- डीडीयूजीयू में ध्वस्त योग्य इमारत की कराई जा रही है मरम्मत

- कर्मचारियों को पहले ही दी जा चुकी है मकान खाली करने की नोटिस

- इसके बाद भी मरम्मत कराने के लिए गिरवा दिया गया है सामान

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में भले ही पैसे की किल्लत हो, यूनिवर्सिटी 56 करोड़ के घाटे में चल रही हो, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिम्मेदार अब भी धड़ल्ले से यूनिवर्सिटी का पैसा उड़ाने में लगे हुए हैं। हालत यह है कि जो बिल्डिंग ध्वस्त करने योग्य डिक्लेयर हो चुकी है और उसको खाली कराए जाने की कवायद चल रही है, जिम्मेदार सबकुछ जानने के बाद भी उसमें पैसा इनवेस्ट करने में लग गए हैं। यह पैसा बिल्डिंग के साथ ही कब डूब जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है, लेकिन उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं है।

हाल ही में दिया गया है नोटिस

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के याक्ची कंपाउंड में कर्मचारियों का आवास है। पिछले माह जिम्मेदारों ने इसे अनसेफ बताते हुए सभी कर्मचारियों को इसे खाली करने के लिए नोटिस भी जारी कर दी। नोटिस मिलने के बाद कई कर्मचारियों ने इसे खाली करने की कवायद भी शुरू कर दी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां रिपेयरिंग का काम शुरू हो गया है। मैटेरियल गिराकर किसी तरह जोड़-जुगाड़ से इसकी रिपेयरिंग कराई जा रही है। जिससे कर्मचारी खासा डरे हुए हैं, लेकिन कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।

कभी भी हो सकता है हादसा

यूनिवर्सिटी के याक्ची कंपाउंड में बनी बिल्डिंग काफी जर्जर हो चुकी है। इसकी जिम्मेदारों ने सरकारी संस्था से जांच कराई, जिसमें उन्होंने इस बिल्डिंग को रहने योग्य नहीं बताया। इसको संज्ञान में लेते हुए इंजीनियरिंग विभाग ने सभी कर्मचारियों को लेटर लिखकर इसे खाली करने की बात कही। यूनिवर्सिटी के मकान की ऐसा हाल है कि यह कभी भी गिर सकता है और इसमें रहने वालों की जान भी जा सकती है। उनके सिर पर हमेशा ही खतरा मंडरा रहा है, लेकिन इसके बाद भी सिर्फ रिपेयरिंग कराकर कोरम पूरा किया जा रहा है और यूनिवर्सिटी के लाखों रुपए बर्बाद किए जाने की तैयारी की जा रही है। क्योंकि अगर बिल्डिंग गिरती है, तो इससे मरम्मत पर खर्च हुआ यूनिवर्सिटी का सारा पैसा बेकार हो जाएगा।

वर्जन

मेरी जानकारी में ऐसा नहीं है। कर्मचारियों को आवास खाली करने के लिए कहा गया है। इंजीनियरिंग सेक्शन से बात करने के बाद ही स्थिति क्लीयर हो पाएगी।

- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू