- यूनिवर्सिटी में इस बार कंडक्ट होगा रिसर्च एलिजिबिल्टी टेस्ट

- अगस्त में शेड्यूल्ड हुआ एग्जाम, अब तक सिर्फ नेट क्वालिफाई कैंडिडेट्स का हो रहा रजिस्ट्रेशन

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में एक बार फिर रिसर्च और नई-नई खोज होगी। स्टूडेंट्स अपने दिमाग में उमड़-घुमड़ रहे सवालों के जवाब हासिल करने के लिए हर पॉसिबल कोशिश करेंगे, जिसमें यूनिवर्सिटी के टीचर्स उनकी मदद करेंगे। लेकिन यह मौका सिर्फ उन्हीं स्टूडेंट्स को मिलेगा जिनमें कुछ कर गुजरने की चाह के साथ ही टैलेंट होगा। यूनिवर्सिटी ने रिसर्च करने वाले कैंडिडेट्स की सर्च के लिए रिसर्च एलिजिबिल्टी टेस्ट कराने का फैसला किया है। वर्षो से लटके पड़े इस एग्जाम को कराने के लिए यूनिवर्सिटी ने कवायद शुरू कर दी है और इसकी जानकारी एकेडमिक कैलेंडर में शामिल कर शासन को भेज दी है।

अगस्त में होगा 'रेट'

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में 2013 से 'रेट' का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स को अगस्त में राहत मिलेगी। यूनिवर्सिटी ने अगस्त 2018 में रेट कराने का फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने विभाग को भी तैयारियों के निर्देश दिए हैं। वहीं, एडमिनिस्ट्रेटिव लेवल पर भी इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। बस उन्हें राज्यपाल के अनुमोदन का इंतजार है, जो इसी माह आ जाने की उम्मीद है। इसके बाद यूनिवर्सिटी पीएचडी में दाखिले के रेट कराएगी, जिसके बाद क्वालिफाई करने वाले कैंडिडेट्स अपने इंटरेस्ट की फील्ड में रिसर्च कर सकेंगे।

बस हरी झंडी का इंतजार

यूजीसी गाइडलांइस के बाद यूनिवर्सिटी लेवल पर पीएचडी का नया अध्यादेश बीते साल ही तैयार हो चुका है। कार्यपरिषद की मंजूरी के बाद इसे कुलाधिपति से मंजूरी लेने के लिए भेजा गया था। नए रूल में फीस निर्धारण न होने की वजह से कुलाधिपति ने इस पर आपत्ति लगा दी थी। जिसकी वजह से चल रही प्रॉसेस को एक बार फिर ब्रेक लग गया। यूनिवर्सिटी ने फीस निर्धारित करने बाद प्रपोजल को शासन के पास दोबारा भेज दिया है, लेकिन राज्यपाल से हरी झंडी न मिल पाने की वजह से रिसर्च एलिजिबिल्टी टेस्ट अब भी अटका पड़ा हुआ है।

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पुरानी नियमावली से चल रहा रजिस्ट्रेशन

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के रूल्स एंड रेग्युलेशन के मुताबिक फीस में किसी तरह के बदलाव के लिए प्रदेश शासन की परमिशन जरूरी है। कुलाधिपति के निर्देश के बाद यूनिवर्सिटी ने शुल्क निर्धारण संबंधी व्यवस्था के लिए फाइल शासन को भेज दी है और वहां की कार्रवाई का इंतजार कर रहा है। शासन से जवाब आने में देरी और रेट आयोजन की जरूरत को देखते हुए यूनिवर्सिटी ऑप्शनल व्यवस्था के तहत फिलहाल पुरानी नियमावली को ही अपना चुका है और इसके जरिए विभागों में नेट क्वालिफाइड स्टूडेंट्स से अप्लीकेशन फॉर्म इनवाइट किए हैं, लेकिन इसमें स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट नजर ही नहीं आ रहा है और बड़ी मुश्किल से कुछ विभागों में इक्का-दुक्का आवेदन पहुंचे हैं।

वर्जन

रिसर्च एलिजिबिल्टी टेस्ट अगस्त में शेड्यूल्ड किया गया है। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अध्यादेश को शासन के अनुमोदन का इंतजार है। वहां से अप्रूव होते ही कैंडिडेट्स को यूनिवर्सिटी में खाली पड़ी सीट्स पर रिसर्च करने का मौका मिलेगा।

- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू