- जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर में दर्ज होंगे मामले

- पावती भेजकर नोडल अफसर देंगे कार्रवाई की सूचना

GORAKHPUR: पब्लिक की समस्याओं पर पुलिस-प्रशासन के विभागों में पत्राचार करने वाले सांसद और विधान मंडल के सदस्यों को अफसर बरगला नहीं पाएंगे। हर विभाग में जनप्रतिनिधियों के पत्रों का पूरा हिसाब रखना होगा। इसके लिए पुलिस-प्रशासन में नोडल ऑफिसर्स भी तैनात किए जाएंगे। नोडल अफसर की जिम्मेदारी होगी कि वह पत्रों के संबंध में की गई कार्रवाई से संबंधित जनप्रतिनिधियों को अवगत कराएंगे।

बनेगा जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर

विभिन्न समस्याओं को लेकर पब्लिक अपने सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों से मिलती है। पब्लिक के आवेदन पर जनप्रतिनिधि की ओर से संबंधित विभाग के अफसरों को पत्र भेजकर कार्रवाई सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया जाता है। जनप्रतिनिधियों के पत्र के बावजूद कई विभागों में अफसर गंभीरता नहीं दिखाते। पब्लिक के हित में की गई कार्रवाई की कोई सूचना भी जनप्रतिनिधियों की ओर से नहीं दी जाती है। इससे जनप्रतिनिधियों की साख पर बट्टा लगता है। पब्लिक के बीच में उनकी छवि धूमिल होती है। लोग अपने जनप्रतिनिधि को कटघरे में खड़ा करने लगते हैं। इसलिए प्रदेश सरकार के विशेष सचिव कौशलेंद्र यादव ने अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, डीजीपी, कमिश्नर, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, डीएम और जिला पुलिस प्रमुखों को पत्र भेजकर जन प्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर बनाने का निर्देश दिया है।

कार्रवाई की देंगे सूचना, न चलेगी मनमानी

शासन और जिले स्तर पर सांसदों, विधान मंडल के सदस्यों के पत्रों पर की गई कार्रवाई से उनको अवगत कराया जाएगा। इसलिए जिला स्तर पर प्रशासनिक विभागों में एसडीएम और पुलिस विभाग में डिप्टी एसपी को नोडल अफसर बनाया जाएगा। नोडल अफसर सांसदों और विधायकों को पत्रों पर की गई कार्रवाई की मॉनीटरिंग करेंगे। उसके बारे में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विभागाध्यक्षों, डीएम, एसएसपी को अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कराएंगे। इसकी जानकारी समय-समय पर संसदीय अध्ययन समिति को विचार-विमर्श और साक्ष्य हेतु आयोजित बैठक में दी जाएगी।

यह होगा फायदा

- जिले में जनप्रतिनिधियों के औसतन 150-200 पत्र विभिन्न विभागों में पहुंचते हैं।

- पब्लिक की समस्याओं को दूर करने में अधिकारियों की लापरवाही सामने आएगी।

- एक ही मामले में बार-बार शिकायत होने पर संबंधित अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे।

- जनप्रतिनिधियों को समय-समय पर सूचना मिलेगी। इससे मॉनीटरिंग में सुविधा होगी।

- कार्रवाई से अवगत होने पर जनप्रतिनिधि जरूरत पड़ने पर सवाल-जवाब कर सकेंगे।

इस तरह से बनाएंगे ब्यौरा

- सांसद-विधान मंडल सदस्यों का नाम

- जनप्रतिनिधि का पत्र प्राप्त होने की तिथि

- पत्र पर दिए विषय के संबंध में जानकारी

- पत्र पर की कार्रवाई से संबंधित सूचना

- जनप्रतिनिधि को कार्रवाई से अवगत कराने की तिथि

- जनप्रतिनिधि को कार्रवाई से अवगत न कराने की वजह