- पिछले डेढ़ साल से चुनाव न होने की वजह से नहीं हो सका सीनियर नेशनल कॉम्प्टीशन

- 21 गोल्ड हासिल करने वाले गोरखपुराइट्स देख रहे हैं कमेटी फॉर्म होने की राह

- जनवरी में सब जूनियर ग‌र्ल्स, सब जूनियर ब्वाएज और जूनियर ब्वाएज में यहां के होनहारों ने मारी है बाजी

GORAKHPUR: पंच ऐसा कि मशीन भी फेल, हौंसले इतने कि किसी भी खिलाड़ी को मात देने के लिए तैयार, मगर कुर्सी की जंग ने सिटी की 'पंचिंग मशींस' के हाथों का बांध दिया है। फेडरेशन के जिम्मेदारों के बीच चल रही जंग की वजह से पिछले डेढ़ साल से एक भी सीनियर नेशनल चैंपियनशिप नहीं हो सकी, जिसकी वजह से नेशनल में मेडल हासिल करने के बाद भी होनहार सिर्फ प्रैक्टिस कर अपना समय काट रहे हैं। वह भी तब जब ओलंपिक का दौर शुरू हो चुका है और 2008 व 2012 दोनों ही साल देश के होनहारों ने देश की झोली में मेडल डालें हैं। इस बार भी आईबा के बैनर तले बॉक्सर्स ओलपिंग में पार्टिसिपेट करने के लिए गए हैं।

यहां है गोल्ड मेडलिस्ट की फौज

गोरखपुराइट्स की बात करें तो यहां बॉक्सिंग का जुनून यूथ में काफी ज्यादा है। यही वजह से है कि टीम और सोलो इवेंट्स में पार्टिसिपेट कर गोल्ड मेडल हासिल करने वाले होनहारों की यहां पर फौज है। रीजनल स्पो‌र्ट्स स्टेडियम के एनआईएस कोच प्रवीन यादव ने बताया कि सिर्फ 2015 में यहां के होनहारों ने 21 गोल्ड मेडल के साथ कुल 39 मेडल हासिल किए थे। इसमें टीम इवेंट्स सब जूनियर ग‌र्ल्स, सब जूनियर ब्वाएज और जूनियर ब्वाएज कैटेगरी में भी गोल्ड मेडल हासिल हुआ था।

दो साल से कर रहे कमाल

रीजनल स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में पिछले कई सालों से बॉक्सिंग की दशा काफी खराब थी। साल 2015 में स्टेडियम को एक नया कोच मिला तो वहीं खिलाडि़यों की प्रैक्टिस के लिए रिंग की सुविधा भी मिल गई। इसके बाद जो मेडल्स की बरसात हुई, सब आश्चर्यचकित रह गए। सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रही बॉक्सिंग को फिर से ऑक्सीजन मिल गया और अब होनहार अपना दम दिखा रहे हैं। पिछले साल 45 खिलाडि़यों ने इस गेम्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। वहीं इस साल भी यह तादाद 36 तक पहुंच चुकी है।

काफी दिनों से प्रैक्टिस कर रहा हूं। कोच और सामान काफी अच्छे हैं। बस कॉम्प्टीशन होने चाहिए।

काफी दिनों से कॉम्प्टीशन नहीं हुए। इससे तैयारियों के बाद भी खिलाड़ी हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं।

- साहिल चौबे, नेशनल प्लेयर

खिलाड़ी जीतोड़ मेहनत तक मेडल लाने के लिए तैयार हैं, लेकिन जब कॉम्प्टीशन ही नहीं होंगे, तो मेडल कहां से आएंगे।

- आकाश गौड़, नेशनल प्लेयर

कई कॉम्प्टीशन में पार्टिसिपेट कर चुका हूं। मगर सीनियर नेशनल काफी दिनों से नहीं हुई। अगर कॉम्प्टीशन होता, तो देश को और होनहार खिलाड़ी मिलते।

विकास कुमार, नेशनल प्लेयर

खिलाडि़यों की किसे फिक्र है। हम रोजाना रिंग में पसीना बहा रहे हैं, लेकिन जब कॉम्प्टीशन ही नहीं होंगे तो इसका कोई फायदा नहीं होगा।

अरमान गुप्ता, नेशनल प्लेयर

बॉक्सिंग फेडरेशन के इलेक्शन नहीं हुए, इसकी वजह से सीनियर नेशनल कॉम्प्टीशन भी नहीं हो पा रहे हैं। प्लेयर्स तैयारी करने के बाद भी यहीं पड़े हुए हैं। जल्द फैसला हो जाता, तो देश को और बेहतर प्लेयर्स मिलते।

- प्रवीन यादव, एनआईएस कोच, बॉक्सिंग