- RTO में साफ-सफाई हुई तो कूड़े में फेंक दी गई फाइलें

- इसके पहले भी अलग-अलग तरीके स फाइलों की होती रही है सफाई

- शासन ने फाइलों को साफ-सुथरी जगह ठीक ढंग से रखे जाने का दिया है निर्देश

केस-1

अगस्त 2016 में एक ऑल्टो कार के दो मालिक खड़े हो गए। दोनों के पास ही कागज थे। मामले में राजघाट पुलिस ने केस भी दर्ज किया था। राजघाट एरिया के रहने वाले थे साले-बहनोई अपने-अपने कागजात को बता रहे थे असली। आरटीओ से रिकॉ‌र्ड्स नहीं मिलने से जांच पूरी नहीं हो पाई।

केस-2

जून 2016 में बसारतपुर के रहने वाले सुनील कुमार सिंह तीन साल बाद अपनी नैनो कार बेचने गए तो पता चला कि उनकी गाड़ी पहले ही मोहद्दीपुर के रहने वाले एक व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई थी। यह कार आरटीओ के ही एक कर्मचारी के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई थी। जांच के बाद असली मालिक सुनील कुमार सिंह के नाम फिर से ट्रांसफर की गई।

GORAKHPUR: नई सरकार ने सफाई को लेकर विभागों के पेंच कसे तो आरटीओ के लिए यह भी एक 'मौका' दिखा। सफाई के बहाने विभाग में पब्लिक के तमाम रिकॉ‌र्ड्स ही साफ कर दिए गए। शासन का निर्देश है फाइलों को साफ-सुथरी जगह पर ठीक ढंग से रखे जाने का लेकिन आरटीओ में कितने ही रिकॉ‌र्ड्स कूड़े की तरह फेंके हुए मिल जाएंगे। जी हां, यदि आप सोचते हैं कि आपके वाहन रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य रिकॉ‌र्ड्स खो जाने की स्थिति में आरटीओ से तो मिल ही जाएंगे तो इसकी उम्मीद कम ही है। आरटीओ में आपके रिकॉ‌र्ड्स कभी कूड़े में फेंके मिलेंगे, कभी उनके आग से जल जाने की सूचना मिलेगी तो कभी खो जाने की। समय-समय पर रिकॉ‌र्ड्स को अलग-अलग तरीके से हटाने का खेल चलता रहता है ताकि इसके पीछे के कई खेल जारी रहें।

यहां पुराना रिकॉ‌र्ड्स माने कचरा

आरटीओ में पुराने रिकॉ‌र्ड्स का मतलब कचरा है। शासन के आदेश पर जब सफाई शुरू हुई तो एक बार फिर पुराने रिकॉ‌र्ड्स को आरटीओ ने कचरा बना दिया। जिस तरह आरटीओ में फाइलें रखी गई हैं उसे जल्द ही दीमक, चूहे चट कर जाएंगे। या सीलन से खत्म हो जाएंगी।

गधे चबा गए थे फाइलें

आरटीओ में रिकॉ‌र्ड्स को इस तरह से

फेंक दिए जाने का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी रिकॉ‌र्ड्स को रखने में लापरवाही के मामले सामने आते रहे हैं। कई बार आग लगने से फाइलें नष्ट हुई हैं। वहीं एक बार कई फाइलें गधे चबा गए थे। लेकिन इसके बाद भी फाइलों के रख-रखाव में कोई सावधानी नहीं बरती जाती।

इसलिए होता है खेल

आरटीओ के रिकॉ‌र्ड्स को लापरवाही से कहीं भी फेंक दिए जाने का मामला भले ही एक नजर में जिम्मेदारों की लापरवाही लगे लेकिन यह इससे आगे बढ़कर साजिश है। सूत्रों का कहना है कि ऐसा जान-बुझकर किया जाता है ताकि फाइलें अपने-आप किसी कारण से नष्ट हो जाएं और उसके लिए जवाब भी न देना पड़े। आरटीओ में कितने ही फर्जीवाड़े इसलिए साबित नहीं हो पाते क्योंकि उनके दस्तावेज नहीं मिलते। माना जाता है कि फर्जीवाड़ा के ऐसे ही मामलों के साक्ष्य मिटाने के लिए फाइलें ही मिटा दी जाती हैं।

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बाप रे यह कैसी सफाई?

- 2003 व 2005 में आरटीओ में तमाम फाइलें आग की भेंट चढ़ गई।

- 2015 में 5000 से अधिक फाइलें गधे दबा गए।

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सब गोलमाल है

- समय-समय पर आरटीओ में ऐसे हादसे होते रहते हैं, जिसमें रिकॉ‌र्ड्स जल जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं।

- जो रिकॉ‌र्ड्स नष्ट हो जाते हैं, उनके लिए फिर कोई कोशिश नहीं होती।

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ये फाइलें यहां क्यों?

- आरटीओ के गैराज में कचरे की तरह फाइलें फेंकी गई हैं।

- इनमें कई महत्वपूर्ण रिकॉ‌र्ड्स हैं।

- सीलन से ये रिकॉ‌र्ड्स नष्ट हो सकते हैं, दीमक चट कर सकते हैं फाइलें।

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रिकॉ‌र्ड्स नहीं होने पर यह होता है

- किसी गाड़ी के कई दावेदार खड़े हो जाते हैं, तब यह साबित करना मुश्किल हो जाता है कि गाड़ी का वास्तविक मालिक कौन है।

- फर्जीवाड़े के मामलों की नहीं हो पाती ठीक से जांच।

- किसी कागजात के खो जाने पर आरटीओ के रिकॉ‌र्ड्स से नहीं मिल पाती उसकी कॉपी।

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