- मानसून करीब पहुंचने के बाद भी गोरखपुर में अब तक नहीं शुरू हो सके डेंगू की रोकथाम के इंतजाम

- ब्लड बैंक में भी आए दिन रहती है खून की शॉर्टेज

- पिछली बार डायग्नोज हुए थे 500 से ज्यादा केस, कागजों में सिर्फ पांच हुए थे दर्ज

GORAKHPUR: गोरखपुर में डेंगू हमेशा ही डंक मारता है। आनन-फानन में तैयारियां होती हैं और वैसे ही इलाज का भी कोरम पूरा कर लिया जाता है। नतीजा शहर में मौतों से हायतौबा मच जाती है। इस बार भी जिम्मेदार कुछ ऐसा ही करने के मूड में नजर आ रहे हैं। जहां डेंगू से निपटने के लिए पहले से कोई इंतजाम करना तो दूर की बात है, जिम्मेदारों ने अभी इसको लेकर सोचना भी शुरू नहीं किया है। अब जब बीमारी अपने पीक पर होगी और डेंगू का डंक मासूमों को मौत की आगोश में भेजने लगेगा, तब जाकर जिम्मेदारों की नींद खुलेगी और वह इसकी तैयारियां शुरू करेंगे। मौसमी बीमारियों को लेकर इंतजाम परखने के लिए जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गवर्नमेंट हॉस्पिटल की हकीकत परखी, तब यह बातें सामने आई।

अगस्त का हो रहा है इंतजार

आमतौर पर बारिश के बाद ही डेंगू की दस्तक होती है। मौसम विभाग ने जुलाई के पहले हफ्ते में मानसून आने की संभावना जताई है। ऐसे में डेंगू का खतरा जुलाई से ही शुरू हो जाएगा। मगर पिछले साल डेंगू की दस्तक अगस्त में हुई थी, जिसकी वजह से जिम्मेदार अभी इसके लिए किसी तरह की तैयारी नहीं कर रहे हैं। जब बारिश शुरू हो जाएगी और इसके केस डायग्नोज होने लगेंगे, तब जाकर जिम्मेदार जागेंगे और सिवाए मौत का तमाशा देखने के उनके पास कोई ऑप्शन नहीं होगा।

पिछली बार 500 केस हुए थे डायग्नोज

साल 2018 की बात करें तो पूरे सीजन में करीब 500 से ज्यादा लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई थी। इसमें ज्यादातर पेशेंट्स ने प्राइवेट पैथोलॉजी में कार्ड टेस्ट के जरिए अपना चेकअप कराया था। सरकारी अस्पतालों की जांच में भी 200 से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हुई थी, लेकिन स्वास्थ्य महकमे के रिकॉर्ड में महज पांच मरीजों में ही डेंगू पाया गया था। सिर्फ बीआरडी की सेंट्रल पैथोलॉजी की जांच में ही 178 मरीजों में डेंगू की तस्दीक हो गई। एनआईवी की जांच में भी इंसेफेलाइटिस के करीब 50 मरीजों में डेंगू पाया गया। जिला अस्पताल में 150 में से महज पांच मरीजों में ही डेंगू का लारवा मिला था।

प्राइवेट ही बने थे सहारा

लास्ट इयर की बात करें तो डेंगू के मरीजों के लिए गैरसरकारी अस्पताल ही सहारा बने थे। शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल्स में 100 से ज्यादा मरीज भर्ती हुए और वहीं से ठीक होकर अपने घरों को पहुंचे। प्राइवेट के आंकड़ों को इसलिए भी जिम्मेदार नहीं मान रहे थे क्योंकि 2006 में डेंगू के काफी केस सामने आए थे, जिसके बाद सीएमओ ने लेटर जारी कर सभी प्राइवेट हॉस्पिटल्स और पैथोलॉजी से डेंगू के एलान पर रोक लगा दी थी। इसलिए उन्हें जितने भी मरीज मिले उन्होंने सिर्फ उनका इलाज किया इसकी सूचना जिला अस्पताल या स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी।

दें ध्यान

- साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर

- डेंगू बुखार एडिज एजिप्टाइज मच्छर के काटने से होता है।

- साफ पानी में ही अंडे देता है यह मच्छर

- घर या ऑफिस में लगे कूलर, गमले, ओवर हेड टैंक, टायर या फिर हौदियों में रुके पानी में इसके अंडे मिलते हैं।

- दिन में ही काटता है डेंगू का यह मच्छर।

ऐसे करें बचाव

- डेंगू मच्छर दिन में काटता है।

- घर के सदस्यों को दिन में पूरी बांह की कमीज, फुल पैंट और पैरों में मोजा पहनना चाहिए।

- घरों में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए।

- बुखार होने पर दवा का इस्तेमाल करने से पहले सावधानी बरतें।

- सिर्फ पैरासिटामॉल की गोली दें और बॉडी को पानी से भीगी पट्टियों से पोछें।

- बुखार तेज होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।

यह न करें

- घरों के आसपास पानी न रुकने दें।

- डेंगू बुखार से पीडि़त मरीज को बगैर मच्छरदानी के न रहने दें।

- मरीज को एस्प्रीन, ब्रुफेन और कार्टिसोन दवा कतई न दें।

बॉक्स

खून भी खूब लेता है इम्तेहान

गोरखपुर में डेंगू की दस्तक के दौरान खून और उसमें मिलने वाली प्लेटलेट्स काफी अहम होती है। मगर शहर में आए दिन एक्सिडेंटल केस होने की वजह से खून की काफी कमी रहती है। ऐसे में डेंगू की दस्तक के दौरान कुछ खून रिजर्व कराए जाते हैं। मगर अब तक इसको लेकर भी कोई तैयारी ही नहीं शुरू की जा सकी है। ऐसे में डेंगू के केस डायग्नोज होने के दौरान प्रॉब्लम बढ़नी तय है, जिससे लोगों को प्राइवेट ब्लड बैंक के पास जाना मजबूरी है।