एक माह बाद डिपार्टमेंट गया था एसएस पाल, साथी के साथ खाना खाने से कर दिया था इंकार

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट एसएस पाल द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर जान दे देने के बाद कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इविवि कैम्पस से लेकर हास्टल तक जो चर्चाएं हैं। उसमें शामिल छात्रों का एक वर्ग मेधावी छात्र द्वारा उठाए गए आत्मघाती कदम के पीछे सिर्फ मानसिक परेशानी को कारण नहीं मान रहा है। गुरुवार को एएन झा हास्टल में घटी घटना के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने मृतक छात्र के हास्टल पहुंचकर पूरे मामले की पड़ताल की।

स्कालरशिप के पैसे को लेकर तनाव

मृतक छात्र के डिपार्टमेंट जेके इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाईड फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी में रिसर्च कर रहे एक शोध छात्र ने बताया कि उनका और एसएस पाल का शोध में दाखिला एक साथ सितम्बर 2016 में हुआ था। साथी छात्रों की माने तो स्कॉलरशिप का पैसा समय से न मिलने के कारण मृतक आर्थिक तंगी से तनाव में रहता था। शोध छात्र ने दावा किया कि उसे नवम्बर 2017 से ही स्कालरशिप के 08 हजार रुपए नहीं मिले थे। जूनियर्स के बीच पाल सर के नाम से चर्चित मृतक के कुछ साथियों का दावा है कि वह एक माह बाद गुरुवार को जेके इंस्टीट्यूट अपने गाइड प्रो। आरआर तिवारी से मिलने गया था। वहां से लौटने के बाद से ही वह काफी परेशान था। यहां तक की उसने हास्टल के अपने कमरे पर अपने एक अन्य साथी के साथ खाना खाने तक से इंकार कर दिया था और खुद को कमरे में बंद कर लिया था।

मानसिक समस्या को बता रहे कारण

बता दें कि शुक्रवार की शाम को मृतक के कमरा नम्बर 103 के आसपास रहने वाले छात्रों को पता चला था कि पाल सर ने फांसी लगाकर जान दे दी है। एयू एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस का मानना था कि चूंकि, उसका काफी समय से मानसिक समस्याओं को लेकर इलाज चल रहा था। यही उसके आत्महत्या की वजह हो सकती है। एयू एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक पाल के माता पिता नहीं है। घर में बहन समेत जो भी लोग हैं। वह पाल से संबंध नहीं रखते थे। जिससे वह काफी परेशान रहता था।

मिलता सपोर्ट तो सबके बीच होते गोल्ड मेडलिस्ट पाल सर

पाल के साथी छात्रों का कहना है कि इन दिनों वह काफी स्वस्थ हो चुका था। ऐसे में अचानक से ऐसा कदम उठाना समझ से परे है। पाल के साथी उसकी मेधावी सोच और शैक्षिक कार्यो की सराहना करते नहीं थकते। एक जूनियर ने कहा कि पॉल सर उसे पढ़ाई में आ रही कठिनाईयों को लेकर हमेशा गाइड किया करते थे। यदि वे वाकई मानसिक रूप से बीमार थे तो उनका बेहतर एकेडमिक रिकार्ड कैसे काम करता रहा? छात्रों का कहना है कि दुनिया में यतीमों जैसी जिंदगी जीने को विवश पाल सर को विवि से बेहतर एकेडमिक, फाईनेंसियल समेत अदर सपोर्ट मिलता, इलाज समेत जीने की राह मिलती तो आज वह हम सबके बीच होते।

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा। मैं किसी कारणवश अंतिम संस्कार में नहीं जा सका। वह अच्छा लड़का था। एक माह बाद वह विभाग में आया था। विभाग से उसे पूरा सपोर्ट था। पैसा रोकने जैसी बात नहीं होती। यूनिवर्सिटी से प्रॉसेस होने में ही टाईम लग जाता है कभी कभी।

प्रो। आरआर तिवारी,

मृतक शोध छात्र के गाइड

दारागंज में हुआ अंतिम संस्कार

उधर, शुक्रवार की शाम दारागंज स्थित विद्युत शवदाह गृह में एसएस पाल का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान फाइनेंस ऑफिसर प्रो। एनके शुक्ला, चीफ प्रॉक्टर प्रो। आरएस दुबे, डीएसडब्ल्यू प्रो। हर्ष कुमार, जेके इंस्टीट्यूट के एचओडी प्रो। नरसिंह, विभाग के कर्मचारी और छात्र मौजूद रहे। अंतिम समय पर मौके पर जमा कई शिक्षकों और छात्रों की आंखों से आंसू छलक पड़े। एएन झा हास्टल के सुपरिटेंडेंट प्रो। सुनीत द्विवेदी ने बताया कि अंतिम संस्कार का पूरा खर्च विवि के बजट से किया गया। मृतक के परिवार से कोई नहीं पहुंचा था।