यमराज हैं मृत्यु के देवता
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यमराज हैं मृत्यु के देवता। मनुष्य के जीवन मरण का लेखा जोखा उन्हीं के पास रहता है। इसीलिए माना जाता है की प्राण लेने का कार्य यमराज ही करते हैं। ऐसे में जाहिर है कि ये संदेश भी वही भेजते हैं।

क्या है संदेश भेजने की कथा
कहते हैं कि पहले इन संदेशों के बारे में किसी को नहीं मालूम था हालाकि यमराज हमेशा से ही मृत्यु के संदेश भेजते रहे हैं। इस बारे में पता तब चला जब एक व्यक्ति जो मृत्यु से बहुत डरता था, उसने यमराज को घोर तपस्या करके प्रसन्न किया और अमरता का वरदान मांगा। यमराज ने ऐसा वरदान देने से मना कर दिया। इस पर उस व्यक्ति ने का कि ठीक है वो मृत्यु से पहले उसे संकेत दे दें। यमराज ने कहा की ठीक है वो उसे चार संदेश भेजेंगे। संदेशों की प्रतीक्षा में उस व्यक्ति ने पूजा अर्चना सब छोड़ कर विलास में जीवन बिताना शुरू कर दिया। अंत में जब वो बेहद वृद्ध और जर्जर हो गया तो यमराज उसके प्राण लेने आये। उस व्यक्ति ने कहा कि वे उसे कैसे ले जा सकते हैं उन्होंने संदेश तो भेजे ही नहीं तब यमराज ने उसे याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने चारों संदेश भेजे थे।

ये चार संकेत मिले तो समझें आ गया यमराज का बुलावा

क्या हैं मृत्यु के संकेत
यमराज ने बताया कि उसके बाल सफ़ेद होना था पहला संकेत, दांत टूटना था दूसरा संकेत, आंखों की रौशनी कम होना तीसरा संकेत था और अंगों का शिथिल हो जाना चौथा संकेत था। चारों संदेशों को प्राप्त करके भी जो व्यक्ति समझ नहीं पाया और उसने अपने अधूरे काम और मोक्ष प्राप्ति का प्रयास नहीं किया उसके लिए वो क्या कर सकते हैं। तो वृद्धावस्था में पहुंच कर प्राण निकलने तक इंसान को सदैव ये चार संकेत मिलते हैं, और उसे उनको पहचान कर अपने दायित्व और कृतव्य पूरे करने चाहिए।

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