उन्होंने कहा कि वो जनता को संदेश देना चाहते थे कि अब 28 सीटों से काम नहीं चलेगा और अगर जनता चाहती है कि आप की सरकार दिल्ली में आए तो जनता को हमें 50 सीटें देनी होंगी.

अरविंद केजरीवाल ने फिर से दोहराया है कि उन्होंने इस्तीफ़ा देने में जल्दबाज़ी की और उनकी दूसरी ग़लती थी त्यागपत्र देने से पहले लोगों से इस बारे में विचार विमर्श न करना.

'कोई चारा नहीं था'

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने ये बात टीवी चैनल सीएनएनआईबीएन के गूगल हैंगआउट के दौरान कही. उनसे एक व्यक्ति ने सवाल पूछा था कि लोगों के भीतर ये भावना है कि आप भगोड़े हैं और जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं करना चाहते.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब लोकपाल के मामले पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी मिल गए तो उन्हें लगा कि उनके पास कोई चारा नहीं बचा है और उन्होंने इसलिए त्यागपत्र दे दिया.

उनका कहना था कि लोग उम्मीद नहीं कर रहे थे कि वो इस्तीफ़ा दे देंगे इसलिए लोगों में नाराज़गी है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर वो त्यागपत्र देने से पहले जनता की राय ले लेते तो शायद ये भावना इतनी तीव्र नहीं होती.

मगर उनका कहना था कि उन्हें लगा था कि त्यागपत्र देने के कुछ ही दिनों में फिर से चुनाव होंगे जिसमें वो बेहतर सीटों के साथ विधानसभा में आएंगे.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि  49 दिनों की सरकार ने इतना काम किया है कि उनके आलोचक भी मान रहे हैं कि उन्होंने बहुत बेहतर काम किया.

'मोदी फार पीएम वाले नाराज़ हैं'

इस्तीफ़ा देते वक्त लगा था कि जल्द ही चुनाव होंगे: केजरीवाल

उन्होंने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि कुर्सी छोड़ना आसान काम नहीं है और उन्होंने जो किया वो त्याग था और जनता उनकी सरकार के छोटे कार्यकाल से ही इस क़दर खुश थी कि अब बीजेपी और कांग्रेस डर से चुनाव ही नहीं होने दे रही है.

जब चैनल के संपादक राजदीप सारदेसाई ने अरविंद केजरीवाल से कहा कि वो कांग्रेस और बीजेपी पर इस तरह का आरोप कैसे लगा सकते हैं जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो आप के नेता का कहना था कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट कोई और नहीं बल्कि उनकी पार्टी लेकर गई है.

और दोनों राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के छोटे छोटे सवालों का जवाब देने में महीनों का समय ले रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल का कहना था कि एक वर्ग जो कमजोर आर्थिक तबक़े से ताल्लुक रखता है अब भी उनके समर्थन में है लेकिन वो वर्ग जो ये सोच रहा था कि केजरीवाल फॉर सीएम और मोदी फॉर पीएम वो आप से नाराज है क्योंकि वो नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ रहे हैं.

'मुख्तार अंसारी से समर्थन नहीं'

इस्तीफ़ा देते वक्त लगा था कि जल्द ही चुनाव होंगे: केजरीवाल

उन्होंने कहा कि मोदी के खिलाफ या राहुल गांधी के खिलाफ आप के लड़ने का मतलब सत्ता में पहुंचना नहीं है बल्कि इससे एक संदेश देना है.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सोचें अगर मोदी वाराणसी से और राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार जाते हैं!

आप नेता ने साफ़ किया कि वो क़ौमी एकता दल के नेता मुख़्तार अंसारी से किसी भी तरह का राजनीतिक सहयोग नहीं लेंगे.

उनका कहना था कि वैसे भी न तो मुख्तार अंसारी से उनसे किसी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई है.

मुख़्तार अंसारी पर हत्या के एक मामले में मुक़दमा चल रहा है और वो जेल में हैं.

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