PATNA: कंटेम्प्रेरी चैलेंजेस टू इन्डियाज डेमोक्रेसी विषय पर रविवार को अधिवेशन भवन में व्याख्यान का आयोजन किया गया। पूर्व राज्यपाल और चर्चित विचारक गोपालकृष्ण गांधी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र दुनियाभर में सफलतम लोकतंत्र में एक है। इसकी खूबी है कि बड़े से बड़े राजनेता हार जाते हैं और जनता ने चाहा तो फिर दोबारा जीतते भी हैं। नेता भले ही हारें या जीतें मतदाता तो हमेशा ही जीतता है। भारत के मतदाता के आत्मविश्वास पर गर्व करना चाहिए। वहीं दूसरा पक्ष यह भी है कि ¨हसा, धन, बाहुबल, जोड़तोड़ और जन निष्पक्षता भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ी चुनौती है।

आयोग का कार्य सराहनीय

गोपाल कृष्ण गांधी ने ये भी कहा कि भारत का चुनाव आयोग जिस स्वतंत्रता, निष्पक्षता और निपुणता के साथ मतदान कराता है, वह सराहनीय और अनुकरणीय ही नहीं अद्भुत हकीकत भी है। लोकतंत्र की ये सफलता ही पर्याप्त नहीं है। चुनाव में गुणवत्ता भी होनी चाहिए। दरअसल हमें लोकतंत्र और गणतंत्र के अंतर को समझना होगा। न तो लोकतंत्र सिर्फ नंबरों का खेल है, न हर नागरिक सिर्फ एक नंबर है। इससे आगे हर नागरिक का अपना व्यक्तित्व होता है। देश का गणतांत्रिक स्वभाव आज तकलीफ में है। यह अलग बात है कि कई बार ऐसी गंभीर पीड़ा ने हमें धराशायी किया है और हम उससे उबरे भी हैं। तक्षशिला एजुकेशन सोसायटी और सेंटर फॉर डेवलपमेंट प्रैक्टिस एंड रिसर्च द्वारा आयोजित व्याख्यान में गोपाल कृष्ण ने महात्मा गांधी को प्रभावशाली व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि उनकी आत्मा देश की आत्मा से ऐसे जुड़ी है कि आज भी एकता को खंडित करने का मंसूबा बनाने वाले सफल नहीं हो पाते। गांधी की काया के अंत हुए 70 साल हो गए पर उनके सत्य का प्रभाव यह है कि बैड चरित्र वाले आज भी डरते हैं।