ड्राइवर ने पहुंचाई पकड़

आठ जून को मथुरा रिफाइनरी स्थित ऑफिस जा रहे गेल के जीएम एसएस भटनागर अचानक अपनी जायलो गाड़ी और ड्राइवर के साथ लापता हो गए थे। उनकी तलाश में मथुरा की पुलिस टीम लगी हुई थी। वहीं, लखनऊ से डीजीपी स्तर पर भी एसटीएफ टीम को गेल इंडिया के जीएम को किडनैपर्स से मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस मामले में पुलिस को शुरू से ही ड्राइवर पहाड़ सिंह पर शक था। इसकी वजह भी थी कि उसके मोबाइल की लोकेशन घटना के कुछ दिन बाद उसके घर ग्वालियर में मिली थी। इससे पहले गेल इंडिया के जीएम को छोडऩे के लिए उसके पिता को फोन कर एक करोड़ रुपए की फिरौती की मांग की गई थी। पुलिस ने पहाड़ सिंह के दोस्त और रिफाइनरी में काम करने वाले रविंद्र से पूछताछ की तो कई अहम सुराग हाथ लगे।

मामा-भांजे का दिमाग

पुलिस के मुताबिक गेल के जीएम को किडनैप करने का प्लान पहाड़ सिंह के मामा मान सिंह का था। उसी की प्लानिंग के तहत पहाड़ सिंह ने अपने दोस्त रविंद्र को शामिल किया था। किडनैप कराने के अलावा पुलिस की कार्रवाई की लोकेशन देने की जिम्मेदारी रविंद्र को सौंपी गई। पहाड़ सिंह प्लान के तहत गेल के जीएम को किडनैप करने के बाद उसकी जायलो गाड़ी को उरई में लावारिस खड़ी कर दी। इसके साथ ही पहाड़ सिंह और मान सिंह ने एमपी में किडनैपिंग के लिए कुख्यात दिनेश से गेल के जीएम का सौदा कर लिया। यहां से उरई-जालौन के जंगलों में जीएम को दिनेश के गैंग के हवाले कर दिया गया। जीएम को दिनेश के सुपुर्द करने के बाद पहाड़ सिंह वापस अपने घर पहुंच गया।

एमपी पहुंचा दी पकड़

रविंद्र के जरिए पहाड़ सिंह के प्लान को ट्रेस कर रही एसटीएफ और मथुरा पुलिस ग्वालियर पहुंच गई। यहां पहाड़ सिंह को हिरासत में लेने के साथ उसके मामा मान सिंह से भी पूछताछ की। यहां उन्होंने गेल के जीएम को किडनैप करने और पकड़ का सौदा एमपी के बदमाश दिनेश से करने की बात कबूल ली। दिनेश ने ही जीएम एसएस भटनागर को रिहा करने के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की थी। इसके लिए उसने जीएम का मोबाइल फोन ही इस्तेमाल किया। इसके बाद जीएम के परिवारवालों से कोई संपर्क नहीं किया।

 किले में रखा

10 दिनों तक गेल के जीएम को एमपी के डाबरा स्थित रतनगढ़-देवगढ़ के किले में रखा गया। बकायदा उसकी रखवाली के लिए दिनेश के आदमी वहां मौजूद रहते थे। इस दौरान किडनैपर्स ने गेल के जीएम की तलाशी भी ली। इसमें उनके हाथ उसका एटीएम कार्ड लगा। इस एटीएम के जरिए 85 हजार रुपए निकाले। झांसी स्थित बैंक एटीएम से निकाली गई इस रकम से किडनैपर्स का सुराग पुलिस टीम को लगा। इसे ट्रेस करते हुए और इलाके में सक्रिय किडनैपर्स के गैंगों को पुलिस टीम ने जांच में किया। पुलिस को शक था कि इसमें इलाके का ही कोई बड़ा गैंग इनवॉल्व है। इस कड़ी में शक की सुई कई गैंग्स पर गई। दिनेश गैंग की मॉडस ऑप्रेंडी और पकड़ रखने के ठिकानों की तलाश में एमपी पुलिस की मदद से एसटीएफ और मथुरा पुलिस ने दबिश दी।

रिहा कराया जीएम को

एमपी में किडनैपिंग के कई मामलों को अंजाम देने वाले दिनेश और उसकी तलाश में छापे के दौरान टीम डाबरा जिले के रतनगढ़-देवगढ़ किले तक जा पहुंची। यह वही जगह थी जहां किडनैपर्स ही नहीं गेल इंडिया का जीएम भी उनकी गिरफ्त में मिले। खंडहर पड़े इस किले में पुलिस टीम ने किडनैपर्स को घेर लिया। साथ ही उनके कब्जे से गेल इंडिया के जीएम एसएस भटनागर को मुक्त करा लिया। पुलिस ने जीएम को बंधक बनाकर रखने वाले नौ बदमाशों को अरेस्ट कर लिया है।

 टिक्कड़ पर जिंदगी

10 दिन तक किडनैपर्स के चंगुल में रहे गेल इंडिया के जीएम एसएस भटनागर को रुखी-सूखी खाकर ही गुजारा करना पड़ा। किले में ही किडनैपर्स के हाथों से चूल्हे पर बनी टिक्कड़ नसीब होती थी। ज्वाला सिंह के किले में किडनैपर्स भी इसी टिक्कड़ से अपना पेट भरते थे। किडनैपर भी गेल इंडिया के जीएम के परिवार से हर हाल में रकम वसूलना चाहते थे। लेकिन, इसके लिए उसकी हत्या करने का उनका इरादा कतई नहीं था। एक करोड़ रुपए परिवार वालों से मांगने की बात पर भी एसएस भटनागर और किडनैपर्स के बीच कई बार बातचीत हुई। इस पर जीएम ने इतनी रकम देने में अपने परिवार की मजबूरी भी जाहिर की। आखिर किडनैपर्स का सरगना दिनेश उससे 70 लाख रुपए तक पर रिहा करने को तैयार हो गया था। बोला मैं भी किडनैप हो गया हूं

गेल के जीएम एसएस भटनागर को किडनैप करने के बाद पहाड़ सिंह ने रास्ते में एक और नाटक रचा। जायलो को उसने एक काले रंग की स्कॉर्पियो को टक्कर मार दी। टक्कर होते ही स्कॉर्पियो सवार से कुछ लोग उतरे और एसएस भटनागर के साथ पहाड़ सिंह को भी स्कार्पियो में बैठा लिया। स्कॉर्पियो में बदमाशों से घिरे जीएम से पहाड़ सिंह ने खुद के भी किडनैप होने की बात कही। इसके बाद पहाड़ सिंह और उसके मामा के शातिर दिमाग ने टक्कर होने और खुद को भी किडनैप होने की स्क्रिप्ट में जायलो गाड़ी को भी उरई पहुंचाने का ताना-बाना बुन रखा था। ताकि पुलिस टीम को भटकाया जा सके। साथ ही दोनों को किले तक पहुंचाने का प्लान किया। दो दिन बाद ही दिनेश ने गेल के जीएम को किले में रखने और पहाड़ सिंह की फिरौती आने की बात कह उसे जाने दिया। एसएस भटनागर को उसी समय महसूस हो गया कि उसको किडनैप कराने में पहाड़ सिंह भी शामिल था। टीम में शामिल एसएसपी एएटीएफ सतेन्द्र वीर सिंह अरविन्द, अम्बेश त्यागी, श्याम सुंदर, एसओजी प्रभारी आलोक शर्मा अनुज आदि थे।