साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र की 137वीं जयंती की पूर्व संध्या पर हुई गोष्ठी और कहानी पाठ

ALLAHABAD: साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र की 137वीं जयंती की पूर्व संध्या पर शहर के साहित्यकारों व रंगकर्मियों ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को श्रद्धा भाव के साथ नमन किया गया। केन्द्रीय राज्य पुस्तकालय, इंडियन पब्लिक लाइब्रेरी मूवमेंट उप्र व साहित्यिक संस्था अभिनव के संयुक्त तत्वाधान में पुस्तकालय के सभागार में सृजन साहित्य का आयोजन हुआ। संस्था के कलाकारों ने सबसे पहले मुंशी प्रेमचंद्र की ईदगाह व कफन जैसी कहानियों का रेडियो पाठ किया। जबकि वरिष्ठ रंगकर्मी शैलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहानी पाठ किया।

मुंशी जी आज भी प्रासंगिक

डॉ। श्लेष गौतम ने कहा कि मुंशीजी का समाज आज भी प्रासंगिक है। अंतर सिर्फ इतना आया कि किरदार बदल गए हैं। डॉ। अनुपम आनंद, डॉ। धनंजय चोपड़ा, अतुल यदुवंशी व विवेक कुमार ने भी मुंशी जी की कहानियों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। पुस्तकालय के अध्यक्ष रवि कुमार यादव ने स्वागत किया। संस्था के सचिव जुमैर मुश्ताक, योगेश्वर चतुर्वेदी, धीरज कुमार, दिलीप सिंह आदि मौजूद रहे।

हम और हमारा समय

प्रगतिशील लेखक संघ इलाहाबाद की ओर से महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के सिविल लाइंस स्थित क्षेत्रीय केन्द्र में हम, हमारा समय और प्रेमचंद्र विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार हरी चरन प्रकाश ने मुंशी प्रेमचंद्र की रचनाओं को आज की जरुरत बताया। गोष्ठी में आनंद शुक्ला, स्वप्निल श्रीवास्तव व मोहम्मद नईम ने अपनी बातें रखी। संचालन प्रो। संतोष भदौरिया का रहा।

समानांतर ने किया याद

नाट्य संस्था समानांतर इलाहाबाद की ओर से मुंशीजी की प्रख्यात कहानी सुभागी का विजय बहादुर श्रीवास्तव द्वारा किए गए नौटंकी रुपातंरण का पाठ रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक ने दोहा, छंद व गजल के जरिए किया। वरिष्ठ रंगकर्मी अजामिल ने कहा कि सुभागी श्रुति नाटक के रूप में पाठ को सुनकर मुझे प्रेरणा मिली है। संघ के पूर्व अध्यक्ष अजित पुष्कल, अजय केसरी ने मुंशीजी के कृतित्व को नमन किया।