राज्य सरकार ने किया था राज्यपाल से अनुरोध

जल्द भेजे जाएंगे नये नाम, चल रहा गहन मंथन

LUCKNOW: राज्यपाल राम नाईक ने राज्य सरकार के अनुरोध पर एमएलसी नामित करने की पत्रावली वापस भेज दी है। इसके साथ ही राज्यपाल ने अपेक्षा की है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आश्वासन के मुताबिक नये नामों की संस्तुति के साथ पत्रावली शीघ्र भेजी जाए। उन्होंने अपने पत्र में जिक्र किया कि इस बाबत उनके और मुख्यमंत्री के बीच कई बैठकों में चर्चा हुई थी। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वह नये नामों का प्रस्ताव भेजेंगे, लेकिन अभी तक सूची राजभवन को नहीं मिली है।

राजभवन से हुई थी शिकायत

दरअसल राज्य सरकार ने पिछले साल एलएलसी मनोनीत करने के लिए नौ नामों की सूची राजभवन भेजी थी। राज्य सरकार ने दावा किया था कि भेजे गये सभी नाम कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में काम करने वालों के हैं। इसे लेकर राजभवन में शिकायत हुई कि सरकार अपने ऐसे करीबियों को एमएलसी मनोनीत कराना चाहती है जिनका इन क्षेत्रों से कोई वास्ता तक नहीं है। कईयों का आपराधिक इतिहास भी रहा है। इसके बाद राजभवन ने केवल चार नामों श्रीराम सिंह यादव, लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष सिंह यादव और जितेन्द्र यादव के नाम पर मुहर लगायी थी। जबकि अन्य पांच नामों डॉ। कमलेश कुमार पाठक, संजय सेठ, रणविजय सिंह, अब्दुल सरफराज खान और राजपाल कश्यप के नामों को रोक लिया था। सबसे ज्यादा आपत्ति बिल्डर संजय सेठ के नाम को लेकर थी ।

नहीं बन सकते एमएलसी

सोमवार को राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा पूर्व प्रेषित पांच लोगों कमलेश कुमार पाठक, संजय सेठ, रणविजय सिंह, अब्दुल सरफराज खां तथा राजपाल कश्यप को एमएलसी नामित करने के लिए भेजी गई पत्रावली को वापस करते हुए कहा है कि इन लोगों पर कई क्रिमिनल केसेस थे। संविधान के अनुच्छेद 171 (5भ्) के अधीन उल्लिखित कुल पांच क्षेत्रों साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन तथा समाज सेवा में से किसी भी में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव नहीं रखते हैं। इस वजह से उन्हें विधान परिषद का सदस्य नामित नहीं किया जा सकता है। मालूम हो कि इनमें से अब्दुल सरफराज खान को कैबिनेट मंत्री आजम खां का करीबी बताया जाता है। वहीं राजपाल कश्यप मत्स्य विकास निगम के चेयरमैन हैं। कमलेश पाठक सपा के टिकट पर 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, उन पर कई मुकदमे भी दर्ज रहे हैं।

जल्द भेजी जाएगी नई सूची

एमएलसी मनोनीत करने के लिए राज्य सरकार पिछले कई दिनों से खासी जद्दोजहद से गुजर रही थी। राजभवन के सख्त रुख के बाद राज्य सरकार केवल चार एमएलसी ही मनोनीत करा सकी। चारों ने पिछले सत्र में शपथ भी ले ली थी। अब राजभवन द्वारा पत्रावली वापस करने के बाद नये नामों की सूची राजभवन भेजी जाएगी। इसे लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच गहन मंथन भी चल रहा है। माना जा रहा है कि इस बार युवा चेहरों को सूची में जगह दी जाएगी।