-दुदही हादसे के कुछ दिनों के बाद सख्ती सिर्फ कागजों पर

-परिवहन आयुक्त ने मांगा सभी आरटीओ से रिपोर्ट

-रजिस्टर्ड वाहनों की अपेक्षा कितने हैं अवैध वाहन

-अभियान चलाकर कराएं रजिस्टर्ड, नहीं तो होगी कार्रवाई

GORAKHPUR: कुशीनगर के दुदई रेल हादसे के बाद हुई सख्ती अब धीरे-धीरे ढीली पड़ती जा रही है। कुछ दिनों तक स्कूली वैनों पर सख्ती के बाद अब फिर से बच्चों को ठूस-ठूस कर ले जाने लगे हैं। यह दृश्य मंगलवार को भी सरेराह देखा गया।

वहीं, आरटीओ अफसरों का दावा है कि बिना रजिस्ट्रेशन मानकों की धज्जियां उड़काकर अवैध रुप से चलने वाले वाहनों की सूची मांगी गई है। इसके लिए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पी गुरु प्रसाद ने सभी आरटीओ व एआरटीओ को पत्र लिखकर निर्देशित किया है।

15 दिनों में मांगी रिपोर्ट

परिवहन आयुक्त ने कहा है कि 15 दिनों के अंदर मुख्यालय को यह सूची उपलब्ध कराई जाए कि जिले में कितने स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं, कितने स्कूल हैं। किन स्कूलों में कितने वाहन चल रहे हैं। इसके अलावा ऐसे ऑटो व वैन को चिह्नित कर भी टीसी ने सूची मांगी है, जो स्कूली वाहनों में रजिस्टर्ड तो नहीं है, लेकिन वह स्कूली बच्चों को ढोने का काम जरूर कर रहे हैं। इतना ही नहीं, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने यह भी निर्देशित किया है कि सघन अभियान चलाकर ऐसे वाहनों पर पूरी तौर पर शिकंजा कसा जाए, जो स्कूलों के नाम पर वाहनों के जरिए मासूमों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं।

गोरखपुर में करीब 1100 स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं। जबकि, करीब 23 सौ स्कूल हैं। इनमें सीबीएसई के 70, आईसीएसई के 19 और बेसिक शिक्षा विभाग से संबध अंग्रेजी माध्यम के करीब 2200 स्कूल हैं। हैरानी वाली बात तो यह है कि इनमें से तमाम ऐसे स्कूल हैं, जहां एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों की संख्या में स्कूली वाहन हैं। बावजूद इसके स्कूलों की अपेक्षा स्कूली वाहनों की संख्या जिले में काफी कम है। इसे गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सीएम के आदेश पर यूपी के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने सभी जिलों के आरटीओ को निर्देश जारी किया है।

वर्जन

एनफोर्समेंट टीम ने स्कूली वाहनों को चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया है। वहीं, अभियान चलाकर बिना रजिट्रेशन चल रहे स्कूली वाहनों पर शिकंजा कसा जाएगा। साथ ही मानकों के विपरित चल रहे वाहनों पर भी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो ग‌ई्र है।

डीडी मिश्रा, आरटीओ