- तेज बारिश हुई तो फिर डूब जाएंगे बंधों के किनारे रहने वाले सैकड़ों इलाके

- मलौनी, हाबर्ट और माधोपुर बंधे पर दस रेग्युलेटर में पांच क्षतिग्रस्त तो पांच लापता

- नगर निगम ने सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता को लिखा पत्र

<- तेज बारिश हुई तो फिर डूब जाएंगे बंधों के किनारे रहने वाले सैकड़ों इलाके

- मलौनी, हाबर्ट और माधोपुर बंधे पर दस रेग्युलेटर में पांच क्षतिग्रस्त तो पांच लापता

- नगर निगम ने सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता को लिखा पत्र

GORAKHPUR: GORAKHPUR: शहर की जल निकासी व्यवस्था में ढिलाई के बाद जिम्मेदार, आउटर एरियाज को भी ले डूबने पर आमादा हैं। मलौनी, हाबर्ट, माधोपुर बंधों पर बने दस पंपिंग रेग्युलेटर्स में पांच जगहों पर रेग्युलेटर ही नहीं हैं। जिन पांच जगहों पर रेग्युलेटर लगे भी हैं, वह भी पिछले साल से ही क्षतिग्रस्त हैं। वहीं, सिंचाई विभाग के जिम्मेदार हैं कि बाढ़ का पानी शहरी इलाकों में पहुंचने पर आनन-फानन में रेग्युलेटर्स पर बालू की बोरी लगा बस कोरम पूरा करने लगते हैं। इस बार क्भ् जून से मानसून आने की संभावना है। लेकिन अभी तक सिंचाई विभाग ने क्षतिग्रस्त पड़े रेग्युलेटर्स की ओर झांका तक नहीं है। ऐस में साफ है कि अगर ज्यादा बारिश हुई तो बंधे से सटे सैकड़ों घर फिर डूब जाएंगे। इस संबंध में नगर निगम ने अधीक्षण अभियंता, गंडक बाढ़ मंडल व सिंचाई विभाग गोरखपुर को पत्र लिखकर हालात से अवगत भी कराया है।

गोरखपुर को बाढ़ से मुक्ति दिलाने के लिए हर साल बंधों और पंपिंग स्टेशंस के रेग्युलेटर्स की मरम्मत के नाम पर सिंचाई विभाग लाखों रुपए पानी की तरह बहाता है। लेकिन बावजूद इसके ज्यादातर बंधों और पंपिंग स्टेशंस की हालत आज भी जर्जर है। नतीजा ये कि हर बार ज्यादा बारिश की स्थिति में उफनती राप्ती नदी शहर और आसपास के इलाकों में बाढ़ का कारण बन जाती है। नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक बंधे पर अभी भी पांच स्थानों पर रेग्युलेटर नहीं है। बाढ़ के दिनों में बालू की बोरी लगाकर लीकेज को रोका जाता है। वहीं पांच ऐसे रेग्युलेटर हैं जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। यहां पर भी बालू के बोरे का सहारा लिया जाता है। महेवा कटनिया पंपिंग स्टेशन, महेवा टीपी नगर, हांसुपुर पंपिंग स्टशेन, घसियारी पंपिंग स्टेशन, मिर्जापुर पंपिंग स्टेशन, इलाहीबाग पंपिंग स्टेशन, डोमिनगढ़ पंपिंग स्टेशन, बसियाडीह पंपिंग स्टेशन, सुभाष चंद्र बोस नगर पंपिंग स्टेशन के पास बंधे पर बने रेग्युलेटर क्षमिग्रस्त हैं। नतीजा ये कि हर साल बारिश के दिनों में इन एरियाज के लोगों की सांसें अटकी रहती हैं।

बाढ़ पंपिंग स्टेशन बांध रेग्युलेटर की स्थिति

महेवा कटिया पंपिंग स्टेशन मलौनी बंधा रेग्युलेटर नहीं है। बालू की बोरी लगाकर पानी रोक गया है।

महेवा टीपी नगर हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर नहीं है। बालू की बोरी लगाकर पानी रोका गया है।

रेग्युलेटर नंबर 9 हांसूपुर हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर लीकेज होने से बोरी लगा कर पानी रोका गया है।

रेग्युलेटर नंगर-8 घसियारी हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर लीकेज होने से बोरी लगाकर पानी रोका गया है।

रेग्युलेटर नंबर-7 नरकटिया हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर लीकेज होने से बोरी लगाकर पानी रोका गया है।

मिर्जापुर पंपिंग स्टेशन हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर नहीं है। बालू की बोरी से बंद करते हैं।

इलाहीबाग पंपिंग स्टेशन हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर लीकेज होने से बोरी लगा कर पानी रोका गया।

डोमिनगढ़ पंपिंग स्टेशन हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर क्षतिग्रस्त है। बालू की बोरी लगाकर पानी रोका गया।

रेग्युलेटर नंबर-फ् हाबर्ट बंधा रेग्युलेटर लीकेज होने से बोरी लगा कर पानी रोका गया

बसियाडीह पंपिंग स्टेशन माधोपुर बंधा रेग्युलेटर नहीं है। बालू की बोरी लगाकर पानी रोका गया

सुभाषचंद्र बोस नगर माधोपुर बंधा रेग्युलेटर नहीं है। बालू की बोरी लगाकर पानी रोका गया

कोट्स

बारिश के दिनों में बंधे से लीकेज होने से आसपास रहने वाले लोग घबरा जाते हैं। इसलिए वह रात पर बंधे पर रहकर उसकी देखरेख खुद करते हैं। मगर संबंधित विभाग क्षतिग्रस्त रेग्युलेटर्स को ठीक तक नहीं करा पाता है। जब बाढ़ आती है तो उनकी नींद खुलती है।

- पवन दुआ, बिजनेसमैन

बारिश में बंधे से सटा हांसूपुर और इलाहीबाग का इलाका जलमग्न हो जाता है। बावजूद इसके नगर निगम और सिंचाई विभाग इनकी सुधि नहीं लेता है।

- विक्रम आनंद, प्रोफेशनल

वर्जन

बाढ़ के खतरे को देखते हुए गंडक व सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखकर अवगत करा दिया गया है कि बारिश से पहले क्षतिग्रस्त रेग्युलेटर्स की मरम्मत करा ली जाए। साथ ही जिन जगहों पर रेग्युलेटर नहीं हैं, वहां नए रेग्युलेटर लगाए जाए। हालांकि विभाग की ओर से मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है।

- प्रेम प्रकाश सिंह, नगर आयुक्त