- गोरखपुर से चलने वाली बसों की हालत हो रही खस्ता

- ईट की मदद से ड्राइवर कराते सफर, कोई नहीं देता ध्यान

GORAKHPUR: परिवहन निगम की बसों की हालत खराब होती जा रही है। वर्कशॉप में बसों के मेंटेनेंस में लापरवाही के कारण बसों की दशा बदल नहीं पा रही। गोरखपुर रीजन की साधारण बसों में पैसेंजर्स अपने रिस्क पर सफर कर रहे हैं। नए डिपो और वर्कशॉप के निर्माण के इंतजार में रोडवेज के अफसर समस्याओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। आरएम का कहना है कि बसों की समय-समय पर मरम्मत कराई जाती है। यदि कोई गड़बड़ी सामने आई तो संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ईट के सहारे चल रही रोडवेज की बसें

यूपी परिवहन निगम की ज्यादातर बसों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है। नियमों के अनुसार बसों में ड्राइवर की सीट बेल्ट, फ‌र्स्ट एड बॉक्स और फायर सेफ्टी का इंतजाम पहले होना चाहिए। लेकिन बसों के सफर में इन सब चीजों की कमी नजर आती है। गोरखपुर से लखनऊ, दिल्ली, इलाहाबाद, वाराणसी सहित अन्य जगहों पर बसें लेकर जाने वाले ड्राइवर की सीट तक बैठने लायक नहीं होती। बावजूद इसके किसी तरह से रिस्क पर स्टीयरिंग थामे ड्राइवर अपनी ड्यूटी पूरी करने में लगे हैं। रोडवेज के ड्राइवर्स का कहना है कि डिपो में बस पहुंचने के बाद गड़बडि़यों की सूचना दे दी जाती है। खामियों के दुरुस्त होने पर बसें वर्कशॉप से निकलकर सड़कों पर आती हैं। अब मरम्मत कार्य में कोई लापरवाही की जाए तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं। कुछ बसें तो ईट के सहारे चल रही हैं। पैर रखने के लिए बसों में ड्राइवर ईट का सहारा ले रहे हैं।

हवा में रह गए परिवहन मंत्री के निर्देश

एक साल पूर्व प्रदेश में नई सरकार के गठन पर रोडवेज की सूरत बदलने की उम्मीद जगी थी। गोरखपुर के दौरे पर आए प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बसों का निरीक्षण किया था। बसों की इमरजेंसी खिड़की न खुलने सहित जितनी भी खामियां नजर आई थीं। उन सबको दूर करने का निर्देश दिया था। तब ऐसा लगा कि गोरखपुर रीजन की व्यवस्था में व्यापक सुधार आएगा। लेकिन हालात जस के तस रह गए। रखरखाव और उचित देखभाल के अभाव में नई और लग्जरी बसें भी खस्ताहाल होने की राह पर चल पड़ी हैं।

ये खामियां आईं नजर

- कई रोडवेज की बसों में सेफ्टी इक्पिमेंट खराब पड़े हैं।

- बसों में स्टीयरिंग, गियर और ब्रेक खस्ता हाल हो गए हैं।

- ज्यादातर बसों में फायर सेफ्टी इक्विपमेंट्स नहीं लगे हुए हैं।

- ड्राइवर की सीट बेल्ट और फायर सेफ्टी बॉक्स भी गायब हो गए हैं।

बसों के इंडिकेटर, बैक लाइट्स और खिड़कियां टूटी पड़ी हैं।

- डिपो में बसों की मरम्मत में लापरवाही से गड़बडि़यां दूर नहीं हो पातीं।

- ओवरलोडिंग और चढ़ती बस से सवारियों का चढ़ना-उतरना खतरनाक होता है।

ये सावधानी बरतने की जिम्मेदारी

- रोडवेज के ड्राइवर बसों में अग्निशमन यंत्र लेकर चलेंगे।

- रोजाना इमरजेंसी गेट को चेक करके बसों को आगे बढ़ाएं।

- बस में मेडिकल किट, फ‌र्स्ट एड बॉक्स जरूर रखा जाए।

- बसों में हेल्प लाइन नंबर, आरएम, एआरएम के मोबाइल नंबर होने चाहिए।

- बस को रोककर प्रॉपर तरीके से पैसेंजर को ड्राप किया जाएगा। ओवरलोडिंग नहीं होगी।