी स्थिति में उस कोर्स को बंद कर दिए जाने के निर्देश हैं। अब इन हालातोंं में कॉलेजेज को अपने कोर्सेज बंद होने का डर भी सताने लगा है। इसलिए सभी कॉलेजेज इन इससे निपटने के लिए खूब हाथ पैर मार रहे हैं।

एडमिशन के लिए एजेंसीज कर रहे हायर

अभी सेशन स्टार्ट ही हुआ है और कॉलेजेज को नेक्स्ट ईयर के एडमिशंस की चिंता सताने लगी है। इंजीनियरिंग और बाकी प्रोफेशनल कोर्सेज की बात करें तो सभी में एडमिशंस में गिरावट आई है। इस गिरावट को कंट्रोल करने के लिए संस्थानों ने अभी से कमर कस ली है। अदर स्टेट्स में ये कॉलेजेज एडमिशन के लिए एजेंसीज हायर कर रही है। यहीं नहीं कॉलेज की टीम्ज स्कूल्स और कोचिंग सेंटर्स में भी संपर्क साध रही हैं।

लास्ट ईयर से भी कम एडमिशन

प्रोफेशनल कोर्सेज की बात करें तो बीएचएम, एमबीए, एमफार्मा, बीटेक, एमटेक और एमसीए जैसे सभी कोर्सेज में एडमिशन का ग्राफ गिरा है। पिछले साल तक इन सभी कोर्सेज में 11,000 से ज्यादा एडमिशन किए गए थे, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 10000 भी पार करता नहीं दिखा। इसके अलावा इसी साल स्टेट के चार कॉलेजेज ने एडमिशन कम होने के चलते अपनी ब्रांचेज भी सरेंडर की। सरेंडर होने वाली ब्रांचेज में आईटी, यानि एप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग(एईआई), इंस्ट्रूमेंट एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग (आईसीई)और इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग(ईईई )के नाम शामिल हैं।

अभी तक पूरे आंकड़े नहीं आए हैं, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस साल कम एडमिशन हुए हैं। कई कॉलेजेज एडमिशन न होने के चलते कोर्सेज भी सरेंडर कर चुके हैं। इसकी वजह मंदी के दौर में कोर्सेज में एडमिशन ही नहीं हो पाना है, जिसकी वजह से कोर्स सरेंडर करना मजबूरी है। उम्मीद है कि इस साल भी 10000 इंटेक हो जाएं।

- डा। आशीष उनियाल, डिप्टी रजिस्ट्रार, यूटीयू

इस साल तो एडमिशन की स्थिति काफी बेहतर रही, लेकिन मंदी और उत्तराखंड में आई आपदा के कारण इस बार एडमिशन का ग्राफ इफेक्ट होना लाजमी है। एडमिशंस को लेकर स्पेशल टीम्स बनाई गई है, एक हफ्ते के अंदर बाकी प्लान भी तय करके टीम्ज रवाना कर दी जाएंगी।

- रौनक जैन, वाइस प्रेसीडेंट, तुलाज इंस्टीट्यूट

National News inextlive from India News Desk