-शहर में एकदम से गिरी सोने-चांदी की बिक्री, साल के इस वक्त दो गुनी होती थी बिक्री

-चुनाव आयोग की सख्ती बनी कारण, ज्यादा कैश लेकर चलने से डर रहे हैं लोग

-कानपुर के आसपास के दर्जन भर जिलों में सर्राफा कारोबार प्रभावित

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KANPUR : चुनाव आयोग की सख्ती का असर केवल नेताओं या पॉलिटिकल पार्टीज पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि इससे कॉमन मैन और शहर का अरबों रुपए का कारोबार भी प्रभावित हो गया है। शहर का सर्राफा व्यापार तो औंधे मुंह गिर पड़ा है। ऐसा सर्रार्फा व्यापारियों का कहना है। जबकि सहालग, नवरात्रि और गोल्ड व सिल्वर के दामों में कमी होने के कारण इन दिनों बिक्री आम दिनों से दो-तीन गुना होनी चाहिए थी। ये चुनाव आयोग की सख्ती का ही नतीजा है। व्यापारियों के अनुसार इसके लिए ज्यादा कैश लेकर चलने पर लगी पाबंदी जिम्मेदार है। क्योंकि सिटी में गोल्ड-सिल्वर का 90 परसेंट से अधिक ट्रांजेक्शन कैश में होता है।

कैश जब्त होने का खौफ

चुनाव आयोग कैश ट्रांजक्शन पर कड़ी निगाह रखे हुए है। भ्0 हजार रुपए से ऊपर कैश लेकर जा रहे लोगों पर नजर रखी जा रही है। आयोग के निर्देश हैं कि भ्0 हजार से ऊपर के एमाउंट के यूज के कागजात होने चाहिए। आयोग की सख्ती के चलते सिटी में पुलिस व इनकम टैक्स की टीमें भी सख्त हो गई हैं। सिटी में जमकर चेकिंग चल रही है। चेकिंग में लाखों रुपए पकड़े भी जा चुके हैं।

ब्0 परसेंट गिरा बिजनेस

नयागंज के सर्राफा कारोबारी महेश चंद्र अग्निहोत्री ने बताया कि चुनाव आयोग की सख्ती की वजह से ब्0 परसेंट तक बिजनेस गिर गया है। कारण ये है कि सर्राफा बाजार में 90 प्रतिशत काम कैश ट्रांजेक्शन से होता है। सिर्फ क्0 प्रतिशत लोग ही क्रेडिट कार्ड या चेक से भुगतान करते हैं। आयोग की सख्ती की वजह से खरीददार और व्यापारी भ्0 हजार से ज्यादा की रकम लेकर चलने में डर रहा है। जबकि सर्राफा कारोबार में भ्0 हजार बहुत छोटी रकम है। मामूली खरीददार भी क् लाख तक की एमाउंट लेकर आता है।

ये तो सेल बढ़ने का टाइम है

सर्राफा मार्केट एक्सपर्ट विकास मिश्रा कहते हैं कि साल का ये टाइम गोल्ड और सिल्वर की खरीद का पीक टाइम है। इसके तीन रीजन हैं। पहला कि हाल में गोल्ड व सिल्वर के रेट गिर गए हैं। दूसरा सहालग का टाइम है। तीसरा नवरात्रि के समय लोग गोल्ड व सिल्वर की परचेसिंग ज्यादा करते हैं। इन तीन कारणों से इस समय सेलिंग जबरदस्त होनी चाहिए थी। लेकिन इसके उलट सेलिंग नार्मल डेज से भी ब्0 प्रतिशत तक गिरी हुई है।

होली के बाद गिरे गोल्ड-सिल्वर रेट

सर्राफा व्यापारी जीतेश मिश्रा ने बताया कि होली के बाद गोल्ड और सिल्वर के रेट में गिरावट आई है। मार्केट एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक होली के बाद इंटरनेशनल मार्केट में रुपये की हालत सुधरी है। पहले एक डॉलर में म्ख् रुपये कस था। जबकि हाल में म्0 रुपये है। सोने के रेट कम हुए हैं। ऐसे कारण से सेल हमेशा बढ़ जानी चाहिए थी।

--एक नजर दामों पर---

होली के पहले रेट

सोना- फ्क्भ्00 रुपया प्रति क्0 ग्राम

चांदी- ब्म्भ्00 रुपया प्रति किलो

इस समय के रेट

सोना- ख्9क्00 रुपया प्रति क्0 ग्राम

चांदी- ब्फ्800 रुपया प्रति किलो

कब-कब होती है सेल में बढ़ोत्तरी

सहालग में सेल वृद्धि- ख्0-फ्0 परसेंट

नवरात्रि में सेल वृद्धि- क्0-ख्0 परसेंट

स्टॉक नहीं कर रहे व्यापारी

सर्राफा व्यापारी गोल्ड व सिल्वर का स्टॉक भी नहीं कर रहे हैं। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक पहला डर तो चुनाव आयोग का है। गोल्ड व सिल्वर लेकर निकलने पर पुलिस के द्वारा पकड़े जाने की संभावना रहती है। दूसरा कि अगली सरकार में रुपये की हालत और सुधरने के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं करीब फ्-ब् परसेंट तक एक्साइज ड्यूटी में भी छूट मिलने की संभावना है। जिससे गोल्ड व सिल्वर के रेट और कम हो जाएंगे। इसलिए व्यापारी चुनाव बाद ही स्टॉक करने की सोच रहे हैं।

