जर्जर हो गई बिल्डिंग व गैलरी

स्टेडियम की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। जेवीजी पेवेलियन टूटकर गिर रहा है। उसके ऊपर लगाई गई कुर्सी भी पूरी तरह से टूट गया है। मेन बिल्डिंग की रंगाई-पुताई तो की गई है, पर उसकी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। दर्शक दीर्घा में एक बार फिर से बड़े-बड़े घास निकल आए हैं। हालांकि ऑल इंडिया पुलिस फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान स्टेडियम के ग्राउंड व दर्शक दीर्घा को दुरुस्त किया गया था, लेकिन प्रॉपर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण उसकी स्थिति फिर खराब हो गई।

1960 में बना स्टेडियम

बिहार गवर्नमेंट ने 1960 में मोइनुलहक स्टेडियम बनवाया था, जिसके बाद यहां रणजी मैच होने लगे। 1995 में पहली बार हीरो कप में बीसीसीआई ने स्टेट को इंटरनेशनल मैच की मेजबानी दी। आईसीसी 1996 वल्र्ड कप का एक मैच भी यहां खेला गया था। 1990 के बाद यहां इंविटेशन टूर्नामेंट शुरू हुआ, जिसमें देश के सभी टॉप प्लेयर्स खेलने आते थे और यह करीब तीन साल तक चला।

1996 से शुरू हो गया पतन

1996 वल्र्ड कप के दौरान स्टेडियम बड़ा स्कोर बोर्ड और पेवेलियन बना। एक फ्रॉड कंपनी ने यह इंड बनाया था, जिसका कुछ दिन बाद ही आई आंधी में छत उड़ गया। 1998 के आस-पास दलीप ट्रॉफी के मैच यहां खेले जाने थे। इसके लिए ग्राउंड को भरा गया, जिसमें ग्राउंड को भरा तो गया, पर उसमें मिट्टी की जगह बालू का यूज किया गया। ड्रेनेज के लिए ग्राउंड में स्प्रींकल लगाया गया था। यह क्रॉस टाइप से लगा था, जिसके माध्यम से पाइप से होकर पानी ग्राउंड के बाहर निकल जाता था। मिट्टी भरने के दौरान उसे भी तोड़ दिया गया, जिससे ग्राउंड में पानी लगना शुरू हो गया.साइड स्क्रीन का स्क्रीन गायब

स्टेडियम के लिए बड़ा सा साइड स्क्रीन मंगाया गया था, पर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण इसका स्क्रीन खत्म हो चुका है। इस पर कपड़ा डालकर किसी तरह से मैच आयोजित कराया जाता है।

ग्राउंड में आ गई है दरार

ग्राउंड में बाउंड्री के पास बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। यदि प्लेयर्स का पैर इसमें फंसा तो टूटना तय है। इन गड्ढ़ों को भरने के लिए आयोजकों का इंतजार किया जाता है।

पिच की स्थिति ठीकठाक

स्टेडियम में पिच की स्थिति कुल मिलाकर ठीक है। लोकल मैच होने के कारण आयोजक खुद ही पिच को तैयार करते हैं। इसपर थोड़ा काम किया जाए, तो पिच वल्र्ड लेवल का हो जाएगा।

टूटकर दुबारा बनेगा स्टेडियम

हाल ही में सीएम नीतीश कुमार स्टेडियम को तोड़कर दुबारा बनाए जाने की घोषणा की है। इसके तहत सीआरपीएफ को वहां से हटने का फरमान भी जारी कर दिया गया है। अब स्टेडियम तोडऩे का काम कब से शुरू होगा, यह तो डिपार्टमेंट के लोग ही जानते होंगे।

नहीं है कोई क्यूरेटर

पिच को बनाने व उसके मेंटेनेंस के लिए कोई क्यूरेटर नहीं है। इस कारण पिच पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। स्टेडियम में हर समय कोई न कोई लोकल मैच होते रहते हैं। ऐसे में आयोजक अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए पिच का काम करवाते हैं।

पुलिस फुटबॉल ने किया उद्धार

हाल ही में ऑल इंडिया पुलिस फुटबॉल खेला गया था, जिसके अधिकतर मैच स्टेडियम में ही खेले गए। इस कारण स्टेडियम के दर्शक दीर्घा और आउट फील्ड को दुरुस्त किया गया था। यदि टूर्नामेंट के मैच स्टेडियम में नहीं खेले जाते, तो आउट फील्ड की स्थिति एकदम बुरी होती।

रणजी मान्यता सबसे बड़ी बाधा

स्टेट में इंटरनेशनल व आईपीएल का मैच नहीं होने का सबसे बड़ा कारण स्टेट को रणजी की मान्यता नहीं होना है। इस कारण स्टेट बीसीसीआई के सामने अपनी दावेदारी नहीं पेश कर पाता है। इसके बाद रही-सही कसर स्टेडियम की बदतर स्थिति पूरा कर देता है।

Problems

- पिच बनाने के लिए रोलर नहीं है, जबकि बीसीए के पास रोलर जंग खा रहा है।

- ग्रास कटर मशीन का छह महीने से अधिक से बेल्ट टूटा हुआ है, जिसे ठीक नहीं कराया गया।

- ड्रेनेज सिस्टम खराब हो चुका है।

- स्कोर बोर्ड टूटकर गिर रहा है।

- बैठने वाली सीट जर्जर हो चुकी है।

- ग्राउंड में बड़े-बड़े घास उग आए हैं। घास बैठने वाली सीट तक पहुंच चुकी है।

- ग्राउंड की देखभाल के लिए एक माली और एक ग्राउंड मैन है।

- स्टेडियम में सामान के रख-रखाव की सुविधा नहीं है।

- पिच का कवर नहीं है।

- ग्राउंड व बिल्डिंग की स्थिति बदतर

- साइड स्क्रीन का स्क्रीन खत्म तो स्कोर बोर्ड गायब

- सीएम ने तोड़कर फिर से बनाने की घोषणा की

- रणजी की मान्यता नहीं होने के कारण नहीं मिलती है मैच की मेजबानी

क्रिकेट के अलावा सबकुछ

मोइनुलहक स्टेडियम में क्रिकेट के अलावे सारे एक्टिविटीज हो रहे हैं। हाल ही में यहां क्रिकेट ग्राउंड में ऑल इंडिया पुलिस फुटबॉल खेला गया। तरंग स्पोट्र्स के तहत ग्राउंड में रंगारंग कल्चर प्रोग्राम किए गए। इसके अलावा एथलेटिक्स व दूसरे गेम भी यहां आयोजित किए जाते हैं। इन गेम्स के बहाने स्टेडियम में कल्चर एक्टिविटीज आयोजित किए जाते हैं।