-फर्जी ज्वॉइनिंग लेटर के मामले को रेलवे ने डाला ठंडे बस्ते में, विजलेंस को नहीं दी सूचना

-रेलवे कर रहा युवक के तहरीर का इंतजार, बिना पूछताछ के युवक को छोड़ा

- गार्ड पद के लिए ज्वाइन करने दूसरे दिन नहीं आए दोनों युवक

GORAKHPUR: सोमवार को जोर-शोर से शुरू हुई फर्जी ज्वॉइनिंग लेटर के मामले को चार घंटे की जांच के बाद ही रेलवे ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। मंगलवार को न इस पर कोई जांच हुई और न ही पीडि़त युवक को विजलेंस को सौंपा गया। रेलवे के इस कदम से अब सवाल उठने लगे कि आखिर रेलवे किसको बचा रहा है। युवक से पूछाताछ क्यों नहीं की गई, रेलवे ने इसे विजलेंस को क्यों नहीं सूचित किया।

सोमवार को रेलवे भर्ती बोर्ड का फर्जी नियुक्ति पत्र लिए गार्ड बनने रेलवे ऑफिस पहुंचे दोनों युवक मंगलवार को नहीं आए। हालांकि पूरे दिन जंक्शन पर रेल अधिकारी उनका इंतजार करते रहे। वहीं, टीसी पद के लिए फर्जी नियुक्ति पत्र लिए हरियाणा के रेवाड़ी से आया युवक विकास यादव वापस लौट गया। दो दिनों में तीन लोगों का रेलवे में नौकरी के लिए फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर पहुंचने के बाद जहां रेल अधिकारी सकते में आ गए हैं, वहीं रेल प्रशासन इस मामले को महज एक मजाक समझ रहा है। हैरानी वाली बात तो यह है कि रेलवे के नाम पर इतने बड़े फर्जीवाड़े के बाद भी इस मामले में रेलवे अभी तहरीर का इंतजार कर रहा है।

तो अपनी साख बचा रहा रेलवे

रेलवे से जुड़े जानकारों के मुताबिक, पीडि़त युवक के जरिए रेलवे प्रशासन फर्जीवाड़े के इस नेक्सेस तक पहुंच सकता था। इसके बावजूद इतने बड़े फर्जीवाड़े के बाद इसमें कोई रूचि नहीं दिखाना कहीं न कहीं यह साबित करता है कि रेलवे अपनी साख बचा रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि देश भर में रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है और रेलवे इस मामले में तहरीर का इंतजार कर रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अगर युवक ने फर्जी नियुक्ति पत्र पर ज्वाइन किया होता तो इसकी जांच कराकर कार्रवाइर्1 की जाती।

वापस लौट गया विकास

टीसी बनने पहुंचा विकास यादव ने इस मामले में आरपीएफ को तहरीर देने से इनकार कर दिया। विकास के मुताबिक वह इसके लिए हरियाणा में एफआईआर दर्ज कराएगा। ऐसे में रेलवे के नाम पर लोगों को ठगने वाले इस गैंग तक पहुंच पाना फिलहाल आरपीएफ या रेलवे विजलेंस के लिए टेढ़ी खीर जैसा दिख रहा है। क्योंकि जिस युवक के साथ नौकरी का फर्जीवाड़ा हुआ, उसे बिना जांच-पड़ताल के लिए लौटा दिया गया।

यह है मामला

सोमवार को रेलवे जंक्शन स्थित सीटीआई दफ्तर पर हरियाणा के रेवाड़ी का रहने वाला युवक विकास यादव टीसी पद के लिए ज्वाइन करने पहुंचा। दफ़्तर में पहुंचने के साथ ही विकास ने अधिकारियों को रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर का एक नियुक्ति पत्र दिया। जिसमें उसकी बकायदा टिकट कलेक्टर पद के लिए नियुक्ति की गई थी। अधिकारियों को नियुक्ति पत्र देखते ही लग गया कि वे फर्जी है। इसके बाद अधिकारियों से जब डिवीजनल ऑफिस से जानकारी की तो पता चला कि ऐसी कोई नियुक्ति नहीं हुई है। अधिकारियों ने युवक को उसके साथ हुए फर्जीवाड़े की जानकारी दी और उसे आरपीएफ की शरण में जाने की सलाह दी। इतना ही नहीं इसके कुछ ही देर बाद दो अन्य युवक ऐसा ही नियुक्ति पत्र लेकर गार्ड बनने पहुंच गए। यह देखकर सभी हैरान रह गए, लेकिन किसी ने इन दोनों युवकों से कुछ नहीं कहा और उन्हें मंगलवार को आने के लिए कहा। मंगलवार को अधिकारी पूरे दिन दोनों का इंतजार करते रहे, लेकिन देर शाम तक दोनों नहीं आए।

ठगी के लिए एनईआर को बनाया निशाना

ऐसे तो रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम से लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने का खेल काफी पुराना है। लेकिन रेलवे के जानकारों के मुताबिक एक साथ तीन लोगों का फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर पहुंचना किसी बड़े फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर रहा है। जानकार बताते हैं कि इस बार फर्जीवाड़े के रैकेट ने एनईआर हेडक्वार्टर के गोरखपुर को निशाना बनाया है। जिसमें नौकरी दिलाने के नाम पर अन्य राज्यों में बेरोजगारों को ठगा जा रहा है।

वर्जन

इस मामले में पीडि़त युवक ने कोई तहरीर नहीं दिया है। अगर तहरीर दिया होता तो उसपर कार्रवाई की जाती। रेलवे की ओर से भर्ती प्रक्रिया को लेकर लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है। बावजूद इसके अगर कोई फर्जीवाड़े का शिकार हो रहा है तो वे पुलिस या आरपीएफ को तहरीर देकर मदद लेनी चाहिए।

संजय यादव, सीपीआरओ, एनईआर

उठते सवाल

-आखिर इस मामले को विजलेंस को क्यों नहीं सूचित किया

-रेलवे में जब इस तरह के खेल होते रहते हैं तो क्यों इसकी जांच नहीं की गई

-जब इस तरह के फर्जीवाड़े की बात सामने आई तो एफआईआर दर्ज कराने के लिए रेलवे किसका इंतजार कर रहा है

-आखिर युवक को बिना पूछताछ के क्यों छोड़ दिया गया।

-कुछ फर्जीवाडे़ में रेलवे के अफसर भी शामिल रहे हैं, इसका खुलासा जांच में हुआ है तो इस मामले को ऐसे ही क्यों टाल दिया गया।

-आखिर मंगलवार को पूछताछ के लिए दो गार्ड क्यों नहीं आए।