कानपुर और आसपास के क्ख् जिले प्रभावित

कानपुर पूरे यूपी के सर्राफा बाजार का हब है। कानपुर से आसपास के क्ख् जिले जुड़े हुए हैं। जहां का व्यापारी कानपुर से गोल्ड व सिल्वर परचेस करता है। ये व्यापारी भी आयोग के डर से शहर नहीं आ रहे हैं।

'पार्ट-पार्ट' का फंडा

प्रॉब्लम जितनी बड़ी हो। कनपुरिया लोग कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। आखिर हमारे पास जुगाड़ फार्मूला जो है। चुनाव आयोग की कैश ट्रांजेक्शन पर सख्ती से बचने के लिए कुछ खरीददारों ने फंडा निकाल लिया है। बिरहाना रोड में ख् लाख की ज्वेलरी खरीदने आए विजय शर्मा ने बताया कि भ्0 हजार से कम की एमाउंट लेकर वे अपने ब्-भ् दोस्तों के साथ अलग-अलग निकले। फिर शॉप में आकर पैसा दे दिया। व्यापारी और रेगुलर खरीददार इस टेक्निक को 'पार्ट-पार्ट' का फंडा कहते हैं।

कौन से कागज लेकर चलें.?

महानगर सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री पंकज अरोड़ा ने बताया कि चुनाव आयोग की सख्ती की वजह से मार्केट बुरी तरह से डाउन है। छोटे व्यापारी से लेकर बड़े तक सब कैश लेकर चलने में डर रहे हैं। पुलिस ने इसे भी वसूली का जरिया बना लिया है। कैश की क्वेरी करने के लिए व्यापारी को बार-बार दौड़ाया जाता है। आखिर व्यापारी कौन सी कैश बुक लेकर चले। मसलन बहन की शादी के लिए मात्र दो लाख कैश लेकर ज्वेलरी खरीदने जा रहा व्यक्ति आखिर कौन सा कागज पुलिस को दिखा दे? या फिर टेंट हाउस को 7भ् हजार रुपए पेमेंट करने जा रहा पर्सन पुलिस को क्या कागज दिखाएगा? व्यापारियों का कहना है कि प्रशासन को इसका हल निकालना होगा। पीक टाइम होने के बाद भी सेल डाउन जा रही है।

---वर्जन---

कैश लेकर चलने पर जब व्यापारी या आम पब्लिक पकड़ी जाती है, तो उससे क्0 तरह के सवाल व कागज मंगाए जाते हैं। उसे बुरी तरह से परेशान किया जाता है। जिसकी डर से लोग कैश लेकर नहीं चल रहे हैं। जिसका सीधा असर सर्राफा बाजार पर पड़ रहा है। सेल ब्0 परसेंट तक गिर गई है।

-अजीत ओमर, कोषाध्यक्ष, महानगर सर्राफा एसोसिएशन

चुनाव आयोग की सख्ती ने सर्राफा बाजार की हालत खराब कर दी है। ज्वैलरी खरीदने के लिए निकला आदमी क् लाख तो लेकर चलता ही है। ऐसे में पुलिस उसे धर लेती है। सर्राफा कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

-सैय्यद अतहर, मैनेजर, काशी ज्वैलर्स

अप्रैल ख्0क्फ् में सोने के दाम गिरे थे। तब सर्राफा कारोबार में करीब भ्0 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई थी। लोग मार्केट में गोल्ड व सिल्वर लेने के लिए उमड़ पड़े थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। आयोग के निर्देश पर पुलिसिया सख्ती ही इसका कारण है।

-पंकज अरोड़ा, महामंत्री, महानगर सर्राफा एसोसिएशन

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इन कारणों से बढ़नी चाहिए थी बिक्री

क्। सहालग होने के कारण नार्मल दिनों से दो गुनी गोल्ड सेल होनी चाहिए थी।

ख्। डॉलर के मुकाबले रुपए के मजबूत हो जाने के कारण भी सेल बढ़ जानी चाहिए थी।

फ्। नवरात्रि होने के कारण भी सेल नार्मल दिनों से ज्यादा होनी चाहिए थी

ब्। मार्च में क्लोजिंग होने, फाइनेंशियल इयर का एंड होने के कारण भी ज्यादा बिक्री होनी चाहिए थी। ज्वेलर्स खुद प्रमोट करते हैं।

लेकिन हुआ ये

क्। शहर में गोल्ड की 90 परसेंट से ज्यादा सेल और परचेज कैश में ही होती है।

ख्। लेकिन लोक सभा चुनावों की आचार सहिंता लागू होने के कारण भ्0 हजार रुपए से ज्यादा कैश लेकर चलने पर मनाही

फ्। चेकिंग में बिना प्रॉपर कागजों के ज्यादा कैश पकड़े जाने पर जब्त होने, सख्त कानूनी कार्रवाई का खतरा

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