न्यूयॉर्क टाइम्स की एक ख़बर के अनुसार बैंक ऑफ़ अमेरिका, जेपी मॉरगन चेज़, गोल्डमैन सैक्स समेत 12 से अधिक प्रमुख बैंकों के ख़िलाफ़ आरोप लगाया जाएगा कि जब हाऊसिंग घोटाला चरम पर था तब इन बैंकों ने घरों के लिए क़र्ज़ देते समय पर्याप्त जाँच-पड़ताल नहीं की थी।

वर्ष 2008 में अमरीकी बाज़ार में वित्तीय मंदी तब छा गई जब लाखों लोग जिन्हें घर खरीदेने के लिए क़र्ज़ दिए गए थे, वे अपने क़र्ज़ की किस्तें लौटाने में असमर्थ रहे जिससे बैंकों को भारी नुक़सान हुआ।

अमरीका के हाऊसिंग और बैंक क्षेत्र से शुरु हुए वित्तीय मंदी के दौर का अमरीका के साथ-साथ पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर असर हुआ। केवल उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएँ - भारत और चीन - काफ़ी हद तक इसकी मार से बच पाई थीं।

तीस अरब से अधिक का नुक़सान

वॉशिंगटन में बीबीसी संवाददाता मार्कस जॉर्ज के मुताबिक ये कार्रवाई फ़ेडरल हाऊसिंग फ़ाइनेंस एजेंसी करेगी। ये एजेंसी क़र्ज़ देने वाली सरकार समर्थित कंपनियों की कारगुज़ारी का निरीक्षण करती है।

इन सरकार समर्थिक कंपनियों में से फ़ैनी मे और फ़्रेडी मैक को 30 अरब डॉलर से अधिक का नुक़सान हुआ था और बड़े घाटे पड़ने के बाद इन्हें संघीय सरकार की ओर से मदद दी गई थी।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों पर आरोप लगाया जाएगा कि इन्होंने क़र्ज़ देते समय पर्याप्त जाँच-पड़ताल नहीं की और फिर ऐसे लोन सरकार समर्थित कंपनियों को बेच दिए। लेकिन कई कंपनियों के प्रबंधकों का कहना है कि बैंकों और कंपनियों को नुक़सान इसलिए हुआ था क्योंकि पूरी अर्थव्यवस्था पहले ही सुस्ती के दौर से गुज़र रही थी।

कई अन्य पर्यवेक्षकों को ढर है कि इस मामले में यदि क़ानूनी कार्रवाई आगे बढ़ती है तो अमरीका अर्थव्यवस्था के बेहतर होने की राह में बाधाएँ पैदा होंगी।

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