- पब्लिक के हिस्से की दो से तीन घंटे बिजली फॉल्ट में बरबाद

- लोकल कर्मचारियों की तैनाती से नहीं सही हो पाती है समस्या

- शहर के लो वोल्टेज एरिया में कभी नहीं होता सुधार

GORAKHPUR: शहर को मिलने वाली बिजली क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों घटिया हैं। स्थिति यह है कि पूरे शहर को 24 घंटे की जगह 16 से 18 घंटे बिजली मिलती है तो शहर के लगभग 35 प्रतिशत ऐसे एरिया हैं जहां साल के 365 दिन तक लो वोल्टेज की समस्या है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने गुरुवार को गर्मी लगी क्या? कैंपेन के तहत जब इस पर चर्चा की तो लोगों ने काफी सक्रियता और गंभीरता से अपनी बातें रखी। लोगों ने अपनी समस्याएं गिनाते हुए कहा कि अभी तक गर्मी की शुरुआत है और 10 दिन में चार से अधिक फॉल्ट चुके हैं। अभी अप्रैल आने के बाद और झमेला होना तय है।

गोयल क्लासेज बसतंपुर खास

समय - 12 बजे

समस्या- सबसे अधिक लोकल फॉल्ट

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम सबसे पहले दोपहर लगभग 12 बजे रेती चौक के मदरसा चौक के पास गोयल क्लासेज पहुंची। जहां बिजली न होने के कारण स्टूडेंट्स के गार्जियन परेशान होकर बिजली की समस्याओं पर चर्चा कर रहे थे। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जैसे ही इस पर चर्चा की लोगों ने एक स्वर से खराब बिजली व्यवस्था के लिए विभाग को दोषी ठहराया। साथ ही पब्लिक को भी बिजली बचाने के प्रति जागरूक रहने की बात कही। ई। अश्वनी कुमार गुप्ता ने कहा कि हमारे यहां बिजली पैदा करने वाले संसाधन पूरी तरह से ओवरलोड हो चुके हैं। इसी बीच में डॉ। अश्वनी वर्मा ने बोला कि आज जो बिजली मिल रही है, उससे और अच्छी बिजली मिल सकती है। इसके लिए विभाग के साथ-साथ पब्लिक को भी सहयोग करने की जरूरत है। अचानक बीच में डॉ। वीके जायसवाल ने कहा कि बिजली के अधिकारी कहते हैं कि शहर में लाइन लास बहुत है, लेकिन बिजली बचाने के लिए कभी विभाग कदम उठाया नहीं है। स्थिति यह है कि दिन में शहर में सैकड़ों स्ट्रीट लाइन जलते रहते हैं और बिजली बर्बाद करते हैं। ऐसे में नगर निगम जैसी संस्था को बिजली बचाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। चर्चा में दो दर्जन से अधिक लोगों ने भाग लिया।

तिवारीपुर पुराना शिवमंदिर

समय - 3 बजे

समस्या- लो वोल्टेज और फॉल्ट

शहर के सबसे घनी बस्ती के रूप में तिवारीपुर की पहचान है। यहां पर बिजली की समस्या पूरे साल बनी रहती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम अपनी चर्चा में तिवारीपुर के पुराना शिव मंदिर के पास पहुंची। जहां एरिया की बिजली गुल थी और तैयारी करने वाले युवक मंदिर के पास गहन चर्चा कर रहे थे। सबसे पहले विशाल गुप्ता ने कहा कि फरवरी से शहर में कटौती शुरू हो जाती है। दिन में इमरजेंसी कटौती के नाम पर बिजली गुल करते हैं तो शाम से ही फाल्ट होने का सिलसिला शुरू हो जाता है। अमरदीप गुप्ता ने कहा कि इस बार तो फरवरी और मार्च में चुनाव के कारण बिजली गुल नहीं हुई, लेकिन अब कटौती शुरू हो गई है। सरकार भाषणों में कहती है कि बिजली 24 घंटे मिलेगी और स्थिति यह होती है कि छह घंटे तक बिजली गुल रहती है।

बहरामपुर बाले मियां चौराहा

समय - 1 बजे

समस्या- लो वोल्टेज और अनिश्चित कटौती

शहर के सबसे संवेदनशील एरिया में बहरामपुर की गिनती होती है और बिजली विभाग की लापरवाही से यह एरिया और भी संवेदनशील हो जाता है। यहां बंधे के किनारे लोग दिन में बिजली की चर्चा में दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के साथ शामिल हुए। यहां पर जंग बहादुर यादव ने कहा कि बिजली की सबसे बड़ी प्रॉब्लम के लिए यहां के कर्मचारी जिम्मेदार है। यहां जितने भी कर्मचारी तैनात हैं, सभी लोकल कर्मचारी हैं। लोकल होने के कारण वह सरकारी कार्य कम अपना व्यक्तिगत कार्य अधिक करते हैं। एक फॉल्ट सही करने के लिए कई बार लोगों को चंदा लगाना पड़ जाता है। लो वोल्टेज के लिए दर्जनों बार यहां पर आंदोलन हो चुका है, लेकिन समस्या दूर करने के लिए विभाग की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है। स्थिति यह है कि बिजली सही करने आए कर्मचारी कई बार स्ट्रीट लाइट तक खोल ले जाते हैं।

