आईएफएबी ने इस नई सुविधा के लिए दो प्रणालियों को हरी झंडी दिखाई है जिसमें से एक कैमरों के और दूसरा गेंद में लगे सेंसर के आधार पर काम करते हैं। दरअसल ये वो तकनीक है जिसके जरिए फुटबॉल के मैदान पर खड़े रेफरी अनिश्चितता की स्थिति में उच्च तकनीक की मदद से ये पता लगा पाएंगे कि शॉट मारे जाने पर बॉल गोल लाइन के पार गई या नहीं।

विश्व फुटबॉल के प्रमुख सेप ब्लैटर ने कहा कि उन्हे इस तकनीक का प्रयोग फुटबॉल में किए जाने का विचार 2010 विश्व कप के दौरान आया जब इंग्लैंड के एक महत्वपूर्ण गोल को गलत घोषित कर दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल एसोसिएशन बोर्ड वर्ष 2012-2013 में होने वाले प्रीमियर लीग मैचों में 'गोल-लाइन टेक्नोलॉजी' की शुरुआत कर सकता है।

हॉक आई और गोल रेफ

गोल-लाइन के लिए जरूरी ‘हॉक आई’ और ‘गोल रेफ’ तकनीक को सबसे पहले दिसंबर महीने में होने वाले फीफा विश्व कप में लागू किया जाएगा। इसमें सफल होने के बाद इसे 2013 के कन्फेडेरेशन्स कप और 2014 फीफा विश्व कप में भी लागू किया जा सकता है।

प्रीमियर लीग ने अपने एक बयान में कहा है, ''अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल एसोसिएशन बोर्ड लंबे समय से इस गोल-लाइन टेक्नोलॉजी की वकालत करता आया है और हम चाहते हैं कि ये नियम जल्द से जल्द लागू हो.''

लीग ने आगे कहा, ''हम अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल एसोसिएशन बोर्ड के फैसले का स्वागत करते हैं और निकट भविष्य में हॉक-आई और गोल-रेफ तकनीक के प्रदाताओं से गोल-लाइन टेक्नोलॉजी जल्द से जल्द लागू करने के संबंध में बातचीत करेंगे.''

हालांकि फुटबॉल एसोसिएशन के महासचिव एलेक्स हॉर्न ने ये भी कहा कि ये तकनीक कब तक लागू करना है इस संबंध में आखिरी फैसला प्रीमियर लीग करेगा और हो सकता है कि इसे लागू करते-करते दिसंबर तक का समय लग जाए।

प्राथमिकता

वैसे फुटबॉल एसोसिएशन की प्राथमिकता जापान में होने वाला फीफा क्लब वर्ल्ड कप है। एलेक्स हॉर्न का कहना था, ''प्रीमियर लीग को इस संबंध में दोनों सेवा देने वाली कंपनियों और क्लबों से बातचीत करनी होगी। जहां तक मैं समझता हूं, इन क्लबों

का रवैया काफी सहयोगी है। सैद्धांतिक रुप से जब तक सभी क्लबें इसके लिए राजी होंगी हम क्रमवार तरीके से इसे लागू कर पाएंगे। ये 2013 -14 के सत्र के शुरु होने से पहले ही हो जाएगा.''

ये पूरी प्रक्रिया एक फुटबॉल मैच के दौरान किसी असामान्य स्थिति में टेक्नोलॉजी के जरिए रेफरी की मदद करेगा। हालांकि हर स्टेडियम में लगाए जाने के बाद इन नई प्रणालियों की जांच जरूरी होगा, और हर तकनीक को एक साल का लाईसेंस दिया जाएगा।

प्रेरणा

फीफा ने मई महीने में साउथ एम्पटन के सेंट-मेरी स्टेडियम में हॉक-आई की जांच में मदद करने के लिए फुटबॉल एसोसिएशन का धन्यवाद किया है। गोल-लाइन टेक्नोलॉजी की शुरुआत करने की ज़रुरत तब काफी प्रबल हो गई थी जब यूरो 2012 में मैच के दौरान यूक्रेन को इक्वेलाइज़र दागने का मौका नहीं दिया गया था।

इस घटना ने फीफा के अध्यक्ष सेप्प ब्लैटर पर इस टेक्नोलॉजी को लागू करवाने के लिए प्रेरित किया। इस प्रणाली के तहत हर गोल-लाइन के पीछे अलग से एक अधिकारी को खड़ा किया जाएगा ताकि वो बढ़िया से खेल के दौरान अपनी नज़रें जमा कर रख सकते है।

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