-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट बाइकॉथन सीजन-10 में पार्टिसपेट करने के लिए लोगों में जबरदस्त उत्साह

-न सिर्फ साइकिल है बेस्ट सवारी बल्कि हेल्थ भी रहता है चुस्त और दुरुस्त

GORAKHPUR: फॉरच्यून रिफाइंड सोयाबीन आयल प्रेजेंट्स एवन साइकिल व आरपीएम एकेडमी दैनिक जागरण आई नेक्स्ट बाईकॉथन सीजन-10 का दिन जैसे जैसे करीब आ रहा है लोगों में उत्सुकता बढ़ती जा रही है। इसी बीच शहर के कुछ ऐसे प्रोफेशनल हैं, जिन्होंने सेहत ठीक करने के लिए कार की सवारी छोड़ साइकिल से चलना शुरू कर दिया है। इन प्रोफेशनल्स की मानें तो साइकिल से चलने से न सिर्फ उनके सेहत चुस्त दुरुस्त रहते हैं, बल्कि पाल्यूशन फ्री शहर बनाने में भी एक अहम रोल होगा।

बाइकॉथन से हुए इंस्पायर

राप्तीनगर फेज-4 में रहने वाले एमडी एनेस्थेटिक डॉ। सुरेश सिंह वैसे तो पेशे से एनेस्थेटिक डाक्टर हैं। लेकिन इन्होंने जब बाइकॉथन स्टार्ट हुआ है तब से इंस्पॉयर होकर अपनी दिनचर्या के अलावा ज्यादातर काम साइकिल से ही निपटाते हैं। यहीं नहीं वह इस बात का लोगों तक संदेश भी पहुंचाते हैं कि शहर को पाल्यूशन फ्री बनाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें। वहीं, ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ। राजेश यादव बताते हैं कि उनके पास कार है, लेकिन हेल्थ को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए उन्होंने बाईकॉथन से इंस्पॉयर होकर साइकिलिंग शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि अगर प्रतिदिन साइकिलिंग करते हैं तो हमारी बॉडी पूरी तरह से वॉर्मप हो जाती है। इससे पूरे दिन हम स्वस्थ महसूस करते हैं। इसलिए हमें हर दिन साइकिलिंग जरूर करनी चाहिए।

ताकि कोई गंभीर बीमारी न हो

रेड पल्स यूथ ट्रस्ट के डॉ। सुरेश बताते हैं कि वह बाइकॉथन को लेकर काफी एक्साइटेड हैं। बाइकॉथन सीजन-10 में पार्टिसिपेट करने के लिए वह प्रतिदिन साइकलिंग करते हैं। साथ ही साथ लोगों को इसके लिए अवेयर भी करते हैं कि कम से कम हमें पांच किलोमीटर साइकिलिंग जरूर करनी चाहिए, ताकि हमें गंभीर बीमारियों से छूटकारा मिल सके। क्योंकि कई बार देखा जाता है कि ज्यादा गाड़ी के इस्तेमाल से हमारी बॉडी पूरी तरह से सुस्त पड़ जाती है। बॉडी के भीतर की नसें और धमनियां सुस्त पड़ जाती है।

बाइक और कार होने के बाद भी करते हैं साइकिलिंग

डॉ। सुरेश बताते हैं कि न सिर्फ वे सेहत को फिट रखने के लिए साइकिलिंग करते हैं, बल्कि उनकी पत्नी और बच्चे भी साइकिलिंग करते हैं। उनकी पत्नी हैं कि साइकिलिंग के लिए वह न सिर्फ लोगों को प्रेरित करते हैं, बल्कि वह स्वयं प्रतिदिन साइकिलिंग करते हैं। कई बार तो शहर के प्रमुख शहरों में लगने वाले जाम के झाम से बचने के लिए उन्हें साइकिलिंग एक बेहतर सवारी लगती है। जबकि घरों में दो पहिया से लगाए चार पहिया तक है। इसके बावजूद वह साइकिलिंग करना नहीं भूलते।