खुशियां लेकर आया telegram
मानगो डिमना रोड निवासी पी पांडेय के लिए टेलीग्राम खुशियां लेकर आया। उन्होंने जॉब के लिए अप्लाई किया था, जिसका इंटरव्यू 27 जुलाई को होना है। सिटी स्थित टेलीग्राम ऑफिस में अंतिम दिन जो टेलीग्राम आया उसमें एक उनके नाम का भी था। वे इस टेलीग्राम को पाकर काफी खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि टेलीग्राम सर्विस बंद होना दुख की बात है, लेकिन क्या किया जा सकता है। पी पांडेय किसी काम के सिलसिले में वे सिटी से बाहर गए हैं। इस कारण उन्होंने फोन पर ही खुशी जाहिर की।

अंतिम दो दिन बंद रहा office
बिष्टुपुर मेन पोस्टऑफिस के पास बीएसएनएल का टेलीग्राम ऑफिस था, जहां से टेलीग्राम भेजा जाता था। वैसे तो पूरी कंट्री में संडे की मार्निंग 8 बजे से रात 9 बजे तक काम हुआ, लेकिन सिटी में लोगों को यह बेनिफिट नहीं मिल सका। 13 जुलाई को सेकेंड सैटरडे होने के कारण और 14 जुलाई को संडे होने के चलते टेलीग्राम ऑफिस पूरी तरह बंद रहा।

120 telegram पहुंचे city
सैटरडे को थोड़ी देर के लिए बड़ा बाबू ऑफिस पहुंचे और आने वाले टेलीग्राम को रिसीव किया। सिटी में अंतिम दिन यानी सैटरडे 13 जुलाई को सबसे ज्यादा 120 टेलीग्राम पहुंचे। इनमें ज्यादातर मुंबई के थे। इसके अलावा 49 टेलीग्राम झारखंड के गोड्डा व देवघर सहित अन्य शहरों के थे। सिटी से बहुत कम टेलीग्राम भेजे जा रहे थे। हालांकि इसके बंद होने के अनाउंसमेंट के बाद से इसमें थोड़ी तेजी आयी थी। पहले जहां एक से दो टेलीग्राम भेजे जाते थे, वह बढक़र तीन से चार हो गया। हालांकि बाहर से टेलीग्राम आने का फ्लो बेहतर रहा।

पहले थी 24 hour service
बिष्टुपुर स्थित टेलीग्राम ऑफिस में वर्ष 1977 से काम कर रहे हेड क्लर्क यानी बड़ा बाबू बी राम कहते हैं 20 साल पहले तक सिटी में 24 घंटे की टेलीग्र्राम सर्विस थी, जो बाद में बदल गई। उस वक्त काम में काफी तेजी थी। मैसेंजर बीके सिंह को भी फुर्सत नहीं थी, लेकिन अब वह बात नहीं रही। बुकिंग क्लर्क बी प्रसाद को भी इस सर्विस के बंद होने का दुख है।

Income कम व खर्च ज्यादा था
भारत संचार निगम लिमिटेड के जीएम बीएन सिंह कहते हैं कि टेलीग्राम था तो बेहतर, पर इंटरनेट के दौर में इसकी महत्ता कम हो गई थी। लोग टेलीग्राम कम करते थे, जिस कारण इनकम कम व खर्च ज्यादा हो रहा था। यह उस वक्त जरूरी था जब सूचना भेजने का कोई साधन नहीं था। ऐसे में गवर्नमेंट ने जो डिसीजन लिया है वह सही है।

'टेलीग्राम अच्छी चीज था। यह बंद हो रहा है। आज के फास्ट लाइफ में इसकी यूटिलिटी नहीं रह गई है। इसपर खर्च ज्यादा और इनकम कम था। इसलिए गवर्नमेंट ने जो किया ठीक ही किया है.'
-बीएन सिंह, जीएम, बीएसएनएल

'अब टेलीग्राम कम हो रहा था, लेकिन फिर भी  इसके बंद होने का असर तो पब्लिक पर पड़ेगा ही। लंबे समय तक टेलीग्राम से जुड़ा रहा, इस कारण इसके बंद होने की तकलीफ तो है ही.'                                
-बी राम, हेड क्लर्क टेलीग्र्राम ऑफिस

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