चीन निकला आगे
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के ग्लोबल हेड (मेटल्स) जेरेमी ईस्ट ने कह है कि इंडिया और चीन में इस समय बहुत ही तगड़ा कॉम्पटीशन चल रहा है. इसके साथ ही चीन इस साल इंडिया को पीछे छोड़कर दुनिया में गोल्ड का सबसे बड़ा कंज्यूमर बन गया है और अगले साल भी चीन गोल्ड की जोरदार खरीदारी कर सकता है. दूसरी तरफ इंडिया अपनी खरीदारी से ग्लोबल मार्केट में बड़ा असर डालने वाला देश नहीं रह गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) काबू करने के लिये सोने के इंपोर्ट पर सरकार की तरफ से लगाई गई बंदिशें हैं. हालांकि CAD में कमी आने पर सरकार ने अपनी सख्त पॉलिसी को थोड़ा उदार बनाया है.

अमेरिका में भी बढ़ी डिमांड

आर्थिक स्थितियों में सुधार आने के वजह से अमेरिका में ज्वैलरी की डिमांड बढ़ने पर सोने की कीमत में बना बेयरिश ट्रेंड 2015 में खत्म हो सकता है और इसमें तेजी की शुरूआत हो सकती है. ईस्ट ने बताया,'चीन के सोने की खरीदारी करते रहने, इंडिया की डिमांड में सुधार आने और अमेरिका में डिमांड बढ़ने पर सोने के दाम में मजबूती आ सकती है. सोने को लेकर इंडिया और चीन में कॉम्पटीशन हो सकता है.' गौरतलब है कि 3-4 साल पहले सोने के ग्लोबल मार्केट में चीन की डिमांड इतनी नहीं थी कि उससे कीमतों में फर्क पैदा हो. लेकिन अब यह दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड कंज्यूमर हो गया है. चीन ने 2011 से 2013 के बीच 1400 टन गोल्ड का इंपोर्ट किया है.

डॉलर में मजबूत सोने के लिये हानिकारक

इसके अलावा ईस्ट ने कहा,'मेरे हिसाब से अगले साल सोने की कीमतों में मजबूती आ सकती है. हालांकि मुझे नही लगता कि इसकी कीमत फिर 1900 डॉलर प्रति औंस तक जायेगी. इनवेस्टर्स की ओर से डिमांड में स्थिरता आ गई है.' फिलहाल ईस्ट ने सोने की कीमतों के लिये कोई टारगेट नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने यह जरूर माना कि डॉलर में मतबूती और ऊंचा इंटरेस्ट रेट सोने की सेहत के लिये सही नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा कि चीन में कंजम्पशन में नाटकीय ढ़ंग से तेजी आने से गोल्ड मार्केट पर असर के मामले में इंडिया की प्रासंगिकता घटी है.         

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