-गोरखपुर में नहीं है आग से निपटने का पूरा इंतजाम

-हवा चलते ही शुरू हो गई अगलगी की घटनाएं

-जमीन की दरकार में तहसीलों में नहीं खुल सका सब स्टेशन

GORAKHPUR: गर्मी शुरू होते ही पछुआ हवाएं तेज होने लगी हैं। हवाओं के तेज होते ही गोरखपुर में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं। इस बार अभी तक जिले भर में करीब एक दर्जन से अधिक जगहों पर आग लग चुकी है। ऐसे में अगर सावधानी नहीं बरती गई तो आने वाले दिन में एक बार फिर पछुआ की तान पर आग का ताडंव देखने को मिलेगा। वहीं, अग्निशमन विभाग इससे बेपरवाह है। न आग से निपटने के इंतजाम है और न तैयारी। विभाग का कहना है कि तहसीलों में जमीन नहीं मिलने से वहां फायर स्टेशन नहीं स्थापित हाे सका है।

10 में 3 गाडि़यां खराब

गोरखपुर में अग्निशमन विभाग के पास दमकल की महज 10 गाडि़यां हैं। इसमें एक हाईड्रोलिक गाड़ी है। जो बड़ी बिल्िडग में ऊंचाई तक पहुंचने के काम आती है। बची शेष 9 गाडि़यों में तीन खराब हैं। जिन्हें वाराणसी स्थित मुख्यालय को वापस भेजने की तैयारी की जा रही है। वहीं, जिले भर में गोलघर स्थित एक फायर स्टेशन है। इसके अलावा गोला और गीडा में भी एक-एक सब फायर स्टेशन स्थापित है। जबकि, कैंपियरगंज, चौरीचौरा, बासगांव और बेलीपार में सब स्टेशन स्थापित करने के लिए जमीन की मिलने का बीते कई वर्षो से इंतजार है।

104 लोगों पर 49 लाख लोगों की सुरक्षा का जिम्मा

गोरखपुर जिले की जनसंख्या लगभग 49 लाख है। जबकि, इनको आपात स्थिति से बचाने का जिम्मा महज 104 लोगों के कंधों पर है। इनमें एक सीएफओ, एक एफएसओ, दो सेकेंड ऑफिसर, 16 लीडिंग फायरमैन, 67 फायरमैन, 17 ड्राइवर शामिल हैं। वहीं, अधिकारियों का मानना है कि इतने बड़े जिले के लिए न पर्याप्त संसाधन है और न ही कर्मचारी। गोरखपुर जिले की सुरक्षा भगवान भरोसे है।

पिछले साल 571 घटनाएं, करीब 6.5 करोड़ का नुकसान

2017 में गोरखपुर में 571 अगलगी की घटनाएं हुई। इनमें 374 घटनाएं सिर्फ शहर में हुई। इस दौरान जिलेभर में 6 करोड़ 69 लाख, 73 हजार से अधिक का नुकसान हुआ। जबकि, सिर्फ शहर में हुई 374 घटनाओं में 6 करोड़, 12 लाख, 76 हजार से अधिक का नुकसान हुआ। हालांकि विभाग का दावा है कि उनकी सक्रियता से करीब जिले भर में 19 करोड़, 23 लाख, 47 हजार रुपए का नुकसान होने से बचा लिया गया। वहीं शहर में 17 करोड़, 57 लाख, 24 हजार से अधिक का नुकसान हाेने से बचा।

खेतों से लेकर घरों तक मंडरा रहा खतरा

अग्निशमन विभाग के मुताबिक फरवरी महीने से ही पछुआ हवाएं तेज होने लगती हैं। वहीं, धूप तेज होने से खेतों में गेहूं की फसल भी लहरा रही है। ऐसे में हाईटेंशन तारों के शॉर्ट सर्किट होने और खेतों में गेहूं की फसल जलाने से फसलों में आग लगने का खतरा अधिक हो जाता है। इतना ही नहीं हवाओं के तेज होने की वजह से होटल, रेस्त्रां और घरों में भी गैस सिलेंडर से आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। शहर में तो इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने के लिए फायर बिग्रेड का गाडि़यां तत्काल पहुंच जाती हैं, लेकिन देहात एरिया में उन्हें पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है।

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वर्जन-- सीएफओ