- यूपी के गवर्नर बीएल जोशी ने दिया पद से इस्तीफा

-तीज त्यौहार पर यतीम बच्चे होते थे गवर्नर के खास मेहमान

-लगभग पांच साल रहे यूपी के गवर्नर, विवादों से रहे दूर

LUCKNOW: केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद गवर्नर्स के हटाये जाने का सिलसिला शुरू हो गया। यूपी के गवर्नर बनवारी लाल जोशी से इसकी शुरुआत हुई। जोशी के इस्तीफे के बाद अब यूपी का नया गवर्नर कौन होगा, इसकी चर्चा शुरू हो चुकी है। वहीं, गवर्नर हाउस में त्योहार के समय यतीम बच्चों का मेहमान बनकर आने का दौर भी शायद खत्म हो जाएगा।

पांच साल तक रहे गवर्नर

बीएल जोशी लगभग पांच साल तक प्रदेश के गवर्नर रहे। जोशी ने ख्8 जुलाई ख्009 को गवर्नर के पद की शपथ ली थी। इसी साल के शुरुआत में जोशी को टर्म पूरा होने पर दोबारा यूपी का गवर्नर नियुक्त किया गया था, जिसकी शपथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने म् मार्च को दिलायी थी। पूरे कार्यकाल के दौरान चाहे मायावती की सरकार रही हो या फिर अखिलेश यादव की। इन्होंने दोनों सरकारों से बराबर का सामंजस्य बनाये रखा।

पॉलीटिक्स से कभी दूर, कभी पास

बीएल जोशी यूं तो किसी पॉलीटिक्स में सीधे इनवॉल्व नहीं रहे। लेकिन, पॉलीटिक्स के काफी करीब भी रहे। राजस्थान से स्टेट पुलिस सर्विस की शुरुआत की और प्रमोशन के बाद आईपीएस बने। केंद्र में वह कई महत्वपूर्ण पदों पर पोस्ट रहे। रिटायरमेंट से पांच साल पहले ही बीएल जोशी ने पुलिस सर्विस छोड़ दी और सोशल एक्टिविटी में इनवॉल्व हो गये। क्99फ् में वह यूएसए चले गये और वहां अमेरिका के दो अलग-अलग बड़ी कंपनियों के डायरेक्टर रहे। साल ख्000 में वापस आने के बाद उन्हें राजस्थान ह्यूमन राइट कमीशन का मेंबर बना दिया गया। ख्00ब् में जब यूपीए फ‌र्स्ट गवर्नमेंट बनी तो उन्हें दिल्ली का एलजी बनाया गया। वहां से मेघालय का गवर्नर और छह महीने बाद ही उत्तराखंड का गवर्नर बना दिया गया। जब यूपीए टू आई तो जोशी को यूपी का गवर्नर बनाकर ख्009 में लखनऊ भेज दिया गया।

गरीब बच्चे होते थे राजभवन के खास मेहमान

अपने सरल स्वभाव के लिए मशहूर बीएल जोशी लखनऊ में अपने कार्यकाल के दौरान जो भी त्यौहार मनाते थे उनके साथ गरीब, यतीम बच्चे राजभवन के मेहमान होते थे। होली और दीवाली पर अनाथालय के बच्चे मेहमान होते थे और रमजान और ईद पर यतीम खानों के बच्चे। एक-एक के सिर पर वह हाथ फेर कर बच्चों का नाम, स्कूल का नाम और पढ़ाई के बारे में जरूर पूछते। जरुरतमंदों की पैरवी करते और उनकी भरपूर मदद अपनी जेब से करते थे।