अब हुई टेंपरेचर टेस्टिंग
गूगल ने गुब्बारों के माध्यम से इंटरनेट देने के लिए 'प्रोजेक्ट लून' की शुरुआत की है। इसकी शुरुआत 2 साल पहले ही हो गई थी। जिसके बाद पूरी टीम इस प्रोजेक्ट पर मेहनत से काम कर रही है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े महेश कृष्णस्वामी ने बताया कि, यह प्रोजेक्ट काफी महत्वपूर्ण है। यह पॉलिथिलीन बैलून पर बेस्ड है, जोकि हवा में 5 दिन तक रह सकता है। लेकिन इसकी फ्लाइट टाइम को और बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। कृष्णस्वामी ने बताया कि, उनकी पूरी टीम नासा के पुराने एयरफील्ड पर ले जाकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसके लिए हमने एक बड़े फ्रीजर में इसकी टेस्टिंग की है, ताकि पता चल सके कि यह ठंड के मौसम में किस तरह काम करता है।

अनोखा प्रोजेक्ट
गूगल ने इस प्रोजेक्ट के तहत ऐसे 30 गुब्बारों को लांच किया है. बताया जा रहा है कि हवा के साथ उडऩे में केपेबल ये गुब्बारे एक बड़े क्षेत्र में इंटरनेट की फैसेलिटी प्रोवाइड करा पाएंगे. जिसकी स्पीड 3जी के बराबर होगी. ये लगभग 780 स्क्वॉयर मील के एरिया के साथ-साथ 4.8 मिलियन लोगों को भी कवर करेगा (यानि न्यूयॉर्क सिटी का दोगुना). न्यूजीलैंड में इस महीने पायलट टेस्ट के तहत तीस  गुब्बारों का एकछोटा सा नेटवर्क भी स्टैब्लिश किया गया है. इनके साथ एक इंटरनेट एंटीना भी लगा होगा.

हर जगह पहुंचेगा इंटरनेट!
प्रोजेक्ट लून को भी कंपनी की एक्स लैब ने डेवलप किया है और इसके पीछे भी वही टीम काम कर रही है, जो गूगल ग्लासेज और ड्राइवरलेस प्रोजेक्ट का हिस्सा थी. माना जा रहा है कि कंपनी का ये आइडिया इंटरनेट के लिए फाइबर वायर्स के खर्च को कम सकता है. इतना ही नहीं इससे अफ्रीका और साउथ-ईस्ट एशिया में भी इंटरनेट के एक्सेस को बढ़ावा मिल सकता है. गूगल एक्स में चीफ टेक्निकल आर्टिस्ट रिचर्ड डी वॉल ने कहा, ‘पूरे वर्ल्ड में हर जगह इंटरनेट की पहुंच को संभव बनाना काफी टफ है.’ स्मॉल टाउन लिस्टन में किसान और एंटरप्रेन्योर चाल्र्स निम्मो एनबॉर्न बैलूंस से नेट एक्सेस करने वाले पहले व्यक्ति बने.

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