-बाल संरक्षण गृह में एचआईवी पीडि़त किशोर से मची सनसनी

-आईसीटीसी में जांच के दौरान हुई पुष्टि, किशोर ने बयां की दर्द की दास्तां

-संरक्षण गृह ने झाड़ा इलाज से पल्ला, परिवार की तलाश कर रही पुलिस

मेरठ: वो मासूम, अभी गौर से दुनिया भी नहीं देखी थी। एक ऐसा बवंडर आया कि उसकी खुशियां और मासूमियत दोनों बिखर गई। पता नहीं किस दरिंदे ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया, जाने किसने उसके सपने चकनाचूर कर दिए। यूं ही कुदरत ने उस पर कम कहर नहीं बरपाया था, यूं ही कुदरत ने उसे दर-दर की ठोकर खाने के लिए छोड़ दिया था, रही-सही कसर हैवान ने पूरी कर दी। जी हां! हम जिक्र कर रहे हैं उस 12 वर्षीय किशोर का, जिसे सड़क पर भीख मांगते हुए गत दिनों पुलिस ने पकड़कर बाल संरक्षण गृह में रखा था। मेडिकल चेकअप कराया तो मालूम चला कि इस मासूम को एड्स है।

एमएसएम ने दिया एड्स

जिला चिकित्सालय के एकीकृत सलाह एवं जांच केंद्र में परीक्षण के दौरान किशोर में एड्स की पुष्टि हुई है। पीडि़त किशोर ने काउंसलिंग के दौरान जो बताया उसको सुनकर इंसानियत भी शरमा जाए। किशोर ने बताया कि उससे जोर-जबरदस्ती कर यह काम कराया गया। संवेदनशील मुद्दे पर बातचीत के दौरान किशोर दूरी बनाए था, तो वहीं मानसिक स्थिति को देखकर किसी ने उससे ज्यादा पूछताछ नहीं की। उसके चेहरे से उभर रहे भाव जरूर ज्यादती की व्यथा बयां कर रहे थे। उसे एड्स मैन हैविंग सेक्स विथ मैन के थ्रू हुआ है।

भीगी आंखों से उभरा दर्द

वो सड़क पर भीख मांगता है। किस सड़क पर, किस मोहल्ले में। ये उसे नहीं पता। रात खौफनाक होती है तो दिन जलालत भरा। इसी किसी एक रात उसे भूख का लालच देकर दरिंदे ने अपनी दरिंदगी उजागर की तो उसकी चीख निकल गई। जानकार कहते हैं कि वो अभ्यस्त नहंीं है, उसके साथ ज्यादती हुई है। किशोर ने भी स्वीकारा कि यह ज्यादती उसके साथ कई बार हुई है। जिस बीमारी का उसने नाम तक नहीं सुना उस बीमारी को साथ ढो रहे इस मासूम को अभी यह नहीं मालूम कि अब उसका क्या होगा? जांच केंद्र पर काउंसलिंग के बाद किशोर को उपचार के निर्देश दिए गए हैं।

आपरेशन मुस्कान के तहत पकड़ा

आपरेशन मुस्कान में रेस्क्यू किए गए किशोर एचआईवी से पीडि़त हैं, जिसे लेकर बाल संरक्षण गृह में सनसनी मच गई है। बाल संरक्षण गृह के पदाधिकारियों ने किशोर को उपचार दिलाने के बजाय उसे रिलीव करने के लिए पुलिस को पत्र जारी कर दिया है। अब पुलिस बच्चे के माता-पिता की तलाश में जुट गई है। वहीं पीडि़त किशोर को बाल संरक्षण गृह में दूसरे किशोरों से अलग रखा जा रहा है, जबकि नियम है कि बच्चे का उपचार कराया जाए।

मांग रहा था भीख

बच्चों का भविष्य संवारने के लिए ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा हैं, जिसका समय 30 जुलाई तक तय किया है। अभियान के तहत एएचटीयू की टीम ने ब्रहा्रपुरी के खत्ता रोड से 12 वर्षीय बच्चे को पकड़ लिया था, जो भीख मांग कर अपना जीवन यापन कर रहा था। बच्चे को एएचटीयू ने बाल संरक्षण गृह में भेज दिया। किशोर का जिला अस्पताल में मासिक मेडिकल कराया गया, जिसमें एचआईवी की पुष्टि हो गई। किशोर एचआईवी पीडि़त होने से बाल संरक्षण गृह में सनसनी मच गई। पदाधिकारियों ने एचआईवी से पीडि़त बच्चे को दूसरे बच्चों से अलग कर दिया है।

