-अवैध शराब के कारोबार की गढ़ बना चुका है गोरखपुर

-करोड़ों रुपए की कमाई का नुकसान नहीं उठाना चाहती पुलिस

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: जिले में अवैध शराब के कारोबार पर लगाम नहीं कस सकी। किसी घटना के बाद हर बार अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। जहरीली शराब से मौत के बाद जांच की प्रक्रिया कभी पूरी नहीं होती। शराब पीने से होने वाली मौत के हंगामे के बाद जांच के लिए लैब भेजे जाने वाले सैंपल की रिपोर्ट कभी लौटकर नहीं आती। पंचायत चुनाव के दौरान पिपराइच एरिया में छह लोगों की मौत के मामले फाइलों में दफन है। कुशीनगर और सुल्तानपुर में हुई घटनाओं के बाद डीजीपी के निर्देश पर जिले की पुलिस अचानक नींद से जागी है। आलम यह है कि करीब हर थाना क्षेत्र में अवैध शराब की खेप बरामद की गई। चिलुआताल एरिया में शराब बरामदगी का गुडवर्क दिखाने के चक्कर में खेत में घास काटने गए 14 साल के किशोर को पुलिस उठा ले गई। परिजनों ने जब किशोर को छोड़ने की गुजारिश की तो चिलुआताल थानेदार ने उनको खरी-खोटी सुनाई। दावा किया कि हर छापेमारी की वीडियोग्राफी कराई गई है। किशोर के परिजनों का कहना कि उसे जबरन शराब की गैलन पकड़ा दिया गया।

करोड़ों रुपए के कारोबार में हिस्सा लेती पुलिस
शहर के अंदर अवैध शराब के करोड़ों रुपए के कारोबार से पुलिस हिस्सा लेती है। चिलुआताल, गुलरिहा, राजघाट, तिवारीपुर, खोराबार, शाहपुर और कैंट थाना सहित अन्य क्षेत्रों में अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से चलता है। पिपराइच के जंगल तिनकोनिया में नर्सरी के अंदर मिनी डिस्टलरी चलती है। राजघाट और तिवारीपुर एरिया के अमरूरतानी और बहरामपुर में अवैध शराब का कारोबार जमकर होता है। जिले में कई जगहों पर ईट भट्ठों पर अवैध शराब बेची जाती है। शराब पकड़े जाने पर भट्ठा मालिकों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई का निर्देश भी बेअसर है। जिले में अवैध शराब के खिलाफ पहली बार व्यापक अभियान 2010 में शुरू हुआ था। तब तत्कालीन डीआईजी असीम अरुण ने अंडर ट्रेनिंग दरोगाओं की टीम बनाकर अवैध शराब के खिलाफ मोर्चा खोला था। बताया जाता है कि विशेष अभियानों के अलावा पुलिस अवैध शराब के प्रति कभी गंभीर नहीं होती। कहा जाता है कि थानों की मिलीभगत से सारा कारोबार चलता है। करोड़ों रुपए की कमाई के चक्कर में पुलिस सिर्फ कोरम पूरी करती।

पता नहीं कहां रह गई रिपोर्ट
2015 के पंचायत चुनाव के दौरान पिपराइच एरिया में अवैध पीने से छह लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में हंगामा बरपने पर पुलिस-प्रशासन ने जिलेभर में जमकर अभियान चलाया। जहरीली शराब का सैंपल कलेक्ट कर लैब को भेजा गया। लेकिन चार साल बाद भी उस रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी। इसके अलावा 2015 में खोराबार एरिया में अवैध शराब के ठिकाने पर पोस्टमैन की डेडबॉडी मिलने पर जमकर बवाल हुआ था। दो मई को पोस्टमैन श्रवण कुमार की डेडबॉडी शराब कारोबारी के तख्ते पर मिली। भड़की पब्लिक ने पुलिस अधिकारियों पर हमला कर दिया था। इस मामले में भी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की बात की गई थी। लेकिन इसकी रिपोर्ट कहां अटक गई। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।

पुलिस, आबकारी एक दूसरे पर टालते रहे मामला
अवैध शराब के कारोबार की मिलीभगत से पुलिस भले लाभ पा रही हो। लेकिन कार्रवाई की बात पर थानेदार मामले को टाल जाते हैं। कहते हैं कि आबकारी विभाग की जिम्मेदारी अवैध कारोबार रोकने की होती है। उधर, आबकारी विभाग के लोग पुलिस को जिम्मेदार ठहराकर अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश करते हैं। जिले में अवैध शराब का कारोबार जमकर होता है। स्प्रिट से मिली शराब बनाने के ठेके पहले भी पकड़े जा चुके हैं।

आपाधापी में जिसे चाहा, उसे पकड़ लाए थाने
शराब से हुई मौतों के बाद हरकत में आई पुलिस दौड़भाग करती नजर आई। शाहपुर, पादरी बाजार पुलिस चौकी के पास मोहनापुर बधिक टोला में पुलिस का अभियान चला। इस मोहल्ले की अवैध शराब कारोबारी मुकुरी देवी के ठिकाने पर दबिश देकर पुलिस ने हजारों लीटर शराब की बरामदगी की। एक दर्जन से अधिक जगहों पर कार्रवाई में भारी मात्रा में महुआ-लहन नष्ट किया गया। पुलिस की कार्रवाई पर लोग कहते रहे कि आखिर अभी कहां सो रहे थे। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने खूब आपाधापी दिखाई। चिलुआताल एरिया में पुलिस ने नाबालिगों को पकड़कर थाने ले गई। बच्चों के हाथ में जबरन शराब का गैलन पकड़ाने का आरोप उसके परिजन लगाते रहे। दिन भर में हुई कार्रवाई में 21 व्यक्तियों को चालान करके पुलिस ने हजारों लीटर शराब बरामदगी की। 35 कुंतल से अधिक महुआ-लहन नष्ट किया गया।

माफिया तक नहीं पहुंचती पुलिस
जिले में अवैध शराब के मामले पकड़े जाने के बाद माफिया पर कार्रवाई नहीं हो पाती। बेलीपार एरिया में रहने वाले अवैध शराब के कारोबारी के खिलाफ 10 से अधिक मुकदमे दर्ज करके पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। हर घटना के बाद उसे वांटेड दिखाकर पुलिस छोड़ देती है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वह थाने पर तैनात पुलिस कर्मचारियों से सांठगांठ कर बच जाता है। जिले में किसी भी जगह पर होने वाले कारोबार में शामिल बड़े लोगों का नाम सामने नहीं आता। कारोबार को बढ़ावा देने वाले पुलिस कर्मचारियों पर शिकंजा नहीं कस पाता.

हरियाणा की अवैध्ा शराब में बड़ा रिस्क
जिले में ब्रांडेड शराब के नाम पर नकली शराब की पैकेजिंग करके बिक्री की जाती है। बिहार में शराब बंदी लागू होने के बाद अवैध शराब की तस्करी बढ़ गई है। हरियाणा और पंजाब की बनी शराब की खेप बड़े पैमाने पर देवरिया और कुशीनगर के बार्डर से बिहार भेजी जा रही है। पुलिस से जुड़े लोगों है कि इस शराब के इस्तेमाल में रिस्क हो सकता है। हरियाणा से चोरी छिपे लाई जा रही अवैध शराब नकली हो सकती है। हालांकि अभी तक जांच में ऐसा कोई मामला नहीं जिससे इसकी तस्दीक हो सके। शहर में ब्रांडेड शराब कंपनियों के नाम पर नकली शराब की पैकेजिंग पहले भी पकड़ी जा चुकी है।

हाल में बरामद हुई अवैध शराब की खेप

24 जनवरी 2019: सहजनवां एरिया में 12 लाख 54 हजार रुपए की अवैध शराब पकड़ी गई।

22 जनवरी 2019: सहजनवां एरिया में अवैध शराब की 381 बोतल बरामद हुई।

01 अक्टूबर 2018: को बेलीपार एरिया में 331 पेटी अवैध शराब मिली, लाखों रुपए शराब की कीमत

17 सितंबर 2018: बेलीपार के नौसढ़ में 537 बोतल अवैध शराब पकड़ी गई।