इलाहीबाग स्टेट बैंक के पीछे

समय - 2 बजे

समस्या- लो वोल्टेज की प्रॉब्लम

शहर के सबसे पुराना एरिया इलाहीबाग है। यहां बिजली पांच से छह किमी दूर सब स्टेशन से आती है। स्थिति यह है कि एरिया की बिजली फाल्ट में समाप्त हो जाती है। इस एरिया में शाम को किसी के घर में ताजा पानी नहीं आता है। इसलिए नहीं कि यहां पानी की प्रॉब्लम है, बल्कि इसलिए यहां मोटर चलने के लिए वोल्टेज ही नहीं मिलता है। उदय शंकर चौधरी ने बताया कि यहां की सबसे बड़ी समस्या दूर से बिजली सप्लाई का होना है। यहां की आबादी की बात करें तो यहां कम से कम एक सब स्टेशन होना चाहिए, लेकिन यहां आज तक सब स्टेशन बनाने की योजना नहीं बनी है। आनंद नारायण मिश्रा ने कहा कि सबसे अधिक उपेक्षित यह एरिया रहता है। पिछले दस साल से यहां के तार को नहीं बदला गया है। पंकज कुशवाहा सही है एक ही तार पर लगातार लोड बढ़ाते जाते हैं और स्थिति यह होती है कि शाम को फॉल्ट हो जाता है। अगर फॉल्ट नहीं हुआ तो लो वोल्टेज की समस्या बन जाती है।

लो वोल्टेज वाले एरिया

बहरामपुर, महेवा, इलाहीबाग, इस्माइलपुर, तिवारीपुर, हूमायूंपुर, जटेपुर, घोसीपुरवां नकहा क्रासिंग, घोसीपुरवां गीता वाटिका, शिवपुर सहबाजगंज, पादरी बाजार, बिछिया, गायत्री नगर, रानीडिहा, भैरापुर

लोकल फॉल्ट वाले एरिया

गीता प्रेस, बसतंपुर, बशातरपुर, शाहपुर, राप्तीनगर, गोरखनाथ, इंडस्ट्रियल एरिया, राजेंद्र नगर, विकास नगर बरगदवां

इससे सहीं होंगे फॉल्ट

- शहर के सभी स्ट्रीट लाइट दिन में बंद होने की व्यवस्था हो

- घर में एलईडी बल्ब का अधिक से अधिक उपयोग हो

- बिजली विभाग पुराने तारों को बदल दे

- फॉल्ट रोकने के लिए अधिक से अधिक योजना बनाएं

- अधिक लोड वाले एरिया में ट्रांसफॉर्मर की संख्या बढ़ाए

कालिंग

बिजली की प्रॉब्लम शहर में बहुत अधिक है। फाल्ट हो या लो वोल्टेज की समस्या पब्लिक परेशान होती है और जिम्मेदार केवल खानापूर्ति करते हैं। बिजली विभाग बिल वसूली में साल बिता देता है तो स्ट्रीट लाइट में बिजली बरबाद करने वाला नगर निगम कोई समझदारी दिखाता ही नहीं है।

वीके गोयल, रिटायर्ड कर्मी

स्बिजली विभाग लाख दावे करें, लेकिन शहर का बिजली देने की जब बात आती है तो वह फिसड्डी साबित हो जाता है। एक दिन बिजली सही रहती है तो दूसरे दिन बिजली गुल होने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

अमित गोयल, डायरेक्टर, गोयल क्लासेज

बिजली गुल होने से केवल लोगों को गर्मी ही नहीं लगती है, बल्कि पानी के लिए भी लोग तरस जाते हैं। एक बार फॉल्ट होने के बाद से दस से 12 घंटे के लिए बिजली गुल हो जाती है।

शहनवाज अहमद, प्राइवेट टीचर

पिछले दस साल में बिजली व्यवस्था सही करने के लिए कोई कार्य नहीं हुआ है। दो साल पहले बिजली सही करने के लिए स्काडा योजना आई, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की भेंट पूरी व्यवस्था ही चढ़ गई।

श्रवण पटेल, पार्षद प्रतिनिधि

बिजली शहर को जितनी मिलनी चाहिए। अगर उतनी बिजली नियमित और सही तरीके से मिले तो आधे फॉल्ट अपने आप सही हो जाएंगे।

महेंद्र यादव

बिजली विभाग पूरे साल बिल की वसूली करता है और विभाग के कर्मचारी काम के नाम पर केवल खानापूर्ति का कार्य करते हैं। एक फॉल्ट के कंप्लेन सही करने मे कम से कम छह घंटे लगते हैं।

प्रवीण गुप्ता

बिजली की समस्या दूर तब होगी जब विभाग के साथ ही साथ पब्लिक भी जागरूक होगी। बिजली सभी को बचाने की जरूरत है।

मनीष सिंह