अनोखा प्रोजेक्ट

गूगल ने इस प्रोजेक्ट के तहत ऐसे 30 गुब्बारों को लांच किया है. बताया जा रहा है कि हवा के साथ उडऩे में केपेबल ये गुब्बारे एक बड़े क्षेत्र में इंटरनेट की फैसेलिटी प्रोवाइड करा पाएंगे. जिसकी स्पीड 3जी के बराबर होगी. ये लगभग 780 स्क्वॉयर मील के एरिया के साथ-साथ 4.8 मिलियन लोगों को भी कवर करेगा (यानि न्यूयॉर्क सिटी का दोगुना). न्यूजीलैंड में इस महीने पायलट टेस्ट के तहत तीस  गुब्बारों का एकछोटा सा नेटवर्क भी स्टैब्लिश किया गया है. इनके साथ एक इंटरनेट एंटीना भी लगा होगा.

हर जगह पहुंचेगा इंटरनेट!

प्रोजेक्ट लून को भी कंपनी की एक्स लैब ने डेवलप किया है और इसके पीछे भी वही टीम काम कर रही है, जो गूगल ग्लासेज और ड्राइवरलेस प्रोजेक्ट का हिस्सा थी. माना जा रहा है कि कंपनी का ये आइडिया इंटरनेट के लिए फाइबर वायर्स के खर्च को कम सकता है. इतना ही नहीं इससे अफ्रीका और साउथ-ईस्ट एशिया में भी इंटरनेट के एक्सेस को बढ़ावा मिल सकता है. गूगल एक्स में चीफ टेक्निकल आर्टिस्ट रिचर्ड डी वॉल ने कहा, ‘पूरे वल्र्ड में हर जगह इंटरनेट की पहुंच को संभव बनाना काफी टफ है.’ स्मॉल टाउन लिस्टन में किसान और एंटरप्रेन्योर चाल्र्स निम्मो एनबॉर्न बैलूंस से नेट एक्सेस करने वाले पहले व्यक्तिबने.  

रेस्क्यू वर्क में भी मिलेगी मदद

कंपनी ने बताया है कि इन गुब्बारों को किसी दिन किसी डिजास्टर अफेक्टेड इलाके की ओर भेजा जा सकता है ताकि रेस्क्यू वर्क में मदद की जा सके. लेकिन एक एक्सपर्ट ने वॉर्निंग दी है कि ग्लोबल लेवल पर हवाओं के रुझानों को देखते हुए ज्यादा ऊंचाई पर हजारों की संख्या में ऐसे गुब्बारों को कंट्रोल करना एक मुश्किल काम है. गुब्बारे के नीचे कुछ इलेक्ट्रानिक इंस्ट्रूमेंट्स लटके हैं, जिसमें रेडियो एंटीना, एक फ्लाइट कंप्यूटर, एक हाइट कंट्रोलर सिस्टम और सोलर पैनल शामिल हैं. गूगल ने बताया कि प्रत्येक गुब्बारा हवा में 100 दिन तक रहेगा और पश्चिम से पूर्व की ओर उड़ते हुए अपने आसपास 40 किलोमीटर के दायरे में इंटरनेट कनेक्टविटी प्रोवाइड कराएगा.