- सिटी में रन कर रहीं मात्र 82 सरकारी एम्बुलेंस
- जरुरतमंदों को समय पर नहीं मिल पाती है सुविधा
GORAKHPUR: शहर में कभी सरकारी एम्बुलेंस की जरूरत पड़ी तो इंतजार करना मरीज की जान आफत में डाल सकता है। यहां आबादी के लिहाज से ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहीं 108 व 102 नंबर की सरकारी एम्बुलेंस सेवा का हाल तो कुछ यही बयां कर रहा है। सिटी की 14 लाख आबादी की तुलना में यहां महज 82 एम्बुलेंस ही रन कर रही हैं। यानि देखा जाए तो सिटी में 17 हजार लोगों पर मात्र एक सरकारी एम्बुलेंस ही अवेलबल है। ये हाल तब जब केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिले को भी लगातार अनुदान मिल रहा है।
यहां किस्मत से मिलती सुविधा
गोरखपुर की बात की जाए तो सिटी से लेकर रुरल एरियाज तक सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बुरा है। ऊपर से एम्बुलेंस का भी टोटा है जिसके चलते स्थिति और खराब हो जाती है। किसी तरह की आपातकालीन स्थिति में ज्यादातर लोग 108 और 102 नंबर पर एम्बुलेंस के लिए कॉल करते हैं, लेकिन एम्बुलेंस की कमी के चलते अधिकतर लोगों को यह सुविधा नहीं मिल पाती है। कभी-कभी तो रेफरल एम्बुलेंस के तौर पर सरकारी एम्बुलेंस का प्रयोग करना पड़ता है। जिसकी वजह से लोगों को जेब ढीली करनी पड़ती है। ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में अभी भी ज्यादातर एम्बुलेंस की जरूरत है। यदि एरिया में कोई सड़क दुर्घटना होती है तो पीडि़तों को राहत पहुंचाना स्वास्थ्य विभाग तथा प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है।
सिटी की आबादी - करीब 14 लाख
17 हजार आबादी पर एम्बुलेंस - 1
सिटी में एम्बुलेंस की संख्या
108 एम्बुलेंस - 30
102 एम्बुलेंस - 50
लाइफ सपोर्टिग एम्बुलेंस - 2
बैकअप - 1
वर्जन
आबादी के हिसाब से एंबुलेंस की संख्या कम है। लोगों की सुविधा के लिए शासन से और एम्बुलेंस की डिमांड की जाएगी।
- डॉ। आईवी विश्वकर्मा, कार्यवाहक सीएमओ