बच्चे को ले जाएं वापस

संरक्षण गृह ने एएचटीयू (मानव तस्करी निरोधी दस्ता) को पत्र जारी कर दिया कि बच्चे को वापस ले जाए। यदि पुलिस बाल संरक्षण गृह से बच्चे को वापस लाएं तो उसे कहां छोड़े। इसलिए अब बच्चे के परिवार की तलाश की जा रही है। सवाल यह है कि बाल संरक्षण गृह में बच्चों के बीमार होने पर उपचार दिलाने का नियम है, ऐसे में वहां के पदाधिकारी बच्चे को उपचार क्यों नहीं दे रहे है? सबसे अहम बात यह है कि किशोर को दूसरे किशोरों से अलग कर रख दिया है, जबकि एचआईवी छुआछूत की बीमारी नहीं है।

यहां है एड्स पीडि़त बच्चे

एड्स रोगियों का उपचार और उनका ख्याल रखने के लिए शहर में कई संस्थाएं काम कर रही हैं। इनमें से एक संस्था सत्यकाम केयर होम है, जो एड्स पीडि़त बच्चों का रखरखाव करती है। हालांकि संस्था में उन एड्स रोगी बच्चों की संख्या सर्वाधिक है जिन्हें अपनी मां से एड्स हुआ है। संस्था का कहना है कि यदि किशोर को उपचार के लिए लाया जाता है तो वे उसका उपचार कराएंगे।

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अब जरा गौर करें!

चौंकाने वाली बात यह है कि मेरठी मेल सेक्स मेल (एमएसएम) की तादात करीब चार हजार है और इसमें दस फीसदी तक एचआईवी पॉजिटिव हैं। ये शहर के हर गली-मोहल्ले में, हर कोने में हैं। बेशक इनकी पहचान स्पष्ट है, किंतु ये आमतौर पर अपनी पहचान को छिपा कर रखते हैं। अपनी कम्यूनिटी के बीच ये खुश हैं तो आम शहरी के साथ संकुचित, वो चाहें इनके परिवार का सदस्य ही क्यों न हो।

एड्स का सर्वाधिक खतरा

एमएसएम को एड्स का सर्वाधिक खतरा रहता है। जिला अस्पताल स्थित एकीकृत सलाह एवं जांच केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक सर्वाधिक एड्स रोगी एमएसएम हैं। दस फीसदी से अधिक एमएसएम में एचआईवी की पुष्टि हुई है। इन लोगों को जांच केंद्र तक ले जाना मुश्किल होता है। ये अडि़यल स्वभाव के होते हैं, और यदि जांच केंद्र तक जाएंगे तो जांच केंद्र तक गु्रप में पहुंचते हैं। गत वर्ष तक एनजीओ ने एमएसएम के 17 पॉजिटिव केस आइडेंटीफाई किए थे।

दिनोंदिन बढ़ रही संख्या

एडिक्शन ही तो कहेंगे इसे कि एक ओर फीमेल सेक्स वर्कर अवेयर हो चुकी हैं तो वहीं एमएसएम में एचआईवी पॉजिटिव की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो सर्वाधिक एड्स रोगी एमएसएम हैं। शहर के पार्क, सिनेमाघर, खाली प्लॉट, सुनसान जगह एमएसएम के लिए हॉट स्पॉट हैं। शहर के कुछ होटल भी इनके लिए सेफ प्लेस हैं।

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तय हो जिम्मेदारी

एड्स पीडि़तों के दर्द को जिम्मेदार विभागों के सामने रखने का काम आई नेक्स्ट ने किया। 28 जून के अंक में प्रकाशित रिपोर्ट में शहर में तेजी से बढ़ रहे एमएसएम और उनमें फैल रहे एड्स पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी आई नेक्स्ट ने प्रकाशित की थी। उन स्थानों का जिक्र भी था जहां एमएसएम की सर्वाधित मौजूदगी रहती है। किंतु अफसोस कि चिकित्सा विभाग अथवा पुलिस विभाग ने इस प्रकरण को तव्वजो नहीं दिया। समय आ गया है जब साझेदारी से इस सामाजिक लड़ाई से लड़ा जाए।

वर्जन---

बाल संरक्षण गृह की ओर से आए पत्र में किशोर को एचआईवी पीडि़त बताया है, तर्क दिया है कि बच्चे को बाल संरक्षण गृह से वापस ले जाए। अब पुलिस बच्चे को कहां ले जाए। बच्चे के परिवार की पुलिस तलाश कर रही है।

-रीता शुक्ल, एएचटीयू प्रभारी

एचआईवी पीडि़त किशोर के बारे में पत्र जारी किया गया हैं, इससे ज्यादा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, इस पूरे प्रकरण में जानकारी करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

-रवि मलहोत्रा, अध्यक्ष बाल संरक्षण गृह

ये बात मेरे संज्ञान में नहीं थी। अगर बच्चे की उम्र 10 साल से ज्यादा है तो उसे बाल सुधार गृह में ही रखा जाएगा और समुचित इलाज कराया जाएगा। एचआईवी छुआछूत की बीमारी नहीं है। बाकी बच्चों से उसे रखना गलत है।

- पुष्पेंद्र सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी