- डीएम ने किया रामगढ़ताल परियोजना के एसटीपी का निरीक्षण

- विभिन्न पहलुओं की ली जानकारी, दिया सफाई पर सतर्कता का आदेश

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GORAKHPUR: सिल्ट सफाई में लापरवाही और बजट की कमी झेलती रामगढ़ताल एसटीपी व्यवस्था पर आखिर सिस्टम के जिम्मेदारों की नजर पड़ ही गई। रामगढ़ताल की सफाई के लिए लगे सीवेज पंपिंग स्टेशन व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के मेंटेनेंस में आ रही समस्याओं पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में छपी खबर का संज्ञान डीएम के विजयेंद्र पांडियन ने लिया है। सोमवार को उन्होंने ताल का निरीक्षण किया। इस दौरान रामगढ़ताल परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर से कामों के प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने योजना में आ रही परेशानियों को दूर कराने का आश्वासन भी दिया।

परियोजना कार्यो में न हो ढिलाई

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रामगढ़ताल परियोजना से जुड़ी दो समस्याओं को प्रमुखता से साथ प्रकाशित किया था। पहला 176 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी ताल में करीब 80 लाख टन सिल्ट जमा होने की समस्या और दूसरी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के मेंटेनेंस में फंड की कमी के बारे में थी। डीएम ने समस्या की गंभीरता का संज्ञान लेते हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजर से परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी ली। मोहद्दीपुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निरीक्षण के दौरान उन्हें प्रोजेक्ट मैनेजर रतनसेन सिंह ने प्लांट के मेंटनेंस में फंड के अभाव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2010 में एमओयू साइन करने के बावजूद नगर निगम, जीडीए व आवास विकास परिषद से अभी तक 6.6 करोड़ में से कोई भी पैसा नहीं मिल पाया है। जिसके कारण जल निगम को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को मेंटेनेंस करने में समस्या हो रही है। जिस पर डीएम ने समस्याएं दूर कराने का आश्वासन दिया।

सिल्ट से पट गया है ताल

रामगढ़ताल में कचरा इतना फैल गया है कि आए दिन मछलियों के मरने की सूचना आती रहती है, लेकिन अफसर कुछ नहीं कर रहे। जबकि, सीएम भी दौरा कर रामगढ़ताल की स्थिति को ठीक करने का आदेश दे चुके हैं। जानकारों के अनुसार, रामगढ़ताल विकास परियोजना के तहत 176 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद ताल में करीब 80 लाख घनमीटर कार्बनिक कचरा है। इस कचरे के कारण ही जलकुम्भियों को बार-बार साफ करने के बाद भी वह तेजी से फैल जाती हैं। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि गहरी सफाई के लिए जल निगम ने ताल का सर्वे कर एक बड़ा प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। जिसके पूरा होने की बाद ताल को 90 फीसदी कचरे से मुक्त किया जा सकेगा।

एसटीपी मेंटेनेंस का हालत भी बुरी

राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में रामगढ़ताल के शामिल होने के बाद इसकी सफाई के लिए केंद्र सरकार ने बजट स्वीकृत किया था। लेकिन मेंटेनेंस चार्ज देने से मना कर दिया था। मेंटेनेंस के लिए नगर निगम, जीडीए व आवास विकास परिषद के बीच 2010 एमओयू हुआ था। जिसके तहत जीडीए को 2.504, नगर निगम को 2.484 और आवास विकास परिषद को 1.614 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष देने थे। एमओयू के अनुसार तीनों विभागों से प्राप्त 6.6 करोड़ रुपए से ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सिस्टम के मेंटेनेंस चार्ज का भुगतान किया जाना था। फरवरी 2015 में ही काम पूरा करने के बाद विभाग ने डिमांड करनी शुरू कर दी थी लेकिन तब से आज तक तीनों विभागों ने एक पैसा तक नहीं दिया। जल निगम खुद के खर्च पर एसटीपी सिस्टम का मेंटेनेंस कर रहा है। दिसंबर 2017 में जल निगम ने तीनों विभागों को पत्र लिखकर सूचित कर दिया था कि पैसों के अभाव में एसटीपी को जनवरी के बाद से नहीं चलाया जा सकेगा लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ।