रोजाना एक लाख का खपा रहे थे तेल

जीएमसी में डीजल और पेट्रोल के खर्चे में भारी गोलमाल चल रहा था। मानीटरिंग न होने की वजह से तेल में खूब खेल चल रहा था। जीएमसी के विभागों में चलने वाली व्हीकल्स और मशीनों की निगरानी न होने से कर्मचारी तेल के बहाने जीएमसी को चूना लगा रहे थे। कर्मचारियों की मानें तो पिछले फाइनेंसियल ईयर में पौने चार करोड़ का तेल खर्च आया है। इसमें अफसरों की गाड़ियां भी शामिल है।

न लाग बुक, न पेमेंट की डिटेल

जीएमसी में तेल का खेल खूब चल रहा था। कितनी गाड़ियां है, कितने पंपिंग स्टेशन हैं। कितने जनरेटर हैं। इनके बारे में किसी एक विभाग में सही जानकारी मौजूद नहीं है। हेल्थ डिपार्टमेंट सहित अन्य विभागों में तेल के खपत की कोई डिटेल नहीं रखी जाती है। हालत यह है कि लॉग बुक में इंट्री करने में भी कर्मचारियों ने हद दर्जे की लापरवाही दिखाई है। कर्मचारियों का कहना है कि 122 व्हीकल के साथ पंप और फागिंग कराने के लिए तेल लेना पड़ता है। तेल डालने के बाद कितना खर्च हुआ। कौन सी गाड़ी कहां आई गई इत्यादि सवालों का कोई जवाब किसी विभाग में मौजूद नहीं है।

खेल रोकने को तेल का हुआ बंटवारा

तेल की खपत से परेशान अफसरों ने इस पर नकेल कसने के लिए सभी विभागों को अलग अलग बांट दिया है। पहले तेल के लिए निर्धारित बजट में सभी को बिल के अनुसार पेमेंट कर दिया जाता था। लेकिन अब इस खेल को रोकने लिए हेल्थ डिपार्टमेंट, जलकल, कंस्ट्रक्शन, लाइट्स, हेल्थ और निगम प्रशासन को अलग- अलग बांट दिया गया है। इन विभागों में तेल के खर्च का ब्यौरा देने के बाद भी बिल का पेमेंट होगा। इसके लिए सभी विभागों को कड़े निर्देश दिए गए हैं।

25 लाख के बकाये में कई बार रुका तेल

कर्मचारियों का कहना है कि चार दिनों से तेल की प्राब्लम चल रही है। सिटी में तीन पेट्रोल पंपों नौसढ़, गोलघर और मोहद्दीपुर से जीएमसी गाड़ियों में तेल भराया जाता है। गोलघर के पेट्रोल पंप से लाइट्स, जलकल और अफसरों की व्हीकल में तेल पड़ता है जबकि नौसढ़ के एक पंप से हेल्थ डिपार्टमेंट की गाड़ियों में तेल पड़ता है। चार जुलाई को नौसढ़ के पंप का बकाया 25 लाख से अधिक होने की वजह से तेल देने से मना कर दिया था। इसके पहले तीन बार तेल की सप्लाई बंद हो चुकी है।

तेल के मामले में सीरियसली वर्क किया जा रहा है। बरसात को देखते हुए अलग से इंतजाम किया गया है जिससे कोई प्राब्लम नहीं होगी। कर्मचारियों को रिकार्ड दुरुस्त करने को कहा गया है। अब किसी प्रकार की मनमानी नहीं चलेगी।

गोपीकृष्ण श्रीवास्तव, डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर